निर्माण पूरा नहीं होने के कारणों की जांच में कंसल्टेंट द्वारा स्थल निरीक्षण के बिना ही डीपीआर तैयार करने की बात सामने आयी. इस बीच प्रधान महालेखाकार ने निर्माण काम में गड़बड़ी और 6.75 करोड़ का खर्च बेकार होने की जानकारी दी. इसके बाद 2012 में चार सदस्यीय जांच समिति बनायी गयी.समिति ने अपनी रिपोर्ट में गड़बड़ी का उल्लेख किया. इसके बाद विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति बनी. समिति का उद्देश्य निर्माण कार्य शुरू कराना था, लेकिन काम शुरू नहीं हो सका. वर्ष 2013 में राष्ट्रपति शासन के दौरान राजस्व के मद्देनजर चेक पोस्ट का मामला फिर से सामने आया. इसके बाद पूरे मामले की समीक्षा की गयी और निगरानी जांच का फैसला किया गया.
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इंटिग्रेटेड चेकपोस्ट निर्माण में हुई गड़बड़ी की निगरानी जांच का मामला: तीन साल में भी नहीं मिले गड़बड़ी के पूरे दस्तावेज
रांची: वर्ष 2013 में राष्ट्रपति शासन के दौरान इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट निर्माण में हुई गड़बड़ी की निगरानी जांच का फैसला हुआ था. पर, तीन साल में भी जांच का कोई नतीजा सामने नहीं आया और न ही किसी के खिलाफ कार्रवाई हुई. जांच का मामला अब भी निगरानी और परिवहन विभाग के बीच फाइलों की […]
रांची: वर्ष 2013 में राष्ट्रपति शासन के दौरान इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट निर्माण में हुई गड़बड़ी की निगरानी जांच का फैसला हुआ था. पर, तीन साल में भी जांच का कोई नतीजा सामने नहीं आया और न ही किसी के खिलाफ कार्रवाई हुई. जांच का मामला अब भी निगरानी और परिवहन विभाग के बीच फाइलों की मांग को लेकर उलझा हुआ है. निगरानी की ओर से अब भी सूचनाएं मांगी जा रही है. वहीं परिवहन विभाग निगरानी को दी गयी फाइलों में ही संबंधित सूचनाओं के होने की बात कह रहा है.
राष्ट्रपति शासन में मई 2013 को निगरानी जांच का आदेश हुआ. इसके बाद निगरानी ने परिवहन विभाग को पत्र लिख कर 17 सूचनाएं मांगी. इनमें योजना स्वीकृति, योजना की प्रशासनिक स्वीकृति,निविदा आदि से जुड़ी सूचनाएं शामिल हैं. परिवहन विभाग ने निगरानी की मांग के आलोक में कुल 42 फाइल व फोल्डर निगरानी को भेज दिया. इसके बाद से लगातार निगरानी की ओर से विभिन्न प्रकार की सूचनाएं मांगी जा रही हैं. जवाब में परिवहन विभाग की ओर से यह कहा जा रहा है कि निगरानी को सौंपी गयी फाइलों में ही सारी सूचनाएं हैं. पर, निगरानी परिवहन विभाग के जवाब से संतुष्ट नहीं है. इस कारण अब तक जांच पूरी नहीं हो सकी है.
क्या है मामला : सरकार ने राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से 2001 में नौ इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट बनाने की योजना बनायी. इसके लिए आइसीआइसीआइ इंफोटेक को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया. टेंडर निबटारे के बाद केएस साॅफ्टनेट सोल्यूशन को चेक पोस्ट बनाना का काम दिया गया. उसने नौ में से पांच का काम शुरू किया, लेकिन पूरा नहीं किया. फिर भी उसे 6.75 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. विभाग से टेंडर और कंसल्टेंट नियुक्ति की फाइल गायब है. निगरानी बार-बार टेंडर से जुड़ी फाइलें मांग रही है, लेकिन फाइलों के गायब होने से विभाग निगरानी को इसे देने में असर्थ है.
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