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राज्य में सांप्रदायिक घटनाएं बढ़ी हैं

राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर मोरहाबादी में सदभावना सभा, बाबूलाल ने कहा रांची : राजीव गांधी की 25वीं पुण्यतिथि पर शनिवार को माेरहाबादी स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष राजीव गांधी सदभावना सभा का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष […]

राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर मोरहाबादी में सदभावना सभा, बाबूलाल ने कहा
रांची : राजीव गांधी की 25वीं पुण्यतिथि पर शनिवार को माेरहाबादी स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष राजीव गांधी सदभावना सभा का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखदेव भगत, पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव व अन्य उपस्थित थे.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा कि जब से इस राज्य में भाजपा की सरकार बनी है, तब से लेकर अब तक 60 से अधिक सांप्रदायिक दंगे हो चुके हैं. श्री मरांडी ने कहा कि राज्य का हर आदमी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है. श्री मरांडी ने कहा कि यह काम सरकार के दिशा निर्देश पर हो रहा है.
देश की राजनीति में आज उथल पुथल है : पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि देश की राजनीति में आज उथल पुथल है. हर गली में गांधी के हत्यारे गोडसे घूम रहे हैं. आज इस सदभावना सभा में हमें शपथ लेनी होगी कि हम इस देश को ऐसे गोडसे से मुक्त करायेंगे. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखदेव भगत ने कहा कि राज्य आज अशांत है. यह अशांति सरकार के संरक्षण में फैलायी जा रही है. इसलिए आज जरूरत है कि हम अपने सामाजिक सदभाव को बना कर रखें.
कार्यक्रम को पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, आभा सिन्हा, पूर्व मेयर रमा खलखो, अरुण उरांव, महानगर अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह, राजीव रंजन मिश्रा, राजीव रंजन प्रसाद, केडी सिंह, प्रदीप तुलस्यान, लाल किशोर नाथ शाहदेव, राजेश गुप्ता छोटू, अालोक कुमार दूबे, योगेंद्र सिंह बेनी, राकेश सिन्हा सहित कई गणमान्य लोगों ने संबोधित किया.
संचार क्रांति के जनक थे राजीव गांधी
रांची : झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 25 वीं पुण्यतिथि शहादत दिवस के रूप में मनायी गयी. कांग्रेस भवन में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत ने की. इस अवसर पर राजीव गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी. प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत ने कहा कि राजीव गांधी ने समाज एवं राष्ट्र के लिए बलिदान दिया. इसलिए उनकी पुण्यतिथि हम शहादत दिवस के रूप में मनाते हैं.
उन्होंने विश्व में भारत को स्थापित करने का काम किया. वे संचार क्रांति के जनक थे. आज लोग डिजिटल इंंडिया की बात करते हैं, जब राजीव गांधी देश को आधुनिक युग की ओर ले जा रहे थे, तो भाजपा ने इसका विरोध किया था. उनके प्रयास से मतदान में भाग लेने की आयु सीमा 21 वर्ष से घटा कर 18 वर्ष किया गया. मौके पर विधायक डॉ इरफान अंसारी, गीताश्री उरांव, अनादि ब्रह्म, प्रदीप तुलस्यान, समेत कई कांग्रेसी उपस्थित थे.
सत्ता विकेंद्रीकरण से ही लोगों को मिलेगा हक : पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने स्वर्गीय गांधी के सपनों के भारत पर चर्चा करते हुए कहा कि सत्ता विकेंद्रीकरण से ही लोगों को उनको हक मिलेगा. राजीव गांधी का यह सपना था कि गांवों में बसनेवाले भारत का कायाकल्प तभी हो सकता है, जब पंचायतों के माध्यम से चुने हुए जनप्रतिनिधियों के हाथों से सत्ता संचालित होगी.
सीइएससी के दुमका पावर प्लांट में कामकाज ठप
वर्ष 2005 में एक हजार मेगावाट के पावर प्लांट लगाने के लिए हुआ था एमओयू
रांची बिजली फ्रेंचाइजी मामले में भी कंपनी का 34 करोड़ रुपये डूबा
सुनील चौधरी
रांची :कलकत्ता इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी(सीइएससी) दुमका के काठीकुंड में प्रस्तावित पावर प्लांट को वापस लेने पर विचार कर रही है. कंपनी के सूत्रों ने बताया कि जमीन के मामले में 11 साल से कोई प्रगति न होने की वजह से अब कंपनी इस फैसले पर गंभीरता से विचार कर रही है. फिलहाल दुमका में पावर प्लांट से संबंधित कंपनी का कामकाज ठप है.
आरपीजी ग्रुप की कंपनी सीइएससी ने दुमका में एक हजार मेगावाट का पावर प्लांट लगाने के लिए 15 सिंतबर 2005 को एमओयू किया था. करीब पांच हजार करोड़ रुपये का निवेश करने का प्रस्ताव कंपनी की ओर से दिया गया था. पावर प्लांट के लिए 600 एकड़ जमीन की जरूरत बतायी गयी थी. 11 वर्ष बीत जाने के बावजूद कंपनी को जमीन नहीं मिली है. जबकि कंपनी द्वारा भूमि अधिग्रहण के लिए राशि भी जमा कर दी गयी थी. 9 फरवरी 2008 को ही कंपनी द्वारा दुमका के डीसी को 5.29 करोड़ रुपये भूमि अधिग्रहण के लिए जमा कर दिये गये थे.
नया भूमि अधिग्रहण कानून की वजह से यह मामला फंस गया. इसके बाद से ही कंपनी का काम ठप है. हालांकि एमओयू की अवधि 15 सितंबर 2016 को समाप्त हो रही है. इसके बाद कंपनी एमओयू के अवधि विस्तार के लिए आवेदन नहीं दे सकती है. इसके पीछे बड़ी वजह है कि कंपनी को अावंटित महुवागढ़ी कोल ब्लॉक भी रद्द हो गया है. हालांकि कंपनी के एक अधिकारी बताते हैं कि यदि जमीन की दिशा में सरकार पहल करे तो कंपनी प्लांट लगाने की दिशा में भी तेजी से काम करेगी. कोल ब्लॉक की नीलामी में भी हिस्सा कंपनी ले सकती है.
फ्रेंचाइजी पर फैसला नहीं होने से कंपनी को 34 करोड़ का नुकसान: सीइएससी का चयन ओपेन टेंडर के माध्यम से रांची में बिजली वितरणी फ्रेंचाइजी के लिए हुआ था. पांच दिसंबर 2012 को झारखंड की तत्कालीन भाजपा सरकार ने रांची में बिजली आपूर्ति करने के लिए सीइएससी व जमशेदपुर के लिए टाटा पावर के साथ एग्रीमेंट किया था.
इसके बाद इसे लेकर विरोध के स्वर यूनियनों की ओर से उठने लगे और सरकार इसे टालती रही. फिर सरकार बदल गयी. तत्कालीन ऊर्जा मंत्री राजेंद्र सिंह ने एग्रीमेंट ही रद्द कर दिया था. हालांकि कोर्ट ने कहा था कि इस पर फैसला बिजली बोर्ड ले सकता है. इसके बाद से बोर्ड ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है.19 दिसंबर 2015 को हाइकोर्ट ने झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड का निजी फ्रेंचाइजी के साथ किये गये एग्रीमेंट को रद्द करने संबंधी आदेश को खारिज कर दिया. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने उक्त फैसला सुनाया.
अदालत ने अपने फैसले में जमशेदपुर के लिए टाटा पावर कंपनी लिमिटेड व रांची के लिए सीइएससी द्वारा बनायी गयी रांची पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड के साथ वर्ष 2012 में किये गये करार को उचित ठहराया. हालांकि इसके बावजूद झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड ने फ्रेंचाइजी को वितरण व्यवस्था नहीं सौंपा और कोर्ट के आदेश को चुनौती दी. अब मामला कोर्ट में ही चल रहा है. कंपनी के एक अधिकारी बताते हैं कि करीब 34 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था. इस राशि से रांची में बिजली बोर्ड के समानांतर आधारभूत संरचना कंपनी द्वारा खड़ी की गयी. क्लब रोड में कॉरपोरेट ऑफिस बनाया गया, जिसे फिलहाल बंद कर दिया गया .
चार डिविजन ऑफिस कांटा टोली, रातू रोड, मेन रोड व खूंटी में बनाया गया था. वहीं 19 सब डिविजन ऑफिस भी सब स्टेशन के समानांतर बनाया गया था. सभी कार्यालय फिलहाल बंद है. केवल अशोक नगर में कॉरपोरेट कार्यालय है, जहां अभी केवल छह लोग कार्यरत हैं. कमड़े में एक वेयर हाउस बनाया गया था, जहां ट्रांसफारमर व अन्य उपकरण मंगा कर वापस भेजना पड़ा.बताया गया कि इन कार्यों में कंपनी को 34 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. कंपनी के एक अधिकारी बताते हैं कि सरकार न तो पावर प्लांट के मामले में और न ही फ्रेंचाइजी के मामले में कोई ठोस निर्णय लेती है, जिस कारण अब विवश होकर कंपनी यहां से अपनी परियोजना वापस लेने का विचार कर रही है.
34 पावर कंपनियों ने 51 हजार मेगावाट के लिए एमओयू किया था
झारखंड गठन के बाद से बिजली के क्षेत्र में 34 कंपनियों द्वारा 51 हजार मेगावाट क्षमता के पावर प्लांट लगाने के लिए एमओयू किया था. सभी एमओयू वर्ष 2005 से लेकर 2012 के बीच हुए थे.
यदि उक्त परियोजनाएं झारखंड में लग जाती तो झारखंड देश के आधे हिस्से में बिजली आपूर्ति करने में सक्षम होता. पर जमीन न मिलने की वजह से धीरे-धीरे कंपनियां यहां से जाने लगी. कोर स्टील एंड पावर, इमामी पेपर लिमिटेड, इलेक्ट्रो स्टील, गगन स्पंज आयरन लिमिटेड, गुप्ता एनर्जी लिमिटेड, जायसवाल निको लिमिटेड, केवीके नीलांचल पावर लिमिटेड, चंडी दुर्गा इस्पात लिमिटेड, मिनरल मैनेजमेंट सर्विसेज एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, प्रज्ञादिशा पावर लिमिटेड, रिलायंस एनर्जी,एसकेएस इस्पात लिमिटेड,सूर्या विनायक एनर्जी लिमिटेड, विसा पावर लिमिटेड,मधुकान, हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, इंडियाबुल्स पावर, अवंति एनर्जी, इस्पात एनर्जी लिमिटेड, कोंडेनिशिया पावर लिमिटेड जैसी कंपनियों पावर प्लांट लगाने का प्रस्ताव वापस ले लिया. अभी केवल सात कंपनियों का ही एमओयू वैध है. जिसमें सीइएससी, टाटा पावर, अभिजीत ग्रुप, अडाणी ग्रुप, डालमिया पावर, एस्सार पावर व आधुनिक ग्रुप.

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