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हरमू मसजिद में हाथ-मुंह धोने के लिए भी पानी नहीं

रांची : हरमू बाजार वाली हामीन मसजिद में वजू (हाथ-मुंह धोने) बनाने के लिए भी पानी नहीं है. लगभग छह दशक (60 साल) से अधिक पुरानी इस मसजिद में पहली बार पानी का गंभीर संकट उत्पन्न हुआ है. यहां पानी के लिए मसजिद कमेटी की अोर से राज्य बनने के बाद लगभग 195 फीट बोरिंग […]

रांची : हरमू बाजार वाली हामीन मसजिद में वजू (हाथ-मुंह धोने) बनाने के लिए भी पानी नहीं है. लगभग छह दशक (60 साल) से अधिक पुरानी इस मसजिद में पहली बार पानी का गंभीर संकट उत्पन्न हुआ है. यहां पानी के लिए मसजिद कमेटी की अोर से राज्य बनने के बाद लगभग 195 फीट बोरिंग करवाया गया था. इसी बोरिंग के पानी से सालों भर सभी काम होता आ रहा था. इस बार यह बोरिंग जवाब दे गया है.

इसके बाद से फिलहाल यहां वैकल्पिक व्यवस्था के तहत नमाजियों को घर से वजू (हाथ-मुंह धोने) कर आने को कहा गया है. वहीं यहां सिर्फ मेहमानों (बाहर से नमाज पढ़ने के लिए आनेवाले लोग) के वजू के लिए दो ड्रम पानी भर कर रखा जाता है. रात में मुहल्ले के स्थानीय नवयुवक इस ड्राॅम को भरते हैं़ यह पानी मसजिद के सामने हुए डीप बोरिंग से उपलब्ध हो रहा है.

मसजिद में लगायी गयी सूचना : मसजिद में कमेटी द्वारा सूचना लगायी गयी है कि बैतुलखुला व इस्तिनजा खाना (बाथरूम) में पानी देख कर जायें. यह भी कहा गया है कि पानी न हो तो बाहर से ले लें.
नगर निगम से पानी की मांग : मसजिद में नमाज पढ़ने आनेवाले लोगों ने निगम से टैंकर के माध्यम से पानी उपलब्ध कराने की मांग की है. उनका कहना है कि जब तक पानी की समस्या है, तब तक यहां टैंकर से जलापूर्ति की जाये ताकि लोगों को परेशानी न हो.
पैसा होने पर कमेटी डीप बोरिंग करायेगी : कमेटी के लोगों ने कहा कि कमेटी के पास पैसा होने पर बोरिंग को अौर गहरा कराया जायेगा़ फिलहाल फंड की कमी है. अंजुमन, वक्फ बोर्ड व नगर निगम से इसमें सहयोग करने की अपील की गयी है.
लोगों के सहयोग से हाे रही वैकल्पिक व्यवस्था
मसजिद कमेटी के सचिव महताब फारुकी ने कहा कि आम लोगों के सहयोग से वैकल्पिक व्यवस्था की गयी है. इसके स्थायी समाधान के लिए प्रयास किया जा रहा है. फंड की कमी के कारण तत्काल बोरिंग नहीं करायी जा रही है. हरमू बाजार इलाके में भी पाइपलाइन से पानी की व्यवस्था होनी चाहिए.
बूटी जलागार से हर रोज हजारों लीटर पानी बरबाद
राजधानी रांची समेत पूरे झारखंड में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. लाेग परेशान हैं. पानी के बिना जानवर मर रहे हैं. दूसरी ओर बूटी जलागार की छोटी-बड़ी पाइप लाइन से हर रोज हजारों लीटर पानी बरबाद हो रहा है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है.
हाइकोर्ट ने की थी टिप्पणी : बुधवार को हाइकोर्ट ने जल संकट से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए पानी की बरबादी को गंभीर मानते हुए कहा था कि एक बूंद भी पानी बरबाद हो, इसे बरदाश्त नहीं किया जा सकता. हाइकोर्ट की इस टिप्पणी के बाद भी पानी की बरबादी रोकी नहीं जा रही है.
10 जगहों पर लिकेज
बूटी जलागार की छोटी-बड़ी पाइप लाइन से 10 से अधिक जगहों से पानी बह कर बरबाद हो रहा है. कई जगहों पर तो तेजी से पानी बह रहा है.
जिसकी जिम्मेवारी, वहीं नहीं दे रहे ध्यान
आस-पास के लोगों का कहना है कि यह नजारा हर दिन देखा जा सकता है. अधिकारी यहां आते भी नहीं हैं. हर दिन कितना पानी बरबाद हो रहा है, इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है. दूसरी ओर पेयजल विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान ही नहीं दे रहे हैं.

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