श्री तिर्की ने कहा कि राज्य में पेयजल की योजनाएं जमीनी स्तर पर कारगर तरीके से लागू नहीं की गयी़ ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति की बात की जा रही है, लेकिन सचिवालय में बैठे पदाधिकारी को हालात की जानकारी नहीं है़ कई ग्रामीण इलाके में जल मीनार बन कर तैयार है, लेकिन पाइप लाइन नहीं बिछायी गयी है़ .
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झाविमो का आरोप, पेयजल संकट से निबटने में विफल रही सरकार
रांची : पूर्व मंत्री व झाविमो नेता बंधु तिर्की ने कहा कि पेयजल संकट से राज्य की जनता को निजात दिलाने में रघुवर सरकार फेल रही़ गरमी से पहले इस संभावित संकट से निबटने की तैयारी नहीं की गयी़ अब भीषण गरमी में सरकार के स्तर पर केवल आई वाॅश हो रहा है़. श्री तिर्की […]
रांची : पूर्व मंत्री व झाविमो नेता बंधु तिर्की ने कहा कि पेयजल संकट से राज्य की जनता को निजात दिलाने में रघुवर सरकार फेल रही़ गरमी से पहले इस संभावित संकट से निबटने की तैयारी नहीं की गयी़ अब भीषण गरमी में सरकार के स्तर पर केवल आई वाॅश हो रहा है़.
श्री तिर्की ने कहा कि राज्य में पेयजल की योजनाएं जमीनी स्तर पर कारगर तरीके से लागू नहीं की गयी़ ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति की बात की जा रही है, लेकिन सचिवालय में बैठे पदाधिकारी को हालात की जानकारी नहीं है़ कई ग्रामीण इलाके में जल मीनार बन कर तैयार है, लेकिन पाइप लाइन नहीं बिछायी गयी है़ .
करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच रहा है. इस तरह की योजना बनानेवाले अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए़ जल स्रोतों के संरक्षण के भी उपाय नहीं किये जा रहे है़ं सरकारी तालाब को भर कर भू-माफियाओं ने प्रशासन की मिलीभगत से जमीन बेच दी़ ऐसे एक भी मामले में कार्रवाई नहीं हुई़ श्री तिर्की ने कहा कि पेयजल विभाग में लूट-खसोट चल रहा है़.
कांग्रेस ने भी सरकार की आलोचना की
कांग्रेस प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि राज्य में भीषण जल संकट है़ पेयजल को लेकर हाहाकार मचा है़ रघुवर सरकार आम लोगों को पीने का पानी मुहैया नहीं करा पा रही है़ सरकार जमीनी स्तर पर संकट दूर करने के लिए कोई काम नहीं कर रही़ इसको लेकर विभागीय स्तर व निगम के स्तर पर भी कोई गंभीरता नहीं दिख रही है़ श्री प्रसाद ने कहा है कि मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी डैम की सफाई का काम नहीं हो सका़ विभागीय मंत्री भी अधिकारियों पर दोष मढ़ कर जनता को दिग्गभ्रमित कर रहे है़ं अधिकारियों की कार्यशैली का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खराब पड़े 28 हजार चापानलों काे चिह्नित करने के बाद भी उसकी मरम्मत नहीं हो सकी़
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