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कौड़ी के भाव होटल को मिलेगा बिरसा स्टेडियम

झारखंड में खेल काे बढ़ावा देने के लिए रांची में 55 कराेड़ की लागत से जिस बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम का निर्माण किया गया था, अब उसके बड़े हिस्से काे 30 साल के लिए लीज पर देने का प्रस्ताव तैयार हाे चुका है. 30 हजार वर्गफीट का तैयार ढांचा सिर्फ 10 रुपये वर्गफीट की दर […]

झारखंड में खेल काे बढ़ावा देने के लिए रांची में 55 कराेड़ की लागत से जिस बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम का निर्माण किया गया था, अब उसके बड़े हिस्से काे 30 साल के लिए लीज पर देने का प्रस्ताव तैयार हाे चुका है. 30 हजार वर्गफीट का तैयार ढांचा सिर्फ 10 रुपये वर्गफीट की दर से हाेटल काे मिलेगा. दाे साल पहले की सरकार में यह प्रस्ताव बना था आैर अब वहां हाेटल खाेलने की तैयारी हाे रही है.
विवेक चंद्र
रांची : सरकार मोरहाबादी स्थित बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम के एक हिस्से को 30 साल के लिए किराये पर देने जा रही है. वहां होटल चलेगा, इसमें बाहर से लोग आकर ठहरेंगे, यहां रेस्टाेरेंट खुलेगा, इसमें जिम खुलेगा. इसका प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया है. किराये की दर सुनेंगे, तो आप चाैंक उठेंगे. 30 हजार वर्गफीट (तैयार ढांचा) के लिए हर माह लगभग तीन लाख रुपये लिये जायेंगे. यानी 10 रुपये प्रति वर्गफीट की दर से. इस प्रस्ताव पर एक अफसर की यह टिप्पणी है-क्या 10 बाइ 10 यानी एक साै वर्गफीट की एक दुकान स्टेडियम के आसपास के इलाके में एक हजार रुपये में मिल सकती है. इसके लिए कम से कम ढाई से तीन हजार रुपये देने हाेंगे. अगर सरकार ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी, ताे स्टेडियम में हाेटल चलेगा. बगल में साइ के खिलाड़ियाें का छात्रावास है, जहां छात्राएं रहती हैं, उनका रहना मुश्किल हाे जायेगा. सरकार काे मिलेगा क्या-सिर्फ तीन लाख रुपये हर माह, उस स्टेडियम के एक हिस्से के लिए, जिसे 55 कराेड़ की लागत से बनाया गया है, ताकि रांची में खेल का विकास हाे सके. यह याेजना आज नहीं बनी है, हेमंत साेरेन की सरकार में बनी थी आैर इसे वर्तमान सरकार आगे बढ़ा रही है.
तीन साल में 10 फीसदी बढ़ेगा किराया : स्टेडियम के 30 हजार वर्गफीट काे 30 साल की लीज पर देने की याेजना बनायी गयी है. हर साल सरकार को हाेटल से 37 लाख (लगभग तीन लाख हर माह) रुपये किराये के ताैर पर मिलेंगे.

तीन साल बाद इसमें 10 फीसदी की बढ़ाेतरी हाेगी. इसके बदले में स्टेडियम के वीवीआइपी गेस्ट हाउस के 32 कमरे, लॉबी, बहुद्देश्यीय हॉल, रसोई घर, तरणताल क्षेत्र, वाष्प कक्ष और दूसरे तल पर स्थित कमरों काे हाेटल काे साैंप दिया जायेगा. खबर है कि सनी स्टार होटल लिमिटेड नामक कंपनी से बातचीत लगभग पूरी हाे चुकी है. इसके बाद यह मामला कैबिनेट जानेवाला है.
मामूली किराये पर दिया जा रहा : जानकार बताते हैं कि मामूली दर पर इस स्टेडियम काे किराये पर दिया जा रहा है. पूरा क्षेत्र बना-बनाया है. इस पर सरकार के कराेड़ाें रुपये खर्च हुए हैं. इसे किराये पर देने से एक माह में सिर्फ तीन लाख रुपये रेंट आयेगा, वहीं, करमटाेली चाैक पर स्थित एक मैरेज हाउस के एक दिन का किराया लगभग तीन लाख है. हाेटल व्यवसाय से जुड़े एक विशेषज्ञ बताते हैं- जिस इलाके में स्टेडियम है, वहां हाेटल के एक कमरे का आैसत कीमत पांच हजार से ज्यादा है. स्टेडियम के पास में ही एक हाेटल है, जहां डबल बेड के कमरे की कीमत 6500 रुपये प्रतिदिन है. अगर इस दर काे भी आधार मान लिया जाये, ताे सिर्फ 32 कमरे के किराये से ही एक माह में हाेटल को 62 लाख से ज्यादा मिलेंगे. इसमें जिम, बहुद्देश्यीय हॉल, रेस्टाेरेंट से हाेनेवाली आय शामिल नहीं है. जिस क्षेत्र काे किराये पर देने की तैयारी चल रही है, उसमें बना-बनाया स्वीमिंग पुल आैर वाष्प कक्ष भी शामिल है.
2014 में बना था प्रस्ताव
बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम का हिस्सा क्लब या होटल के रूप में इस्तेमाल करने का प्रस्ताव पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कार्यकाल में तैयार किया गया था. 2014 में तत्कालीन खेल सचिव वंदना डाडेल के निर्देश पर तत्कालीन खेल निदेशक ददन चौबे ने प्रस्ताव बनाया था. विभाग की मंजूरी के बाद इसे मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाले खेल प्राधिकार के पास भेजा गया था. इस बीच बदलते राजनीतिक समीकरण में हेमंत सरकार गिर गयी. फिर चुनाव के बाद रघुवर दास के नेतृत्व में नयी सरकार बनी. श्री दास की अध्यक्षता में हुई खेल प्राधिकार की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी गयी. अब टेंडर निकाल कर काम सौंपने की तैयारी कर ली गयी है. कैबिनेट में भेजने के पहले वित्त और विधि विभाग से सहमति लेने की प्रक्रिया चल रही है. कैबिनेट की मंजूरी के बाद संबंधित कंपनी को होटल और क्लब के रूप में इस्तेमाल करने के लिए स्टेडियम का एक हिस्सा लीज पर दिया जायेगा.
55 करोड़ थी स्टेडियम की लागत
बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम की लागत लगभग 55 करोड़ थी. झारखंड में 2011 में हुए 34वें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के दौरान स्टेडियम की मरम्मत करायी गयी थी. राष्ट्रीय मापदंडों के अनुरूप स्तरीय सुविधाएं मुहैया कराने के बाद स्टेडियम में कुछ स्तरीय फुटबॉल मैचों का आयोजन किया गया था. पर, धीरे-धीरे स्टेडियम के रख-रखाव में लापरवाही बरती जाने लगी. निजी पार्टियों के लिए स्टेडियम का इस्तेमाल होने लगा. नतीजन, पिछले पांच सालों में स्टेडियम की हरी घास मिट्टी में मिल गयी. स्टेडियम बदहाल हो गया. चहारदीवारी में दरारें पड़ गयी है. समुचित रख-रखाव के अभाव में स्टेडियम स्तरीय फुटबॉल मैच आयोजन के लायक नहीं रह गया है.
अभी स्टेडियम का इस्तेमाल क्या है
वर्तमान में स्टेडियम का समतलीकरण किया जा रहा है. इसमें मिट्टी भराई का कार्य पूरा हो चुका है. मिट्टी भराई से पूर्व तक यहां स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साइ) के टूर्नामेंट आयोजित किये जाते रहे हैं. यहां ऑल इंडिया साइ के टूर्नामेंट का भी आयोजन होता रहा है. फिलहाल यहां साइ के ट्रेनी छात्र-छात्राएं अभ्यास करते हैं. इनमें हॉकी, वॉलीबॉल, फुटबॉल, तीरंदाजी, एथलेटिक्स आदि के खिलाड़ी शामिल हैं. इसके अलावा समय-समय पर सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रमों, सेना की बहाली आदि में भी स्टेडियम का इस्तेमाल किया जाता है.
क्या कहते हैं काेच : साइ की ट्रेनी लड़कियों को होगी परेशानी
साइ के वॉलीबॉल कोच विश्वनाथ सिंह कहते हैं : स्टेडियम के होटल में बदल जाने से सबसे ज्यादा परेशानी साइ की ट्रेनी लड़कियों को होगी. इनमें अधिकतर ट्रेनी आदिवासी हैं. ये लड़कियां सुबह-शाम अभ्यास करती हैं. स्टेडियम में ही उनका हॉस्टल भी है. होटल बन जाने से लड़कियों के अभ्यास में बाधा होगी. उनका वहां रहना भी कम मुश्किल नहीं होगा. होटल के कॉरिडोर से ट्रेनी छात्राओं का हॉस्टल साफ-साफ दिखेगा. ऐसे में छात्राओं की प्राइवेसी खत्म हो जायेगी. स्टेडियम के जिस हिस्से को होटल को देने का प्रस्ताव है, वहां सरकार के सहयोग से खिलाड़ियों को ठहराया जाता है, जो अब नहीं हो पायेगा.

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