घटना के 15 दिन के बीत जाने के बाद भी शूटर का गिरफ्तार नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है. पत्रकार के परिजनों को मुआवजा दिया जाये. उनकी पत्नी को नौकरी और बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था की जाये. साथ ही सरकार पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर काउंसिल की ओर से की गयी अनुशंसाओं को लागू करे. जांच टीम में संयोजक प्रभात कुमार दास, सदस्य राजीव रंजन नाग और संदीप शंकर शामिल हैं. श्री नाग ने बताया कि टीम के सदस्यों ने सोमवार को चतरा जाकर घटना की जानकारी ली. विभिन्न संगठनों से जुड़े 50 से अधिक लोगों से बातचीत की गयी. जांच में कई तथ्य सामने आये हैं. जांच टीम के सदस्य 10 जून से पहले काउंसिल को रिपोर्ट सौंप देंगे. उन्होंने बताया कि क्षेत्र ने लोगों ने मामले की सीबीआइ जांच और तत्काल पीड़ित परिजन को मुआवजा दिलाने की आग्रह किया.
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पत्रकार इंद्रदेव यादव के हत्यारे की अविलंब गिरफ्तारी हो: दास
रांची: प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की तीन सदस्यीय टीम पत्रकार इंद्रदेव यादव की हत्या की जांच कर चतरा से रांची लौट आयी है. टीम के सदस्य 25 मई को मुख्यमंत्री रघुवर दास से मुलाकात करेंगे. मंगलवार को सूचना भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए टीम सदस्यों ने कहा कि सरकार अविलंब इंद्रदेव यादव के […]
रांची: प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की तीन सदस्यीय टीम पत्रकार इंद्रदेव यादव की हत्या की जांच कर चतरा से रांची लौट आयी है. टीम के सदस्य 25 मई को मुख्यमंत्री रघुवर दास से मुलाकात करेंगे. मंगलवार को सूचना भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए टीम सदस्यों ने कहा कि सरकार अविलंब इंद्रदेव यादव के हत्यारे को गिरफ्तार करे.
पुलिस की जांच संतोषप्रद
टीम के सदस्यों ने कहा कि पुलिस की जांच संतोषप्रद है. हत्या में शामिल में तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. उनसे पूछताछ चल रही है. चतरा डीसी व एसपी ने भी जल्द ही शूटर को गिरफ्तार करने की बात कही है. इसके अलावा पीड़ित परिवार को मुआवजा और उनके बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था करने का भी भरोसा दिया है. यह पूछे जाने कि क्या टीम के सदस्य मुख्यमंत्री से इस मामले की सीबीआइ जांच कराने की अनुशंसा करेंगे. इस पर कहा गया कि यह काउंसिल के अधिकार से बाहर का मामला है.
पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर अलग कानून बने
टीम के सदस्यों ने कहा कि आजादी के 67 साल बीत जाने के बाद भी अब तक प्रेस को आजादी नहीं मिल पायी है. अब तक इसके लिए अलग से कानून नहीं बना है, जबकि अमेरिका में पत्रकारों के लिए फास्ट एक्ट बनाया गया है. पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर अलग से कोष बनाया जाना चाहिए, ताकि आपात घटना होने पर पत्रकारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा सके. काउंसिल ने पत्रकारों पर दर्ज मुकदमों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराने, इन्हें स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने, पत्रकारों के पीड़ित परिजनों को मुआवजा दिलाने की अनुशंसा की है.
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