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गारंटर सरकारी, फिर भी 13.41 करोड़ डूबे
रांची: झारखंड जनजातीय सहकारी विकास निगम (जेटीसीडीसी) ने राज्य गठन से लेकर अब तक 22.45 करोड़ रुपये लोन बांटा है. हालांकि इसके विरुद्ध अब तक सिर्फ 9.04 करोड़ रुपये की ही वसूली हो सकी है. इस तरह निगम के करीब 13 करोड़ रुपये लगभग डूब गये हैं. जबकि निगम के प्रावधान के अनुसार किसी भी […]
रांची: झारखंड जनजातीय सहकारी विकास निगम (जेटीसीडीसी) ने राज्य गठन से लेकर अब तक 22.45 करोड़ रुपये लोन बांटा है. हालांकि इसके विरुद्ध अब तक सिर्फ 9.04 करोड़ रुपये की ही वसूली हो सकी है. इस तरह निगम के करीब 13 करोड़ रुपये लगभग डूब गये हैं. जबकि निगम के प्रावधान के अनुसार किसी भी अावेदक को ऋण तभी मिलता है, जब वह दो सरकारी कर्मचारियों को बतौर गारंटर पेश करता है.
यानी सरकारी गारंटर के रहते निगम के 13.41 करोड़ रुपये डूबे हैं. जेटीसीडीसी पहले एसटी, एससी, अोबीसी, विकलांग तथा अल्पसंख्यक समुदाय के बेरोजगार युवाअों को ऋण देता था. पर 2008 में अनुसूचित जाति विकास निगम तथा 2012 में अल्पसंख्यकों के लिए वित्तीय विकास निगम के गठन के बाद एससी व अल्पसंख्यकों को ऋण देना बंद कर दिया गया है. इसलिए ऋण व वसूली के उपरोक्त आंकड़े में एससी व अल्पसंख्यकों को पहले दिये गये ऋण या इसकी वसूली शामिल नहीं हैं.
दरअसल ऋण के लिए दो सरकारी कर्मचारियों को बतौर गारंटर खोज पाना बेरोजगार युवाअों के लिए एक मुश्किल काम है. इससे ऋण वसूली की गारंटी तो बढ़ सकती है, पर ऋण के लिए आवेदन देने वाले युवाअों का इससे अहित होता है. यही वजह है कि अभी जेटीसीडीसी में ऋण के लिए एक हजार से अधिक आवेदन पड़े हैं. पर इनमें से कुछ को ही ऋण मिल पाता है. ऋण देने की कुछ वर्षों से बंद प्रक्रिया को वर्तमान अधिकारियों ने फिर शुरू किया है. निगम के वर्तमान सचिव अरुण मांझी ने चालू वित्तीय वर्ष में अर्हता पूरी करने वाले चार एसटी व पांच दिव्यांगों के लिए क्रमश: आठ लाख तथा 8.25 लाख रुपये का ऋण आवंटित किया है. इन दोनों वर्गों के लिए दो-दो करोड़ रुपये का बजट है. सचिव के अनुसार निगम का काम मानव संसाधन की कमी से भी बाधित हो रहा है. यहां कुल 119 पद स्वीकृत हैं. पर इनमें से सिर्फ 38 कर्मी कार्यरत हैं.
ऋण व वसूली (करोड़ में)
समुदाय कुल ऋण कुल वसूली फीसदी
एसटी 17.64 6.92 39.2
अोबीसी 4.14 2.00 48.3
दिव्यांग 0.67 0.12 17.9
कुल 22.45 करोड़ 9.04 करोड़ 40.2 फीसदी
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