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झारखंड के 29 हजार गांवों का नक्शा देने को तैयार हुआ बिहार

पटना : बिहार सरकार, झारखंड के 29 हजार गांवों का नक्शा वापस कर देगी. शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह निर्णय लिया. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व झारखंड विकास मोरचा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने पिछले दिनों धनबाद में बिहार के सीएम से यह आग्रह किया था. इस पर मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को बाबूलाल […]

पटना : बिहार सरकार, झारखंड के 29 हजार गांवों का नक्शा वापस कर देगी. शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह निर्णय लिया. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व झारखंड विकास मोरचा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने पिछले दिनों धनबाद में बिहार के सीएम से यह आग्रह किया था. इस पर मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को बाबूलाल मरांडी और बिहार सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद नक्शा (कैडस्ट्रल व रिवीजनल सर्वेक्षण मानचित्र) लौटाने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी. झारखंड 15 साल से नक्शा देने की मांग करता रहा है.
लंबित मामलों को सुलझाया जायेगा : नीतीश कुमार ने कहा कि पूर्ववर्ती बिहार (झारखंड जब साथ था) के जो जिले झारखंड में चले गये हैं, उन जिलों से संबंधित राजस्व गांवों के कैडस्ट्रल व रिवीजनल सर्वेक्षण मानचित्रों की मूल प्रति झारखंड सरकार को स्थानांतरित कर दी जाये.

उन्होंने कहा कि यह फैसला बिहार की ओर से झारखंड राज्य के लिए अच्छी पहल होगी और इसी भावना से दोनों राज्यों के बीच अन्य लंबित मामलाें काे सुलझाया जायेगा. बैठक में बाबूलाल मरांडी, बिहार के विकास आयुक्त शिशिर कुमार सिन्हा, राजस्व एवं भूमि सुधार के व्यास जी और मुख्यमंत्री के सचिव चंचल कुमार, अतीश चंद्रा व मनीष कुमार वर्मा मौजूद थे.
वर्षों से लंबित मामले का त्वरित समाधान : बाबूलाल मरांडी
बैठक के बाद बाबूलाल मरांडी ने कहा कि मेरे छोटे से आग्रह पर नीतीश कुमार ने वर्षों पुराने लंबित मामले का त्वरित निबटारा कर दिया. बिहार-झारखंड के बंटवारे के बाद 29 हजार गांवों के नक्शे बिहार में पड़े हुए थे. ऐसे में जब लोगों को नक्शाें की जरूरत होती थी, तो परेशानी होती थी. नीतीश पिछले महीने जब धनबाद गये, तो उनसे यह आग्रह किया गया था. उन्होंने कहा था कि पटना लौट कर इसे दिखवायेंगे और आप (बाबूलाल मरांडी) जब पटना आयेंगे, तो इस पर मुहर भी लगा दी जायेगी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों काे बुलवाया और वस्तुस्थिति की जानकारी ली और इसकी स्वीकृति भी दे दी. उन्हाेंंने अफसराें से कहा कि वे झारखंड सरकार को यह सूचना दे दें कि उनके अफसर नक्शा ले जाएं.
सड़क बनाने का आग्रह: श्री मरांडी ने कहा कि उनका घर बिहार के बॉर्डर पर है, लेकिन सुविधाजनक सड़क नहीं है. नीतीश से चरखापटस से गगनपुर तक सड़क बनवाने का उन्हाेंने आग्रह किया गया. वहीं, नवादा-जमुई को जोड़नेवाली किऊल नदी पर पुल बनवाने और कौआकोल-करमाकर सड़क बनाने का प्रस्ताव भी मुख्यमंत्री को दिया गया. इन प्रस्तावों को भी नीतीश कुमार ने स्वीकार किया और जल्द कार्यवाही का भरोसा दिया.
क्या था नक्शा विवाद
राज्य विभाजन के बाद बिहार और झारखंड के बीच कैडस्ट्रल मैप (भूकर मानचित्र) के मुद्दे पर विवाद था. झारखंड की ओर से यह कहते हुए नक्शे की मांग की जाती थी कि इसके नहीं मिलने से राज्य का विकास प्रभावित होता है. बिहार अपनी शर्तों पर नक्शा देने की बात कहता था.
क्या कहना था बिहार का : इस मामले में बिहार की ओर से यह कहा जाता था कि झारखंड पहले पेंशन विवाद का निबटारा करे. बिहार की ओर से यह तर्क दिया जाता था कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम में निहित प्रावधान के तहत राज्य विभाजन के पहले के पेंशन दायित्व का निर्धारण कर्मचारियों की संख्या के अनुसार होना चाहिए. इसलिए झारखंड, बिहार को इस मद में 2500 करोड़ रुपये दे. इसके बाद उसे नक्शा दिया जायेगा.
क्या कहना था झारखंड : झारखंड सरकार की ओर से यह तर्क दिया जाता था कि पेंशन दायित्व का निर्धारण आबादी के आधार पर होना चाहिए. झारखंड को छोड़ शेष सभी नवगठित राज्यों के लिए आबादी का फाॅरमूला तय किया गया है. झारखंड के लिए भी यही अपनाया जाना चाहिए.
पेंशन बंटवारे का मामला है कोर्ट में : पेंशन बंटवारे के मुद्दे पर दोनों राज्यों के बीच कानूनी विवाद भी चल रहा है. झारखंड ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है. झारखंड इंटर स्टेट काउंसिल की बैठक के अलावा केंद्र सरकार के साथ होनावाली बैठकों में नक्शे का मांग उठाता रहा.

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