सामान्य तौर पर इतनी मिट्टी के इस्तेमाल के लिए 18 रुपये प्रति घन मीटर की दर से रॉयल्टी का भुगतान किया जाना चाहिए. ठेकेदार द्वारा रॉयल्टी भुगतान नहीं करने पर उससे 38 रुपये प्रति घन मीटर की दर से 1.72 करोड़ रुपये की वसूली की जानी चाहिए थी, लेकिन एेसा नहीं करने से सरकार को 1.72 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
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इंजीनियर व ठेकेदार ने 1.72 करोड़ का नुकसान पहुंचाया
रांची: गालूडीह बराज प्रमंडल के इंजीनियर व ठेकेदारों ने सरकार को 1.72 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है. ठेकेदारों ने लघु खनिजों के लिए रॉयल्टी भुगतान से संबंधित दस्तावेज प्रमंडल में जमा नहीं किया़ वहीं इंजीनियरों ने ठेकेदारों से रॉयल्टी और दंड की वसूली नहीं की. राज्य के प्रधान महालेखाकार ने गालूडीह बराज प्रमंडल में […]
रांची: गालूडीह बराज प्रमंडल के इंजीनियर व ठेकेदारों ने सरकार को 1.72 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है. ठेकेदारों ने लघु खनिजों के लिए रॉयल्टी भुगतान से संबंधित दस्तावेज प्रमंडल में जमा नहीं किया़ वहीं इंजीनियरों ने ठेकेदारों से रॉयल्टी और दंड की वसूली नहीं की.
राज्य के प्रधान महालेखाकार ने गालूडीह बराज प्रमंडल में तटबंधों के निर्माण के ऑडिट के बाद सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजी है. इसमें कहा गया है कि राज्य में लागू नियम के तहत लघु खनिजों के इस्तेमाल करने की स्थिति में ठेकेदार द्वारा रॉयल्टी का भुगतान किया जाना है.
ठेकेदार द्वारा रॉयल्टी भुगतान से संबंधित दस्तावेज नहीं देने पर उससे रॉयल्टी की दो गुना राशि वसूलने का प्रावधान है. ऑडिट में पाया गया कि तटबंधों के निर्माण के दौरान ठेकेदारों ने 483225.896 घन मीटर मिट्टी का इस्तेमाल किया है. हालांकि रॉयल्टी भुगतान नहीं किया. इसके बावजूद इंजीनियरों ने ठेकेदारों से दंड और रॉयल्टी की वसूली नहीं की.
सामान्य तौर पर इतनी मिट्टी के इस्तेमाल के लिए 18 रुपये प्रति घन मीटर की दर से रॉयल्टी का भुगतान किया जाना चाहिए. ठेकेदार द्वारा रॉयल्टी भुगतान नहीं करने पर उससे 38 रुपये प्रति घन मीटर की दर से 1.72 करोड़ रुपये की वसूली की जानी चाहिए थी, लेकिन एेसा नहीं करने से सरकार को 1.72 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
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