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मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव से पूछा, क्यों न मिले पीड़ित को मुआवजा

रांची: हजारीबाग के तत्कालीन उपायुक्त सुनील कुमार द्वारा एनटीपीसी के जीएम राकेश नंदन सहाय के साथ दुर्व्यवहार व शारीरिक यातना देने से संबंधित मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने गंभीरता से लिया है. आयोग ने इस मामले में मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. पूछा है कि क्यों नहीं मानवाधिकार हनन के […]

रांची: हजारीबाग के तत्कालीन उपायुक्त सुनील कुमार द्वारा एनटीपीसी के जीएम राकेश नंदन सहाय के साथ दुर्व्यवहार व शारीरिक यातना देने से संबंधित मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने गंभीरता से लिया है. आयोग ने इस मामले में मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. पूछा है कि क्यों नहीं मानवाधिकार हनन के लिए शिकायतकर्ता राकेश नंदन सहाय को मुआवजा देने की अनुशंसा की जाये. जवाब दायर करने के लिए मुख्य सचिव को चार सप्ताह का समय दिया गया है.

वहीं, दूसरी तरफ इस मामले में आयोग ने डीजीपी को रिमाइंडर नोटिस जारी किया है. इन्हें दो सप्ताह में बताने को कहा गया है कि इस मामले में दर्ज चार आपराधिक मामलों में क्या प्रगति है? डीजीपी की ओर से पूर्व में जारी किये गये नोटिस का जवाब नहीं देने पर नाराजगी जाहिर की गयी है. अगर निर्धारित अवधि के दौरान नोटिस का जवाब नहीं दिया गया, तो पीएचआर एक्ट 1993 की धारा 13 के तहत पीड़क कार्रवाई करने का आदेश जारी किया जायेगा.

आदेश में अपर मुख्य सचिव एनएन पांडेय की जांच रिपोर्ट का हवाला दिया गया है. इसमें कहा गया है कि उपायुक्त स्तर के अधिकारी से आशा की जाती है कि उनका व्यवहार अच्छा होना चाहिए. वे शांति से समस्या का समाधान करें. ईमानदारी से काम करने की वजह से आज भी जनता में उपायुक्त के प्रति विश्वास कायम है. तत्कालीन उपायुक्त सुनील कुमार ने ऑल इंडिया सर्विस रूल्स 1968 के तहत व्यवहार नहीं किया है. इन पर इससे पहले कोई आरोप नहीं लगा है, इसलिए इन्हें व्यवहार सुधारने का मौका देना चाहिए. आयोग ने प्रथम द्रष्टया इसे मानवाधिकार हनन का मामला पाया है.

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