विशेषज्ञों का कहना है कि गोंदा डैम में अतिक्रमण व गाद भरने से डैम की गहराई कम हुई है. यहां जून तक ही पानी (छह से सात फीट) का स्टॉक है. यह पानी छह से सात फीट तक बतायी जाती है. प्रति दिन डैम से चालीस लाख गैलन पानी की आपूर्ति चार वार्डों में की जाती है. इसमें मुख्यमंत्री आवास, राजभवन, रातू रोड का कुछ हिस्सा, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रिनपास, सीसीएल काॅलोनी गांधीनगर व सीएमपीडीआइ का इलाका शामिल है.
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कब्जा: गोंदा डैम के 35 फीसदी हिस्से पर अतिक्रमण
रांची: राजधानी रांची का गोंदा (कांके डैम) डैम 30 से 35 फीसदी तक अतिक्रमित हो गया है. 456 एकड़ में फैले इस जलाशय से राजधानी के वीआइपी इलाकों में जलापूर्ति की जाती है. 1960-65 के बीच डैम का निर्माण राजभवन, सीसीएल व आस-पास के इलाकों में जलापूर्ति के लिए किया गया था. पेयजल व स्वच्छता […]
रांची: राजधानी रांची का गोंदा (कांके डैम) डैम 30 से 35 फीसदी तक अतिक्रमित हो गया है. 456 एकड़ में फैले इस जलाशय से राजधानी के वीआइपी इलाकों में जलापूर्ति की जाती है. 1960-65 के बीच डैम का निर्माण राजभवन, सीसीएल व आस-पास के इलाकों में जलापूर्ति के लिए किया गया था. पेयजल व स्वच्छता विभाग की मानें, तो डैम का कैचमेंट एरिया अतिक्रमण से काफी प्रभावित हुआ है. विभागीय अधिकारियों के अनुसार, ग्रीन एरिया में भवनों के बनने से डैम का क्षेत्रफल 30-35 फीसदी तक कम हो गया है. डैम के ग्रीन एरिया में भी (200 मीटर तक निर्माण नहीं करना है) लोगों ने पक्के बना लिये हैं.
इससे डैम में पंडरा नाली से आनेवाला पानी भी अब कम आ रहा है. डैम से सटे इलाके में इंद्रपुरी, अलकापुरी, आर्यपुरी, सरवर नगर, पंचवटी के आगे का मुहल्ला, कैंब्रियन स्कूल के पीछे का इलाका व सीएमपीडीआइ मुख्यालय के विपरीत वाला क्षेत्र शामिल है. इन इलाकों में कई मकान बन गये हैं. इस कारण डैम का प्राकृतिक कैचमेंट एरिया प्रभावित हुआ है. इन मुहल्लों का गंदा पानी भी अब डैम में ही जा रहा है. हालांकि अब डैम में प्रविष्ट होनेवाले गंदे पानी को दो जगहों पर रोका गया है.
जानकारी के अनुसार, तत्कालीन मुख्य सचिव राजीव गौबा ने गोंदा और रूक्का डैम के कैचमेंट एरिया से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था,लेकिन इस पर आशानुरूप कार्रवाई नहीं शुरू हो पायी है. डैम के ग्रीन एरिया में बने भवनों पर जिला प्रशासन की ओर से नोटिस भी चिपकाया गया है. सरकार की ओर से हाल ही में डैम के गहरीकरण का काम भी शुरू किया गया है. 2010 में भी सीसीएल की तरफ से दिये गये 40 लाख रुपये से डैम का गहरीकरण का काम हुआ था.
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