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कैबिनेट: मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना को स्वीकृति, लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल रखेगी सरकार

रांची: एपीएल परिवार भी मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ ले सकेंगे. इसके लिए एपीएल परिवारों को प्रीमियम का भुगतान खुद करना होगा. बीपीएल व खाद्य सुरक्षा अधिनियम के दायरे में आनेवाले लोगों के प्रीमियम का भुगतान राज्य सरकार करेगी. मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. वहीं […]

रांची: एपीएल परिवार भी मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ ले सकेंगे. इसके लिए एपीएल परिवारों को प्रीमियम का भुगतान खुद करना होगा. बीपीएल व खाद्य सुरक्षा अधिनियम के दायरे में आनेवाले लोगों के प्रीमियम का भुगतान राज्य सरकार करेगी. मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.

वहीं पूर्व संचालित 30 हजार रुपये की बीमा योजना के प्रीमियम का 60 प्रतिशत भुगतान केंद्र सरकार करेगी. 40 प्रतिशत भुगतान राज्य सरकार करेगी. वहीं बीमा राशि 30 हजार से बढ़ा कर 50 हजार करने पर अतिरिक्त राशि के प्रीमियम का भुगतान राज्य सरकार करेगी.मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के दायरे में बीपीएल परिवार, मनरेगाकर्मी, भवन व अन्य निर्माण कार्यों में लगे मजदूर, घरेलू कामगार, बीड़ी मजदूर, स्ट्रीट वेंडर, वृद्धावस्था पेंशन के लाभुक, सफाईकर्मी, रिक्शा चालक, ऑटो चालक, टैक्सी चालक व कचरा चुनने वाले शामिल होंगे.

जिनकी वार्षिक आमदनी 72 हजार रुपये से कम हो और वैसे लोग जो खाद्य सुरक्षा के दायरे में हैं, उनको इस योजना का लाभ मिलेगा. मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत प्रति 8000 लाभुक परिवार पर कम से कम एक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता (अस्पताल या नर्सिंग होम) को सूचीबद्ध किया जायेगा. प्रत्येक प्रखंड में कम से कम दो अस्पताल सूचीबद्ध होंगे. जिले में सूचीबद्ध अस्पतालों में सामान्य चिकित्सा, सर्जरी, स्त्री रोग, शिशु रोग, आंख, कान और हड्डी की बीमारी के इलाज का प्रावधान होगा. गंभीर बीमारियों के लिए राज्य के बाहर के विशेषज्ञ अस्पतालों को सूचीबद्ध किया जायेगा.

स्वास्थ्य बीमा योजना का कार्यान्वयन स्मार्ट कार्ड के माध्यम से किया जायेगा. स्मार्ट कार्ड की नकल से बचने के लिए इसे आधार से जोड़ा जायेगा. योजना का संचालन स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जायेगा.

मंत्रिपरिषद ने रांची के एचइसी में कोर कैपिटल की साइट-वन निर्माण के लिए (विस्थापितों को पुनर्स्थापित करने के लिए) 216.62 करोड़ रुपये खर्च करने की स्वीकृति दी. इस राशि से प्रस्तावित कोर कैपिटल के इलाके में रह रहे चार सौ परिवारों का पुनर्वास किया जायेगा. विस्थापितों को पुनर्स्थापित करने या उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने के बाद ही कोर कैपिटल निर्माण का काम शुरू किया जायेगा. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई जीआरडीए की बैठक में प्रभावित परिवारों को पुनर्स्थापित करने के बाद ही कोर कैपिटल का काम शुरू करने का फैसला लिया गया था. बैठक में लिये गये फैसले के अनुरूप ही भवन निर्माण विभाग का प्रस्ताव कैबिनेट की सहमति के लिए पेश किया गया था.

वन पर्यावरण, जलवायु व परिवर्तन विभाग के प्रस्ताव पर मंत्रिपरिषद ने राज्य में उपलब्ध प्राकृतिक वन संसाधन के अध्ययन का काम इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फाॅरेस्ट मैनेजमेंट (आइआइएफएम) से कराने का फैसला लिया.

आइआइएफएम झारखंड के फॉरेस्ट रिसोर्स की प्राॅपर एकाउंटिंग (सही तरीके से आमदनी और खर्च का हिसाब रखना) करेगा. इससे वन संसाधन से होने वाले आय को राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में शामिल किया जा जायेगा. वर्तमान में राज्य में होने वाले लघु वन उपज को सकल घरेलू उत्पाद में शामिल नहीं किया जाता है. अध्ययन के लिए आइआइएफएम को 20 लाख रुपये दिये जायेंगे.

नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रस्ताव पर कैबिनेट ने खान पर्षद हजारीबाग के 44 कर्मचारियों की सेवा का समायोजन अन्य नगर निगम व नगर निकायों में करने की सहमति दी. इज अॉफ डूइंग बिजनेस के तहत रजिस्ट्रेशन की अवधि पांच दिन की जगह एक दिन निर्धारित की गयी. अब सभी तरह के निबंधन प्रमाण पत्र एक दिन की अवधि में प्रदान किये जायेंगे. उद्योग विभाग के प्रस्ताव पर राज्य सेवा देने की गारंटी अधिनियम में दो और सेवाओं को जोड़ने पर मंत्रिपरिषद सहमत हुआ.

कैबिनेट ने एलॉटमेंट ऑफ प्लॉट के लिए प्लॉट खाली होने की अधिसूचना जारी होने के बाद योग्य व्यक्ति को प्लॉट एलॉटमेंट करने की अवधि 75 दिन करने का फैसला किया. वहीं, प्लॉट सरेंडर करने की अवधि 60 दिन निर्धारित की गयी. इसके अलावा अपील में जाने का समय भी 60 दिन तय किया गया.

कैबिनेट ने पुलिस रेडियो ऑपरेटर की नियुक्ति नियमावली में संशोधन का फैसला किया है. अब पुलिस रेडियो ऑपरेटर की नियुक्ति कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से की जायेगी. पहले लिखित और फिर शारीरिक दक्षता परीक्षा के बाद सफल प्रतिभागियों का चुनाव किया जायेगा.
अब केंद्र की जगह राज्य सरकार खुद ही करेगी मॉडल स्कूलों का संचालन
मंत्रिपरिषद ने राज्य के 89 मॉडल विद्यालयों को राज्य योजना के तहत स्थानांतरित करते हुए संचालन की स्वीकृति दी. पहले केंद्र प्रायोजित योजना के तहत भारत सरकार इन स्कूलों को संचालित करती थी. परंतु, चालू वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार ने मॉडल स्कूलों को मदद नहीं करने का फैसला लिया था.

अब राज्य में चल रहे मॉडल स्कूलों पर होने वाला शत-प्रतिशत व्यय राज्य सरकार को ही करना पड़ेगा. इस पर कुल 190 करोड़ रुपये खर्च होंगे़ मंत्रिपरिषद ने राज्य के सभी प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में बिजली की सुविधा बहाल करने के लिए 401.74 करोड़ रुपये खर्च करने की सहमति दी. वित्तीय वर्ष 2016-17 में 14469 मध्य विद्यालय, 6000 प्राथमिक विद्यालय और 51 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में यह सुविधा बहाल की जायेगी. शेष 19,654 विद्यालयों में वित्तीय वर्ष 2017-18 में बिजली बहाल करने का लक्ष्य तय किया गया है. काम के पहले चरण के लिए 200 रुपये विमुक्त करने की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गयी है.

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