रांची: स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य निदेशालय के पुनर्गठन संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. निदेशालय का गठन राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अालोक में वर्ष 2005 में हुआ था. प्रस्ताव संबंधी रिपोर्ट पर अमल की प्रक्रिया शुरू हो गयी है तथा नये पद सृजन की फाइल प्रक्रिया में है.
यह बदलाव निदेशालय सहित अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों के लिए भारत सरकार के तय मानक इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड (आइपीएचएस) के अनुसार भी होंगे. दरअसल विभाग ने झारखंड में निदेशालय सहित विभिन्न स्वास्थ्य संस्थाअों के पुनर्गठन के लिए डॉ प्रवीण चंद्र की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था. अध्यक्ष सहित इस आठ सदस्यीय टीम में निदेशालय के डॉ राकेश दयाल, डॉ राजमोहन, डॉ यूसी सिन्हा, डॉ प्रदीप बास्की, डॉ एमएम सेनगुप्ता, डॉ एडीएन प्रसाद तथा डॉ रमेश प्रसाद शामिल थे.
कमेटी ने इसी वर्ष मार्च में अपनी रिपोर्ट दे दी थी. इस रिपोर्ट में निदेशालय से लेकर स्वास्थ्य उपकेंद्रों तथा विभिन्न स्वास्थ्य सुविधाअों के पुनर्गठन की अनुशंसा की गयी थी तथा सुझाव दिये गये थे. विभाग ने इसी के तहत अभी निदेशालय के पुनर्गठन की फाइल बढ़ायी है. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अनुशंसा पूरी तरह मानी गयी है या अंशत:.
पुनर्गठन क्यों
विभिन्न कारणों से पुनर्गठन का सुझाव दिया गया है. इनमें राज्य में एक तरह की स्वास्थ्य इकाई में स्वीकृत मानव संसाधनों में एकरूपता का अभाव तथा तत्कालीन बिहार के समय के जिलों तथा नये बने जिलों में स्वीकृत पद में भिन्नता है. स्वीकृत मानव संसाधनों से संबंधित प्रमाणित आंकड़ों का अभाव है. स्वास्थ्य निदेशालय सहित अस्पतालों स्वास्थ्य केंद्रों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (ग्रामीण व शहरी एनएचएम) की गतिविधियों, आधुनिकीकरण तथा विस्तारीकरण की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सुदृढ़ीकरण की जरूरत है.
कुछ स्वास्थ्य इकाइयों के प्रतिनियुक्ति पर चलने (जैसे पाकुड़, चतरा व बोकारो जिले के टीबी सेंटर), एनएचएम के तहत गत 10 वर्षों से चल रहे कई कार्यक्रम, जिनमें कोई भी पद स्वीकृत नहीं है तथा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कुछ पद असंगत हो गये हैं और कुछ नये पदों के सृजन की आवश्यकता है. वहीं, आइपीएचएस मानकों के तहत विभिन्न कार्यक्रमों के लिए समय-समय पर जारी दिशा-निर्देश तथा एनएचएम के तहत अनुबंध पर कार्यरत चिकित्सकों व कर्मियों को एनएचएम के निर्देशानुसार राज्य सरकार द्वार नियमितीकरण की जरूरत जैसे कारण शामिल हैं.
क्या होगा लाभ
निदेशालय से लेकर फिल्ड स्तर तक के पुनर्गठन तथा मानव संसाधन बढ़ने से जहां स्वास्थ्य संरचना मजबूत होगी, वहीं आम लोगों को बेहतर स्वासथ्य सुविधाअों का लाभ मिलेगा. पुनर्गठन से विभाग का प्रशासनिक ढांचा भी मजबूत होगा.