रांची: शहर से सटे बड़े इलाके के लोग विकास योजनाअों के काम के लिए महज दो किमी की दूरी तय कर प्रखंड कार्यालय जाते हैं, पर जमीन संबंधी काम के लिए उन्हें 20 किमी दूर अंचल कार्यालय जाना पड़ता है. दो किमी की यात्रा में बीडीअो साहब मिल जाते हैं, पर सीअो साहब को ढूंढने […]
रांची: शहर से सटे बड़े इलाके के लोग विकास योजनाअों के काम के लिए महज दो किमी की दूरी तय कर प्रखंड कार्यालय जाते हैं, पर जमीन संबंधी काम के लिए उन्हें 20 किमी दूर अंचल कार्यालय जाना पड़ता है.
दो किमी की यात्रा में बीडीअो साहब मिल जाते हैं, पर सीअो साहब को ढूंढने के लिए लंबी यात्रा तय करनी पड़ रही है. यह सब अंचल व प्रखंड के बंटवारा में हुई असमानता की वजह से हो रहा है. यह स्थिति रातू व कांके के बीच पंचायतों का सही बंटवारा नहीं होने से हो रहा है. इससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है. लोगों ने अपनी बात सरकार तक पहुंचायी है.
पहले तो बड़ा इलाका बगल में स्थित रातू के बजाय दूर स्थित कांके से जुड़ा हुआ था. सबसे पहले इस मामले को तत्कालीन मुख्यमंत्री (बिहार) लालू प्रसाद के समक्ष उठाया गया था. तब लालू प्रसाद रातू गये थे. उनके आश्वासन के बाद भी बात नहीं बनी. अब जाकर इसमें संशोधन तो हुआ है, पर लोगों का अंचल व प्रखंड कार्यालय अलग-अलग हो गया है. यानी आधी समस्या रह ही गयी है.
क्या है मामला
सिमलिया, फुटकलटोली, कमड़े, झिरी, पिर्रा, सूंडिल, टेंडर, मनातू आदि इलाके के लोग अब रातू प्रखंड से जुड़ गये हैं. प्रखंड कार्यालय से संबंधित काम के लिए वे रातू कार्यालय जाते हैं, पर इन्हें भू-राजस्व से संबंधित काम के लिए अभी भी कांके अंचल कार्यालय जाना पड़ रहा है, जबकि कांके उनके इलाके से काफी दूर है. काफी प्रयास के बाद इन इलाके के लोगों का प्रखंड कार्यालय तो रातू किया गया, लेकिन अंचल कार्यालय वही रह गया है. यही स्थिति राज्य के अन्य इलाके में भी है. सरकार इससे संबंधित जानकारी मंगा रही है, ताकि उसमें संशोधन हो सके.