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पहाड़ी मंदिर: सावन में पहुंचेंगे लाखों भक्त, तैयारी शुरू नहीं
रांची: श्रावणी महोत्सव में महज डेढ़ माह बचे हैं. बड़ी संख्या में शिवभक्त रांची पहाड़ी मंदिर भी पहुंचते हैं. साेमवारी के दिन ताे यह संख्या एक लाख से भी अधिक हाे जाती है. पर अब तक महोत्सव की तैयारियों को लेकर कोई हलचल नहीं है. तैयारी शुरू भी नहीं हुई है. अभी स्थिति यह है […]
रांची: श्रावणी महोत्सव में महज डेढ़ माह बचे हैं. बड़ी संख्या में शिवभक्त रांची पहाड़ी मंदिर भी पहुंचते हैं. साेमवारी के दिन ताे यह संख्या एक लाख से भी अधिक हाे जाती है. पर अब तक महोत्सव की तैयारियों को लेकर कोई हलचल नहीं है. तैयारी शुरू भी नहीं हुई है. अभी स्थिति यह है कि मंदिर तक जाने का रास्ता ताे है, पर महिलाआें के उतरने का वैकल्पिक रास्ता बंद है. कई स्थानाें पर शेड उजड़ गये हैं. पाेल भी टेढ़े हाे गये हैं. शिवभक्त चाहते हैं, श्रावणी मेला शुरू हाेने से पहले सारी चीजें दुरुस्त हाे.
आम दिनाें में भी भीड़
रांची पहाड़ी पर आम दिनाें में भी काफी लाेग आते हैं. सावन में यह संख्या काफी बढ़ जाती है. साेमवारी काे बड़ी संख्या में कांवरिये भी आते हैं, इनमें महिलाएं भी हाेती हैं. इस साल 24 जनवरी काे झंडाेत्ताेलन के बाद पहाड़ी मंदिर का जीर्णाेद्धार कार्य शुरू हुआ. झंडाेत्ताेलन के कार्याें में मंदिर से सटा वैकल्पिक रास्ता पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हाे गया है. यानी भक्ताें के लिए मंदिर पर चढ़ने का ताे रास्ता है, पर कुछ दूर तक उतरने का भी वही रास्ता है. भक्ताें ने कहा कि अभी भीड़ कम है, ताे दिक्कत नहीं हाेती है. पर सावन में परेशानी बढ़ जायेगी. यही स्थिति रही, ताे भगदड़ हाे सकती है. जिला प्रशासन जल्द इस मामले काे देखे. व्यवस्था सुधारे.
जीर्णाेद्धार का काम बंद
बाबा भोलेनाथ के मुख्य मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य भी महीनो से बंद है. मुख्य मंदिर से सटे लाखों रुपये की लागत से बने हॉल को भी पिछले दिनाें ताेड़ दिया गया. इस वजह से दूर-दराज से आनेवाले श्रद्धालुओं के ठहरने की अब पहाड़ी मंदिर में काेई जगह ही नहीं बची है. हॉल के टूट जाने से पहाड़ी मंदिर पूरब दिशा से पूरी तरह खाली हो गया है. अभी स्थिति यह है कि वहां खड़ा हाेने की भी स्थिति नहीं है.
अभी समय है. हमलाेग जल्द इस मुद्दे पर बैठक करेंगे. सारी चीजें दुरुस्त कर ली जायेंगी.
आदित्य कुमार आनंद, एसडीआे सह सचिव पहाड़ी मंदिर विकास समिति
हालात बदतर
पहाड़ी पर सबसे बड़ा तिरंगा फहराने के लिए मास्ट लगाया गया. तिरंगा लगाने के लिए मचान भी बनाया गया था. मचान लोहे का था. खाेलने के क्रम में उसे नीचे गिराया जा रहा था उस दौरान लोहे का रॉड शेड पर गिरा और वह टूट गया. रॉड गिरने से उतरने के लिए जो वैकल्पिक रास्ता बनाया गया था, वह पूरी तरह से जर्जर हो गया. साथ ही मुख्य मंदिर से दायीं ओर जानेवाले रास्ते में शेड भी नहीं लगाये गये हैं. बारिश में भक्ताें काे भींग कर जाना होगा.
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