राज्य के पांचवीं अनुसूची वाले क्षेत्र का प्रशासन अौर नियंत्रण देश के शेष भागों से अलग तरीके से हो, पर झारखंड में इसका भी पालन नहीं किया जा रहा है. कहा गया है कि राज्य के आदिवासी अौर मूलवासियों के लिए खतियान दिखाना जरूरी है, अन्य के लिए शपथ पत्र अनिवार्य होंगे, यह मूलवासियों के साथ अन्याय है.
अन्य बिंदुअों में विसंगतियों को रेखांकित किया गया है. इस अवसर पर मंच के मुख्य संयोजक राजू महतो ने कहा कि वाहवाही के लिए उठाये गये इस कदम का खमियाजा राज्य की आदिवासी मूलवासी जनता को उठाना पड़ रहा है. राजभवन मार्च में देवीदयाल कुशवाहा, बाबू भाई विद्रोही, अनथन लकड़ा, आजम अहमद, मो हाकिम, मुस्ताक हसन, गोपाल महतो, दीपक एक्का, अोम प्रकाश महतो, नंदलाल साव सहित अन्य उपस्थित थे.