Advertisement
झारखंड का शाहाबाद बना केरसई प्रखंड
सिमडेगा से लौट कर जीवेश jivesh.singh@prabhatkhabar.in खाने को माड़-भात, रहने को टूटा-फूटा घर, पर उत्साह में कोई कमी नहीं. कई किलोमीटर पैदल चल स्कूल जाने, खाली पैर, पसीने से लथपथ बदन, पर हॉकी स्टिक (अधिकतर बांस के स्टिक) के बल बॉल को नचाती लड़कियों की टोली में चक दे इंडिया का शोर सबसे तेज सुनाई […]
सिमडेगा से लौट कर
जीवेश
jivesh.singh@prabhatkhabar.in
खाने को माड़-भात, रहने को टूटा-फूटा घर, पर उत्साह में कोई कमी नहीं. कई किलोमीटर पैदल चल स्कूल जाने, खाली पैर, पसीने से लथपथ बदन, पर हॉकी स्टिक (अधिकतर बांस के स्टिक) के बल बॉल को नचाती लड़कियों की टोली में चक दे इंडिया का शोर सबसे तेज सुनाई देता है. न फैशन का टसन, न ही भूख की चिंता, स्पर्द्धा है, तो बस इस बात की कि कब देश के लिए गोल दागेंगी. कुछ ऐसा ही है सिमडेगा का केरसई प्रखंड.
सिमडेगा से 30 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ अौर अोड़िशा की सीमा पर सटे इस प्रखंड ने राज्य में सबसे ज्यादा हॉकी खिलाड़ी दिये हैं. कुछ बड़े नामों में शामिल हैं सिलवानुस डुंगडुंग (स्वर्ण पदक विजेता, ओलिंपिक), इंडिया टीम की पूर्व कप्तान व वर्तमान कोच असुंता लकड़ा, विमल लकड़ा (पूर्व खिलाड़ी इंडिया टीम) व वीरेंद्र लकड़ा (इंडिया टीम). वर्तमान में भी यहां की दर्जनों लड़कियों ने न सिर्फ देश व राज्यस्तरीय टीम में अपनी जगह बनायी है, बल्कि राष्ट्रीय जूनियर टीम के लिए आयोजित कैंप में भी अपनी दमदार उपस्थिति दिखायी है.
राज्य के सबसे पिछड़े जिलों में एक सिमडेगा के गांवों से जब काम की तलाश में पलायन करनेवालों की संख्या बढ़ी है, दो जून की रोटी के लिए मां-बाप पल्लु के कोर से आंसू पोछते हुए अपनी बच्चियों को यह जानते हुए कि सकुशल वापसी की गारंटी नहीं पुणे, दिल्ली, मुंबई या बेंगलुरु की राह पकड़वा रहे, वैसे में केरसई प्रखंड, खास कर इसकी सात पंचायतों में एक बासेन नयी राह दिखा रही है.
यह सब किसी सरकारी मदद से नहीं हुआ़ संभव हो पाया, तो यहां के स्कूलों के कुछ शिक्षकों व अन्य सामाजिक लोगों की बदौलत. यूं तो बासेन पंचायत में पांच स्कूल हैं, जहां बच्चों को हॉकी के प्रति जागरूक किया जाता है, पर सबसे ज्यादा पहचान बनायी है, करंगागुड़ी के रोमन कैथोलिक मध्य विद्यालय ने. विद्यालय के फादर बेनेदिक कुजूर का लगाव ऐसा कि 600 बच्चोंवाले इस स्कूल में बच्चे की इंट्री तभी होती है, जब वह स्टिक अपने साथ लाता है. वरना उसे कक्षा में घुसने नहीं दिया जाता.
वह दृश्य देखने लायक होता है कि एक हाथ में स्टिक अौर दूसरे में बस्ता (स्कूल बैग) लिये बच्चों की टोली विभिन्न रास्तों से स्कूल में प्रवेश करती है. स्कूल की अवधि खत्म हो जाने के बाद फादर खुद बच्चों के साथ मैदान में घंटों पसीना बहाते हैं. कुछ ऐसा ही हाल है राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय, बासेन का. यहां के प्रधानाध्यापक कमलेश्वर मांझी बच्चों के साथ लगे रहते हैं. अन्य तीन स्कूलों ने भी बच्चों में जागरूकता फैलाने का काम किया है.
इन बच्चों व शिक्षकों का उत्साह बढ़ाने में लगे रहते हैं सिमडेगा जिला हॉकी संघ के महासचिव मनोज कुमार कोनबेगी. खुद के पैसे से बच्चों के लिए ड्रेस, जूते अौर स्टिक की व्यवस्था करते हैं. बच्चों को इंग्लिश बोलना सिखाते हैं, तािक अगर वे बाहर खेलने जायें, तो िदक्कत न हो. उनके अनुसार इलाके में जबरदस्त ऊर्जावान बच्चे हैं, पर सरकार को इसकी चिंता नहीं. राज्य में झारखंड सरकार का 105 डे बोर्डिंग व 24 आवासीय सेंटर हैं, पर इतना महत्वपूर्ण होने के बाद भी इस प्रखंड में एक भी सेंटर नहीं.
श्री कोनबेगी कहते हैं, आज दूसरे राज्य के लोग इस शर्त पर मदद करने को तैयार हैं कि ये बच्चे उनके राज्य से खेलें, पर झारखंड में शासन, प्रशासन व कॉरपोरेट हाउसों को इससे कोई मतलब नहीं. सच भी है आज हरियाणा के शाहाबाद को टक्कर दे रहे इस पिछड़े जिले के बच्चों को अगर मदद मिले, तो वो दिन दूर नहीं होगा, जब हॉकी में सिर्फ सिमडेगा का बोलबाला होगा. स्मरण रहे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसी वर्ष फरवरी महीने में दिल्ली में ग्रामीण विकास विभाग के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिमडेगा की महिला हॉकी खिलाड़ियों की तसवीर दिखाते हुए कहा था कि सिमडेगा की हॉकी लोगों की स्क्रिप्ट बदल सकती है, पर अफसोस झारखंड के इस शाहाबाद पर अब तक किसी की नजर नहीं पड़ी.
उपस्थिति है दमदार
जिला हॉकी संघ के महासचिव मनोज कुमार कोनबेगी के अनुसार, सिमडेगा से बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हुए, पर इसमें केरसई की उपस्थिति दमदार है. प्रखंडवार अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की सूची इस प्रकार है :
केरसई प्रखंड : असुंता लकड़ा, सुशीला लकड़ा, अंजुला टोप्पो, मसीहदास बा, सिलवानुस डुंगडुंग, विमल लकड़ा, वीरेंद्र लकड़ा, स्तानिसलास बाड़ा, अनूप कुल्लु.
इस वर्ष जो इंडिया कैंप में हैं : ईभा केरकेट्टा, अल्फा केरकेट्टा, वेतन डुंगडुंग, प्रमिला सोरेंग, अलका डुंगडुंग, संगीता कुमारी व रजनी सोरेंग.
ठेठईटांगर प्रखंड : असरीता लकड़ा, एडलीन केरकेट्टा, प्रीति सुनीला किड़ो, अनिला शोषण बेक, मरिता तिर्की, फतिमा एक्का, जेम्स केरकेट्टा, मलाकी लुगून, अभय एक्का व चंद्रशेखर खलखो.
सिमडेगा प्रखंड : नोवेल टोप्पो, सिरिल बिलुंग, इनोसेर कुलू व लोवंती कालोन मिंज. अभी इंडिया कैंप में है सलीमा टेटे.
कुरडेग प्रखंड : माइकल किंडो (ओलिंपियन गोल्ड मेडलिस्ट ) व विनिता खेस
बोलबा प्रखंड : कांति बा, सुमराय टेटे, अमरमणी कुलू, तारिणी कुमारी व अंजलुस िबलुंग
कोलेबिरा प्रखंड : मसीरा सुरीन, अनुमा सोरेंग व जस्टीन केरकेट्टा.
बानो प्रखंड : पुष्पा टोपनो व पूनम सुरीन.
केरसई प्रखंड की बच्चियों के नाम अौर भी हैं उपलब्धियां
सब जूनियर इंटर स्टेट : संगीता कुमारी, रेशमा सोरेंग, प्रीति मिंज, ब्यूटी डुंगडुंग, सुषमा कुमारी, दीपिका सोरेंग, दीप्ति कुलू व पिंकी एक्का.
जूनियर (अॉल इंडिया साईं) : वेतन डुंगडुंग, प्रमीला सोरेंग व अलका डुंगडुंग.
जूनियर इंटर स्टेट (झारखंड टीम ने कांस्य जीता) : अल्फा केरकेट्टा, रेशमा सोरेंग, स्मिता मिंज, ईभा केरकेट्टा, मरियम सोरेंग, दीपिका सोरेंग, संगीता कुमारी, कुमुदुनी कुलू, सुषमा कुमारी व दीप्ति कुलू.
सीनियर (इंटर स्टेट) : रजनी सोरेन, रंजीता मिंज व दीप्ति बिलुंग.
सीनियर अॉल इंडिया साईं : रीना बा, अलका डुंगडुंग व सीमा कुमारी. इसके अलावा आसाम टीम से शकुंतला कुमारी व सुभीता मिंज.
वर्तमान में राज्य के विभन्न ट्रेनिंग सेंटरों में केसरई की लड़कियों का दबदबा है
साईं सेंटर, रांची : 10
सिमडेगा सेंटर : 14
लचरागढ़ सेंटर : 19
बरियातू, रांची सेंटर : 09
इसके अलावा गुमला सेंटर में भी केरसई प्रखंड की लड़कियां हैं.
प्रतिभा ऐसी-ऐसी
1. करंगागुड़ी की ही हैं संगीता कुमारी. इस वर्ष कैंप में चुनी गयी हैं. पिछले वर्ष जूनियर नेशनल, सब जूनियर व अन्य राष्ट्रीय मैचों में कुल 50 गोल किये थे. द्रोणाचार्य सम्मान से सम्मानित एमके कौशिक ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें गोद लेने की बात कही थी. उनके पिता रंजीत मांझी व मां लखमनी देवी कहते हैं, किसी को गोद नहीं देंगे खुद ही बेटी को बड़ा खिलाड़ी बनायेंगे.
2. वेतन डुंगडुंग का चुनाव इंडिया कैंप में हुआ है. नौ भाई-बहन हैं. पिता हबील डुंगडुंग बीमार रहते हैं. मां फुलजेंसिया डुंगडुंग घर चलाती हैं. इस कारण एक बेटी को मुंबई भेजा है कमाने के लिए, ताकि घर चलता रहे. बेटी किसके यहां काम करती है, माता-पिता को पता नहीं. कुछ पैसे भेजती है, जिससे हबील का इलाज होता है, पर वेतन के खेल पर कभी असर नहीं पड़ा. हबील कहते हैं कि कुछ भी हो जाये, बेटी को बड़ा खिलाड़ी बनायेंगे.
3. दीपिका सोरेन के पिता नहीं हैं. उसने जूनियर व सब जूनियर टीम की ओर से इंटर स्टेट टूर्नामेंट में भाग लिया. अच्छा प्रदर्शन किया. घर की स्थिति अच्छी नहीं. किसी तरह मां घर चलाती है, पर बेटी को बड़ा खिलाड़ी बनाना है.
जो बातें मन को दुखाती हैं
झारखंड में हॉकी खिलाड़ियों के लिए बने नियम उत्साहित करने की जगह दुखी करते हैं. हॉकी संघ के महासचिव मनोज कुमार कोनबेगी के अनुसार, राज्य के ट्रेनिंग सेंटरों के लिए नियम है कि अगर बच्ची ने इंटर पास कर लिया, तो उसे सेंटर छोड़ना होगा. श्री कोनबेगी कहते हैं कि ऐसी स्थिति में बच्चे परेशान हो जाते हैं.
खेल में बेहतर करने के कारण उनकी पढ़ाई अच्छी नहीं हो पाती है. अौर जब बेहतर खेल दिखाने का समय आता है, जब इंडिया टीम में चुने जाने की बारी आती है, तो सेंटर निकाल देता है. ऐसे में गरीब मां-पिता के पास इतने पैसे नहीं होते की वे अलग से ट्रेनिंग व खाने की व्यवस्था करें. ऐसे में बच्चे कहीं के नहीं रहते.
सेंटर से निकाला, अब धान बेच बेटी को सिखायेंगे
करंगागुड़ी गांव की ईभा केरकेट्टा बरियातू, रांची ट्रेनिंग सेंटर में थी. उसका चयन इंडिया कैंप में हो गया है. पर उसे सेंटर से निकला दिया गया. ईभा के घर जाने का रास्ता नहीं. गांव में पानी की व्यवस्था नहीं. बिजली भी नहीं है. गरीब पिता बेंजामिन केरकेट्टा खेती करते हैं.
उसकी मां सेरोफिला केरकेट्टा सबको देख जल्दी से मिट्टी साफ कर कुरसी देती हैं बैठने के लिए. पूछने पर कहती हैं कि बेटी ने बताया था कि देश के लिए चुनी गयी है, पर यह भी बताया कि सेंटर से निकला दिया गया. घर की माली हालत ठीक नहीं. मजदूरी भी नहीं मिलती. कहती हैं कि क्या करेंगे धान बेच देंगे, भूखे रहेंगे, पर बेटी को सिखायेंगे.
कुमुदुनी कुलू ने सब जूनियर, जूनियर, नेहरू कप, अंडर 14 व 19 के मैच खेले हैं. अच्छा प्रदर्शन रहा, पर इस वर्ष उसे उम्र हो जाने के कारण रांची के बरियातू आवासीय प्रशिक्षण केंद्र से निकाल दिया गया है. कहती हैं, अब खेल छोड़ देंगे. पढ़ाई भी ठीक से नहीं कर पायी, इस कारण अच्छी नौकरी नहीं मिल पाने की भी चिंता है. पिता विलियम कुलू कहते हैं कि जितनी शक्ति होगी बेटी के लिए करेंगे, पर अफसोस जताते हैं कि सरकार को सिर्फ वोट से मतलब है.
क्यों परेशानी का सबब बने ट्रेनिंग सेंटर
झारखंड के ट्रेनिंग सेंटरों में तीन आयुवर्ग में बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती है. इसमें 14, 17 व 19 वर्ष से कम उम्र के बच्चे शामिल होते हैं. 19 साल से बड़े बच्चों के लिए राज्य में कहीं भी ट्रेनिंग की सुविधा नहीं है. इस स्थिति में जब बच्चा खेल में करियर बनने के रास्ते में होता है, तो वह सड़क पर आ जाता है. जबकि ओड़िशा, हरियाणा व ग्वालियर में यह व्यवस्था है.
जानकारों के अनुसार हॉकी अकादमी बनाने से यहां भी बच्चों को आगे खेलने की व्यवस्था होती अौर अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी अौर निकलते, पर राज्य गठन के 15 साल बाद भी झारखंड में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं हुई, जबकि सब जानते हैं कि झारखंड में हॉकी के टैलेंट की कमी नहीं.
जाने केरसई प्रखंड को
सिमडेगा-ओड़िशा-छत्तीसगढ़ मार्ग पर सिमडेगा से 30 किलोमीटर दूर है केरसई प्रखंड. सात पंचायतोंवाले इस प्रखंड की आबादी 36997 है. इसमें महिलाओं की संख्या 18546 व पुरुषों की संख्या 18541 है.
सड़क तो ठीक है, पर अन्य सुविधाओं का घोर अभाव है. हर जगह बिजली नहीं. प्रखंड की बासेन पंचायत की हालत अौर खराब है. लगभग 7007 की आबादीवाली इस पंचायत में चार राजस्व गांव हैं गुझरिया, बासेन, करवारजोर व करंगागुड़ी. लगभग 38 टोलों में बसी इस पंचायत से सबसे ज्यादा महिला हॉकी खिलाड़ी निकलती हैं, पर यहां पर सुविधा नहीं. सड़कें नहीं हैं. बिजली अौर पानी का संकट है. खेती भी नहीं के बराबर है. योजनाओं की भी स्थिति ठीक नहीं. मुख्य सड़क छोड़ दें, तो पगडंडियों का भरोसा है. स्वस्थ सुविधाएं नहीं. किसी तरह जीते हैं लोग.
(साथ में िसमडेगा से रविकांत साहू)
कैसा है शाहाबाद
हरियाणा का शाहाबाद अपनी हॉकी अकादमी के कारण चर्चा में रहा है. अंबाला के पास दिल्ली-चंडीगढ़ हाइवे पर स्थित शाहाबाद की अकादमी से 40 अंतरराष्ट्रीय स्तर की महिला खिलाड़ी निकली.
इसका श्रेय इस सेंटर के द्रोणाचार्य सम्मान प्राप्त बलदेव सिंह को है. अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी लगातार निकलने के कारण यहां आना खिलाड़ियों के लिए सपना है. पर हाल ही में श्री सिंह ने पंजाब के फतेहगढ़ साहिब स्थित श्री गुरुग्रंथ साहिब वर्ल्ड यूनिवर्सिटी हॉकी अकादमी में योगदान दे दिया है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement