अपर चुटिया में अतिक्रमण हटाने से जुड़ी फाइल वर्ष 2008 में गायब हो गयी थी. यह फाइल अपर चुटिया निवासी हरिप्रसाद अग्रवाल से संबंधित था. वर्ष 2010 में इस संबंध में चुटिया थाना में कांड संख्या-766/2010 दर्ज कराया गया. तब मामले में अज्ञात व्यक्ति को अभियुक्त बनाया गया था. कोतवाली थाना के एसआई कैलाश प्रसाद मामले के अनुसंधानक थे.
अनुसंधान के दौरान वह फाइल को नहीं ढ़ूंढ़ पाये. इसके बाद उन्होंने 31.12.2010 को मामले को सत्य, लेकिन सूत्रहीन बताकर मामले में अंतिम प्रतिवेदन सौंपा. हरिप्रसाद अग्रवाल ने इसके खिलाफ मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में प्रोटेस्ट पीटिशन दाखिल किया. 23 फरवरी 2015 को अदालत ने मामले का दुबारा अनुसंधान करने का आदेश डीआइजी रांची को दिया.
डीआइजी के आदेश के बाद मामले का दुबारा अनुसंधान शुरू किया गया. अनुसंधानक ने सदर एसडीओ को पत्र लिख कर फाइल के बारे में जानकारी मांगी. लेकिन एसडीओ कार्यालय द्वारा न तो फाइल उपलब्ध करायी गयी और न ही फाइल गायब होने के दोषी व्यक्ति का नाम बताया गया. भूमि सुधार उप समाहर्ता कार्यालय के प्रशाखा पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि उस फाइल को वर्ष 2010 में एसडीओ कार्यालय में भेजा गया था. तत्कालीन उप समाहर्ता कार्तिक प्रभाष ने अपने बयान में अनुसंधान में बताया कि पुलिस बल एवं दंडाधिकारी की प्रतिनियुक्ति के लिए संबंधित फाइल तत्कालीन एसडीओ के कार्यालय में भेजा गया था. प्रधान सहायक सरेन कुमार तामंग ने तत्कालीन एसडीओ मनोज कुमार को फाइल सौंपा था, जिसे मनोज कुमार ने रख लिया था. सरेन कुमार तामंग ने यह बात उन्हें बतायी थी. उन्होंने यह भी बताया कि फाइल को तत्कालीन एसडीओ ने नहीं लौटाया. उस फाइल की जवाबदेही उन्हीं की बनती है. वही जानते हैं कि फाइल कहां रखी गयी है.