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थनैल बीमारी से घटता है दूध का उत्पादन : डॉ वर्मा
बिरसा कृषि विवि . वेटनरी कॉलेज में मनाया गया वेटनरी-डे बीएयू अंतर्गत वेटनरी कॉलेज में शनिवार को वेटनरी-डे का आयोजन किया गया़ मौके पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य अतिथि डॉ बीबी वर्मा ने दुधारू पशुओं में होनेवाली थनैल बीमारी के संबंध में विस्तार से जानकारी दी. रांची/कांके : स्कूल ऑफ वेटनरी क्लिनिकल मेडिसिन, बोस्टन, अमेरिका […]
बिरसा कृषि विवि . वेटनरी कॉलेज में मनाया गया वेटनरी-डे
बीएयू अंतर्गत वेटनरी कॉलेज में शनिवार को वेटनरी-डे का आयोजन किया गया़ मौके पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य अतिथि डॉ बीबी वर्मा ने दुधारू पशुओं में होनेवाली थनैल बीमारी के संबंध में विस्तार से जानकारी दी.
रांची/कांके : स्कूल ऑफ वेटनरी क्लिनिकल मेडिसिन, बोस्टन, अमेरिका के एडजंक्ट प्रोफेसर तथा बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय पटना के पूर्व प्राचार्य डॉ बीबी वर्मा ने कहा है कि भारत के 20 से 55 प्रतिशत दूधारू पशुओं में थनैल की बीमारी है. इससे उनकी प्रजजन्न क्षमता घट रही है.
उक्त बीमारी से दूध उत्पादन कम हो जाता है. इस बीमारी से ग्रसित पशुओं की दूध की गुणवत्ता में कमी आ जाती है. ऐसे पशु के दूध के सेवन से फूड प्वाइजनिंग, गले में खरास आदि समस्याएं पैदा हो सकती हैं. डॉ वर्मा शनिवार को बिरसा कृषि विवि अंतर्गत वेटनरी कॉलेज में वेटनरी-डे पर आयोजित ‘दुधारू पशुओं में थनैल बीमारी के नियंत्रण और बचाव की रणनीतियों’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है.
विश्व का 18.6 प्रतिशत दूध भारत में उत्पादित होता है. दूध की प्रति व्यक्ति दैनिक उपलब्धता भी वैश्विक औसत 299 ग्राम के मुकाबले भारत में 322 ग्राम है, लेकिन दुधारू पशुओं में थनैल बीमारी के प्रकोप के कारण देश में दूध उत्पादकता पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि दूध दुहने के बाद पशु को आधा घंटा खड़ी अवस्था में रखना चाहिए, ताकि थन में किसी प्रकार का इंफेक्शन न हो.
इस बीमारी के समुचित सर्वेक्षण, नियंत्रण और बचाव के लिए पशुचिकित्सकों को गांव-गांव का दौरा करना होगा. समस्या की वर्तमान अवस्था के बारे में प्रामाणिक आंकडा एकत्र करना होगा. उन्होंने थनैल के नियंत्रण और बचाव के लिए एक विस्तृत परियोजना प्रस्ताव बनाकर वित पोषण हेतु राज्य सरकार को समर्पित करने पर जोर दिया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विवि के कुलपति डॉ जॉर्ज जॉन ने कहा कि पशुचिकित्सा विज्ञान पशुओं से ज्यादा मनुष्य की चिंता करता है. पर्यावरण और पारिस्थितिकी, मिट्टी एवं जल स्रोतों से छेड़छाड़ के कारण भी कई नयी बीमारियां पैदा हो रही हैं.
डीन डॉ आरएल प्रसाद ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय वेटनरी कांग्रेस, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहल पर वर्ष 2000 से हर साल अप्रैल के अंतिम रविवार को वेटनरी-डे मनाया जाता है. इस दौरान आयोजित क्विज में चंदन कुमार, विश्वरंजन उपाध्याय व सुधीर सिंह की टीम ने प्रथम, डॉ कुंदन कुमार, मनमोहन कुमार व प्रिंस राज की टीम ने द्वितीय तथा तौफीक अहमद, अमला व अलोना संगम की टीम ने तृतीय स्थान प्राप्त किया.
वहीं भाषण प्रतियोगिता में सौरभ करूणामय को प्रथम, अमला को द्वितीय व विष्णु प्रभाकर को तृतीय तथा पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में अनुज प्रभाकर को प्रथम, अमला द्वितीय को तथा विष्णु प्रभाकर तृतीय स्थान मिला. कार्यक्रम का संचालन डॉ सुरेश मेहता व धन्यवाद ज्ञापन डॉ अरुण प्रसाद ने किया. इस अवसर पर कुलसचिव डॉ एन कुदादा, डॉ डीके ठाकुर, डॉ केपी सिंह, डॉ बलराज सिंह सहित कई लोग उपस्थित थे.
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