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हाल स्टांप वेंडरों का जमीन पर बैठ कर निबटाते हैं काम, देते हैं करोड़ों का राजस्व

रांची: कचहरी में स्टांप वेंडरों की स्थिति काफी खराब है. इनके बैठने के लिए शेड की व्यवस्था नहीं है. नतीजा इन्हें जमीन पर बैठ कर काम करना पड़ता है. यहां वेंडरों की संख्या 40 है, जिन्हें लाइसेंस निर्गत है. कोई बोरे पर बैठ कर काम करते हैं, तो कोई पेपर बिछाकर. यही नहीं, कई लोग […]

रांची: कचहरी में स्टांप वेंडरों की स्थिति काफी खराब है. इनके बैठने के लिए शेड की व्यवस्था नहीं है. नतीजा इन्हें जमीन पर बैठ कर काम करना पड़ता है. यहां वेंडरों की संख्या 40 है, जिन्हें लाइसेंस निर्गत है. कोई बोरे पर बैठ कर काम करते हैं, तो कोई पेपर बिछाकर. यही नहीं, कई लोग तो खुले आकाश के नीचे बैठ कर काम करने को विवश हैं. बावजूद इसके सरकार को करोड़ो रुपये का राजस्व दे रहे हैं.
कई बार पीड़ा बतायी गयी: स्टांप वेंडरों का कहना है कि इस बारे में कई बार उपायुक्त व संबंधित विभाग को पत्र के माध्यम से अपनी पीड़ा बतायी गयी, पर कुछ नहीं हुआ.
मंत्री की भी नहीं सुनते : झारखंड राज्य मुद्रांक विक्रेता संघ के सचिव संपत लाल ने नगर विकास मंत्री सह स्थानीय विधायक सीपी सिंह को पत्र लिख कर वास्तविक स्थिति से अवगत कराया. श्री सिंह ने 23 जुलाई 2015 को रांची उपायुक्त को पत्र लिख कर इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई करने को कहा. लेकिन, कुछ नहीं हुआ.
स्थायी दुकान के लिए राशि जमा करायी गयी थी : वर्ष 1985 में स्थायी दुकान के लिए सभी वेंडरों से एक-एक हजार रुपये जमा कराया गया था. इसके अलावा तीन हजार रुपये दो किश्तों में जमा कराने को कहा गया था. परंतु आज तक न रुपया वापस हुआ, न ही दुकान मिल पायी. जिला नजारत में राशि जमा करायी गयी थी.
जमीन भी दिखायी गयी : बताया गया कि तत्कालीन उपायुक्त द्वारा इस दिशा में पहल कर कुछ जगहों पर जमीन भी दिखायी गयी. भूमि से संबंधित नक्शा भी प्रस्तुत किया गया. इसमें अपर समाहर्ता द्वारा प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया गया, पर उसके बाद कुछ नहीं हुआ.

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