वहीं, दूसरी तरफ इस मामले में आयोग ने डीजीपी को रिमाइंडर नोटिस जारी किया है. इन्हें दो सप्ताह में बताने को कहा गया है कि इस मामले में दर्ज चार आपराधिक मामलों में क्या प्रगति है? डीजीपी की ओर से पूर्व में जारी किये गये नोटिस का जवाब नहीं देने पर नाराजगी जाहिर की गयी है. अगर निर्धारित अवधि के दौरान नोटिस का जवाब नहीं दिया गया, तो पीएचआर एक्ट 1993 की धारा 13 के तहत पीड़क कार्रवाई करने का आदेश जारी किया जायेगा.
आदेश में अपर मुख्य सचिव एनएन पांडेय की जांच रिपोर्ट का हवाला दिया गया है. इसमें कहा गया है कि उपायुक्त स्तर के अधिकारी से आशा की जाती है कि उनका व्यवहार अच्छा होना चाहिए. वे शांति से समस्या का समाधान करें. ईमानदारी से काम करने की वजह से आज भी जनता में उपायुक्त के प्रति विश्वास कायम है. तत्कालीन उपायुक्त सुनील कुमार ने ऑल इंडिया सर्विस रूल्स 1968 के तहत व्यवहार नहीं किया है. इन पर इससे पहले कोई आरोप नहीं लगा है, इसलिए इन्हें व्यवहार सुधारने का मौका देना चाहिए. आयोग ने प्रथम द्रष्टया इसे मानवाधिकार हनन का मामला पाया है.