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सोलर स्ट्रीट लाइट खरीद में लूट जारी

पंचायतों में हो रही सोलर लाइट खरीद पर कोई नियंत्रण नहीं, बंदरबांट में कई मुखिया हैं शामिल संजय रांची : पंचायतों में 13वें वित्त आयोग से मिली राशि से सोलर स्ट्रीट लाइट लगाये गये हैं. एक-एक सोलर स्ट्रीट लाइट 10-11 हजार रुपये अधिक देकर खरीदे गये. इसके बदले मुखिया को कमीशन दिया गया. इस बात […]

पंचायतों में हो रही सोलर लाइट खरीद पर कोई नियंत्रण नहीं, बंदरबांट में कई मुखिया हैं शामिल
संजय
रांची : पंचायतों में 13वें वित्त आयोग से मिली राशि से सोलर स्ट्रीट लाइट लगाये गये हैं. एक-एक सोलर स्ट्रीट लाइट 10-11 हजार रुपये अधिक देकर खरीदे गये. इसके बदले मुखिया को कमीशन दिया गया. इस बात का खुलासा होने के बाद भी नामकुम प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में सोलर लाइट की खरीद व इसमें धांधली होती रही है. अभी दो माह पहले भी टाटी सहित प्रखंड के कई पंचायतों में सोलर लाइट खरीदी गयी है. प्रखंड के अधिकारी भी सब जानते हुए चुप हैं.
पंचायती राज विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, सोलर लाइट खरीद की जांच हो जाये, तो इससे नया खुलासा हो सकता है. उक्त अधिकारी के अनुसार, सोलर लाइट आपूर्ति का काम करनेवाले कुछ लोग तो फरार हो गये हैं. दरअसल सोलर लाइट बेचनेवाले विभिन्न प्रखंडों में घूमते रहते थे. वहीं पंचायत प्रतिनिधियों से संपर्क कर उन्हें लाइट खरीद व कमीशन का अॉफर देते थे.
भारत सरकार की क्या है गाइड लाइन : भारत सरकार की गाइड लाइन के अनुसार, सरकारी नोडल एजेंसी (झारखंड के लिए जेरेडा) के जरिये ही सोलर उपकरणों की खरीद को प्राथमिकता देनी है, जो उपकरण से संबंधित तकनीकी पहलुओं की जांच भी करती है. इधर राज्य की किसी पंचायत ने जेरेडा द्वारा सोलर स्ट्रीट लाइट की निर्धारित दर पर खरीद नहीं की है.
जेरेडा किसी भी ब्रांड की सोलर स्ट्रीट लाइट 17586 रुपये में खरीदता है. यह 74 वाटवाले सोलर पैनल (मॉड्यूलर), 11 वाट के सीएफएल व 75 एंपियर की बैटरीवाले एक लाइट की कीमत है. इसमें पांच साल की वारंटी भीशामिल है.
18 हजार रुपये की लाइट 29 हजार में दी : सोलर माफियाओं ने करीब 18 हजार रुपये वाली इस लाइट के लिए 27 से 29 हजार रुपये तक लिये हैं. यह कीमत जेरेडा की कीमत से करीब 10-11 हजार रुपये अधिक है. विभिन्न पंचायतों के मुखिया सोलर लाइट लगा कर तगड़ी कमाई कर चुके हैं.
सरकार की चिट्ठी में दूरदराज की उन पंचायतों में सोलर लाइट लगाने का प्रावधान है, जहां बिजली नहीं है या फिर कम समय के लिए रहती है. इधर, कमाई के चक्कर में शहरों से सटे या कस्बाई इलाकों वाले वैसे पंचायतों के मुखियाओं ने भी खूब सोलर स्ट्रीट लाइट खरीदी, जहां विद्युत आपूर्ति होती है. अकेले रांची जिले की विभिन्न पंचायतों में 2013 तक 990 सोलर स्ट्रीट लाइट खरीदी गयी थी. प्रभात खबर ने सोलर लाइट में हो रही इस गड़बड़ी की खबर छापी थी. उपायुक्त, रांची ने प्रभात खबर में 17 फरवरी 2013 को छपी खबर सोलर लाइट के नाम पर लूट के बाद मामले की जांच का आदेश भी दिया था. मामले को गंभीर मानते हुए उन्होंने मामले की सघन व त्वरित जांच की बात कही थी. उपायुक्त ने लिखा था कि यदि मामला सत्य पाया गया, तो डीडीसी संबंधित दोषी व्यक्ति से अंतर राशि की वसूली कर उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई कर उन्हें सूचना देंगे.
जांच संपन्न होने तक किसी भी पंचायत द्वारा सोलर लाइट क्रय न करने व पूर्व में खरीदे गये लाइट का भुगतान नहीं करने का भी आदेश उपायुक्त ने दिया था. बाद में डीडीसी ने जो जांच रिपोर्ट दी. उसमें लाइट खरीद में गड़बड़ी की पुष्टि की गयी थी. वहीं खरीद पर खर्च करीब डेढ़ करोड़ रुपये की वसूली मुखिया व पंचायत सेवकों से करने तथा आपूर्तिकर्ताओं को काली सूची में डालने संबंधी अनुशंसाएं की गयी थी. उपायुक्त ने प्रखंड विकास पदाधिकारियों को कार्रवाई का नर्दिेश दिया था. इधर किसी प्रखंड से इस संबंध में दोषियों पर कार्रवाई की कोई सूचना नहीं है.
डीडीसी की रिपोर्ट व अनुशंसा
सोलर लाइट खरीद में अनियमितता के आलोक में बीडीओ को संबंधित मुखिया, आपूर्तिकर्ता व पंचायत सेवकों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई संबंधी स्पष्टीकरण प्राप्त करना है.
जेरेडा की डीजीएसएंडडी दर में दो वर्ष का रख-रखाव भी शामिल है. दो वर्ष से अधिक की वारंटी के लिए कुल मूल्य का दो फीसदी भुगतान देय है, जबकि विभिन्न आपूर्तिकर्ता द्वारा तीन वर्ष के मेंटेनेंस के लिए 4700, 5500 व 6000 रुपये भुगतान लिया गया है. ऐसे में दो फीसदी से अधिक देय राशि आपूर्तिकर्ताओं से वसूली करना. जेरेडा से सोलर स्ट्रीट लाइट लेने पर कुल 990 यूनिट लाइट पर 1.48 करोड़ रुपये अनुदान देय होता है, जबकि आपूर्तिकर्ताओं से बगैर अनुदान के लाइट की पूरी कीमत देकर खरीद हुई है. ऐसे में अन्य विधि सम्मत कार्रवाई सहित 1.48 करोड़ रुपये की वसूली संबंधित मुखिया व पंचायत सेवकों से करना है. लाइट की आपूर्ति टेक्निकल स्पेसिफिकेशन के अनुसार नहीं की गयी है.
जेएस ट्रेडर्स व अन्य आपूर्तिकर्ताओं को काली सूची में डालना तथा उनसे अंतर राशि वसूल कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना है. पर इस अनुशंसा पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. पंचायती राज विभाग के अनुसार पंचायतों में हो रहे कार्य के लिए सुपरवाइजरी का काम बीडीओ का है. प्रखंड के प्रशासनिक प्रमुख भी वही हैं.
किसी के पास आंकड़ा नहीं
राज्य भर की पंचायतों ने कुल कितनी सोलर स्ट्रीट लाइट खरीदी है, इसका आंकड़ा कहीं नहीं है. पंचायती राज विभाग ने पंचायतों के लिए 13वें वित्त आयोग से मिली राशि (अब 14वें वित्त आयोग से पैसा मिल रहा है) जिलों को उपलब्ध करा दी थी.
इस रकम से कौन-कौन से कार्य कराये जा सकते हैं, इसकी सूची भी दी गयी थी. इसमें सोलर लाइट लगाने का भी जिक्र है. इसके बाद जिलों से यह पैसे प्रखंडों के माध्यम से पंचायतों को मिले हैं. वहीं पंचायतों ने फंड का कैसा इस्तेमाल किया है, इसकी जानकारी न तो प्रखंड को है ओर न ही पंचायती राज विभाग को.

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