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बदहाली : केंद्रीय स्कूल की तर्ज पर झारखंड में खुले थे 89 मॉडल स्कूल, उधार का स्कूल भवन, जुगाड़ के शिक्षक

रांचीछ राज्य में मॉडल स्कूल का हाल खस्ता है़ विद्यालय में न तो स्थायी शिक्षक हैं और न ही अपना भवन. विद्यालय खोले जाने के पांच वर्ष बाद भी विद्यालय जुगाड़ से चल रहा है़ वर्ष 2011 में केंद्र सरकार की योजना के तहत शैक्षणिक रूप से पिछड़े प्रखंडों में विद्यालय खोलने की योजना शुरू […]

रांचीछ राज्य में मॉडल स्कूल का हाल खस्ता है़ विद्यालय में न तो स्थायी शिक्षक हैं और न ही अपना भवन. विद्यालय खोले जाने के पांच वर्ष बाद भी विद्यालय जुगाड़ से चल रहा है़ वर्ष 2011 में केंद्र सरकार की योजना के तहत शैक्षणिक रूप से पिछड़े प्रखंडों में विद्यालय खोलने की योजना शुरू हुई थी़ झारखंड में कुल 203 मॉडल स्कूल खोले जाने थे़ इसके तहत वर्ष 2011 में 40, वर्ष 2012 में 49 तथा 2014 में 75 विद्यालय खोलने को स्वीकृति दी गयी थी़.

इन विद्यालयों में कक्षा छह से 12वीं तक की पढ़ाई होनी है़ बाद में केंद्र सरकार ने मॉडल स्कूल योजना को बंद कर दिया, जिसकी वजह से वर्ष 2014 में स्वीकृत 75 विद्यालयों में पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी. विद्यालय को केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर खोला गया था. विद्यालय खोलने का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को अंगरेजी माध्यम से शिक्षा देना था़ मॉडल स्कूल के लिए अब तक भवन निर्माण का कार्य पूरा नहीं हुआ है. स्कूल पहले से चल रहे विद्यालय के एक-दो कमरे में चल रहा़ प्रथम चरण में खुले 40 विद्यालयों का भवन निर्माण का कार्य चल रहा है़ अभी तक कोई विद्यालय नये भवन में शिफ्ट नहीं हुआ है़, जबकि दूसरे चरण में खुले 49 विद्यालय का भवन निर्माण कार्य अभी शुरू नहीं हुआ है़ ऐसे में विद्यालय वर्षों से उधार के भवन में चल रहे है़ं

केंद्र सरकार ने बंद की मॉडल स्कूल योजना
120 रुपये प्रति घंटी मानदेय
विद्यालय में अंगरेजी माध्यम से पढ़ाई होती है, पर शिक्षक हिंदी माध्यम के रखे जाते है़ं शिक्षकों को मात्र 120 रुपये प्रति घंटी के हिसाब से मानदेय का भुगतान किया जाता है़ मानदेय का भुगतान भी समय पर नहीं होता़ कई बार तो छह-छह माह शिक्षकों को मानदेय नहीं मिलता़ ऐसे में विद्यालय का पठन-पाठन प्रभावित होता है़.
समय पर बच्चों को नहीं मिलती किताब
बच्चों को सरकार की ओर से नि:शुल्क किताब देने का प्रावधान है़ बच्चों को अंगरेजी माध्यम की किताब दी जाती है़ स्कूल खुलने के बाद से कभी भी बच्चों को समय पर किताब नहीं मिली है़ ऐसे में बच्चों को बिना किताब पढ़ाई करनी पड़ती है़.
खाली रह जाती है सीट
विद्यालय में प्रति वर्ष सीट खाली रह जाता है़ विद्यालय में कक्षा छह में टेस्ट के आधार पर नामांकन लिया जाता है़ नामांकन टेस्ट जैक द्वारा लिया जाता है़ एक विद्यालय में 40 बच्चों के नामांकन का प्रावधान है़ वर्ष 2015 में 86 विद्यालय में सीट रिक्त रह गयी. कुछ विद्यालयों में तो नामांकन के लिए चयनित बच्चों की संख्या 10 से भी कम थी़
तीन शिक्षक के भरोसे स्कूल
स्कूल में शिक्षक की कमी है़ विद्यालय खोले जाने के समय अनुबंध पर तीन शिक्षक रखने का प्रावधान था़ विद्यालयों में गणित, विज्ञान व सामाजिक विज्ञान के शिक्षक ही अनुबंध पर नियुक्त किये गये थे़ इनमें से भी कुछ शिक्षकों ने विद्यालय आना बाद में बंद कर दिया़ विद्यालयों में एक शिक्षक बच गये थे़ इसके बाद स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को मॉडल स्कूल में सरकारी विद्यालय के शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति का आदेश दिया, पर सभी स्कूलों में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति नहीं हो पायी़
किस जिला में कितने मॉडल स्कूल
जिला स्कूल की संख्या
रांची 08
गुमला 08
लोहरदगा 02
सिमडेगा 05
खूंटी 03
हजारीबाग 05
गिरिडीह 11
धनबाद 02
कोडरमा 03
चतरा 02
लातेहार 03
दुमका 06
साहेबगंज 07
पाकुड़ 03
गोड्डा 04
जमशेदपुर 06
चाईबासा 06

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