बड़ी संख्या में लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचे
फादर रंजीत पास्कल टोप्पो एसजे को कई लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की. श्रद्धांजलि देनेरालों में जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाम मरांडी, पूर्व शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की व गीताश्री उरांव, गुमला के बिशप पॉल लकड़ा, रांची के ऑग्जीलरी बिशप तेलेस्फोर बिलुंग, खूंटी के बिशप विनय कंडुलना, बिशप चार्ल्स सोरेंग, फादर फ्रांसिस कुरियन, फादर कल्याण, विनोद किस्पोट्टा, अमर बिरुली, आइआइसीएम के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ सत्येंद्र किशोर, फादर निकोलस टेटे, फादर अजीत खेस, फादर फ्लोरेंस कुजूर, फादर पॉल विजय, प्रो संजय बसु मल्लिक, जसबीर सिंह खुराना, स्व फादर रंजीत के पिता इग्नेस टोप्पो, भाई अमृत टोपो, वेलेरियस टोप्पो, जेम्स टोप्पो व परिवार के अन्य सदस्य सहित एक्सआइएसएस, संत जेवियर्स कॉलेज, संत जेवियर्स स्कूल, संत जॉन स्कूल, प्रभात तारा स्कूल, जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ पोलीटेक्नीक एंड टेक्नोलॉजी, सोसाइटी फॉर रूरल इंडस्ट्रियलाइजेशन के सदस्य, कई धर्मसमाजी आदि शामिल थे.
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श्रद्धांजलि: प्रभु ने दिया था, प्रभु ने ले लिया
रांची: फादर रंजीत पास्कल टोप्पो एसजे की अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए. संत मरिया महागिरजाघर में अंतिम ख्रीस्तयाग में कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो ने कहा कि फादर रंजीत पास्कल टोप्पो परिवार, समाज, कलीसिया व यीशु समाज के लिए वरदान थे़ यह वरदान प्रभु ने ही दिया और प्रभु ने ही ले लिया है़ […]
रांची: फादर रंजीत पास्कल टोप्पो एसजे की अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए. संत मरिया महागिरजाघर में अंतिम ख्रीस्तयाग में कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो ने कहा कि फादर रंजीत पास्कल टोप्पो परिवार, समाज, कलीसिया व यीशु समाज के लिए वरदान थे़ यह वरदान प्रभु ने ही दिया और प्रभु ने ही ले लिया है़ हमें हर परिस्थिति में प्रभु को धन्यवाद देना है़ उनका यशोगान करना है़ कृतज्ञतापूर्ण हृदय से उनके प्रेम का आभास करना है़.
वहीं कांटाटोली कब्रिस्तान में प्रोविंशियल फादर जोसफ मरियानुस कुजूर ने कहा कि मसीही विश्वास है कि अंतिम दिन ख्रीस्त हमारे नश्वर शरीर को पुनर्जीवित करेंगे़ अपने विश्वासियों को मुक्ति प्रदान करेंगे़ ईश्वर उनकी आत्मा को अनंत शांति प्रदान करें और शोकित परिवार को सांत्वना दे़ं.
एक्सआइएसएस को डीम्ड यूनिवर्सिटी बनाने के लिए थे प्रयासरत : फादर मरियानुस ने बताया कि स्व फादर रंजीत इसी साल एक्सआइएसएस के निदेशक बनना चाहते थे़ नये कैंपस के लिए 20-22 एकड़ जमीन ली गयी है़ वह इसे डीम्ड यूनिवर्सिटी बनाना चाहते थे़ एक्सआइएसएस की वेबसाइट बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही और वही इसे नियमित रूप से अपडेट करते थे़ वह गरीबों के हमदर्द थे़ लेखक भी थे और पलायन पर अपनी थीसिस को पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया था़ उन्हें अपनी मृत्यु का पूर्वाभास हो चुका था और वह इसके लिए मानसिक रूप से तैयार थे़.
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