कम पैसा मिलने और ज्यादा काम के कारण वह एक साल बाद ही वहां से वापस लौट आयी थी़ वहीं, रीना ने बताया कि शराबी मां- बाप ने उसे भेज दिया था़ उसे उसकी भाभी को सुपुर्द किया गया़ इस पहल में लापुंग थाना प्रभारी, चाइल्ड लाइन के सदस्य रवींद्रनाथ श्रीवास्तव, पूनम, जास्मिन, रूपेश, दिल्ली चाइल्ड लाइन की टीम और बाल कल्याण समिति दिल्ली की महत्वपूर्ण भूमिका रही़.
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लापुंग की तीन लड़कियों को दिल्ली से छुड़ाया गया
रांची: चाइल्ड लाइन की सहयोगी संस्था छोटानागपुर सांस्कृतिक संघ के प्रयास से दिल्ली बाल कल्याण समिति व दिल्ली चाइल्ड लाइन द्वारा दिल्ली स्टेशन से छुड़ायी गयी लापुंग की तीन लड़कियों को शुक्रवार को वापस लाया गया. तीनों को उनके परिजनों के सुपुर्द किया गया़ दिल्ली में कानूनी प्रक्रिया पूरी करने व लापुंग में परिजनों सेे […]
रांची: चाइल्ड लाइन की सहयोगी संस्था छोटानागपुर सांस्कृतिक संघ के प्रयास से दिल्ली बाल कल्याण समिति व दिल्ली चाइल्ड लाइन द्वारा दिल्ली स्टेशन से छुड़ायी गयी लापुंग की तीन लड़कियों को शुक्रवार को वापस लाया गया. तीनों को उनके परिजनों के सुपुर्द किया गया़ दिल्ली में कानूनी प्रक्रिया पूरी करने व लापुंग में परिजनों सेे संपर्क करने के बाद उन तीनों लड़कियों को रांची लाया गया और उन्हें बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया.
नाबालिग मीना (परिवर्तित नाम), बीना (परिवर्तित नाम) व रीना (परिवर्तित नाम) को बेड़ो दोलइचा निवासी उनके जीजा हिमाचल के घरों में काम दिलाने का लालच देकर ले जा रहा था़ रांची चाइल्ड लाइन की सूचना पर डॉनबाॅस्को (चाइल्ड लाइन) ने आनंद विहार में इन तीनों लड़कियों को रेस्क्यू किया़ मीना ने बताया कि जब वह 13 वर्ष की थी, तब उसकी सगी मौसी उसे दिल्ली ले गयी थी और काम पर लगाया था़.
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