इस वजह से प्राकृतिक तरीके से डैम में पानी रिसने का प्रभाव लगातार कम हो रहा है. वहीं स्वर्णरेखा नदी के उदगम स्थल नगड़ी से भी डैम में पानी का फ्लो कम हो गया है. पहले कर्रा तक से डैम में पानी पहुंचता था. रिंग रोड के बनने से सिर्फ लाली गांव के पास बनी पुलिया के माध्यम से पानी आ रहा है. डैम की तलहटी में लाली गांव, डैम साइट का इलाका, तिरिल बस्ती से सटा इलाका, जगन्नाथपुर का इलाका और अन्य गांव शामिल है. अब इन गांवों में भारी संख्या में पक्के मकान बन रहे हैं. इस कारण डैम की तलहटी का एक्यूफर (जलीय चट्टानी परत) काम नहीं कर रहा है.
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रिंग रोड निर्माण से कम हुआ हटिया डैम का पानी
रांची: रांची के हटिया डैम में पानी कम होने का प्रमुख कारण डैम की तलहटी पर रिंग रोड का निर्माण और अन्य पक्का कंस्ट्रक्शन है. पेयजल व स्वच्छता विभाग के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2014 की तुलना में अब तक डैम में गाद व मिट्टी के भरने से लगभग 14 फीट गहराई कम हो गयी […]
रांची: रांची के हटिया डैम में पानी कम होने का प्रमुख कारण डैम की तलहटी पर रिंग रोड का निर्माण और अन्य पक्का कंस्ट्रक्शन है. पेयजल व स्वच्छता विभाग के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2014 की तुलना में अब तक डैम में गाद व मिट्टी के भरने से लगभग 14 फीट गहराई कम हो गयी है. नवंबर 2014 में जहां डैम का जल स्तर समुद्र तल से 2186 फीट था, वह 2016 में घट कर 2170 फीट हो गया है. मई 2015 में यह स्तर 2173 फीट था.
48 वर्ग किलोमीटर में फैले इस डैम का निर्माण 60 के दशक में हुआ था. उस समय एचइसी व इसकी एंसीलरी यूनिट तथा रेलवे के लिए इस डैम से पानी की जरूरतें पूरी की जाती थीं. बाद में इसका दायरा 19 वार्डों तक कर दिया गया. पूर्व अपर मुख्य सचिव सुधीर प्रसाद (अब सेवानिवृत्त) का कहना है कि डैम के नैसर्गिक फ्लो को बरकरार रखने की जरूरत है. अगर यह नहीं किया गया, तो चार-पांच वर्षों में डैम से पीने के पानी की आपूर्ति भी संभव नहीं हो पायेगी. जानकारी के अनुसार, डैम के कैचमेंट एरिया में ज्यूडिशियल अकादमी, सिक्स लेन रिंग रोड, केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बल का हेड क्वार्टर और कई अन्य निर्माण हुए हैं.
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