गृह विभाग ने इस प्रारूप की कानूनी और तकनीकी जांच के लिए इसे विधि विभाग के पास भेजा. विधि विभाग की सहमति के बाद नियमावली के प्रारूप को कैबिनेट की बैठक में पेश किया गया. कैबिनेट ने दो जून 2015 को इस पर सहमति दे दी. इसके बाद सरकार ने इसे राज्यपाल के पास भेजा. अध्यादेश के सहारे इसे जल्द से जल्द लागू करने की इच्छा जतायी. राज्यपाल ने नियमावली के प्रारूप की जांच के बाद इसमें कुछ संशोधन करने का सुझाव दिया. इस पर राष्ट्रपति की सहमति लेने को बाध्यकारी करार दिया. राज्यपाल के सुझाव के आलोक में सरकार ने पहले के प्रारूप में आवश्यक संशोधन किया और इसे राज्यपाल के भेजा. राज्यपाल की सहमति के बाद इसे विधि विभाग के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजा गया, ताकि राष्ट्रपति की सहमति मिल सके. राष्ट्रपति ने अगस्त 2015 में इस पर सहमति दी. इसके बाद सरकार ने इसे लागू करने के लिए अध्यादेश का प्रारूप तैयार कर राज्यपाल की सहमति ली. इसके बाद सरकार ने 28 जनवरी 2016 को अध्यादेश के सहारे इस कानून को लागू किया.
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10 माह में बना संपत्ति जब्त करने का कानून
रांची: राज्य सरकार ने अपने अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा नाजायज तरीके से अर्जित संपत्ति को जब्त करने के लिए 10 माह में विशेष कानून बना कर उसे लागू कर दिया. कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू होने के दो माह बाद ही कैबिनेट ने इसे मंजूर कर लिया. हालांकि कानूनी पेंचीदगियों और इस पर राष्ट्रपति तक […]
रांची: राज्य सरकार ने अपने अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा नाजायज तरीके से अर्जित संपत्ति को जब्त करने के लिए 10 माह में विशेष कानून बना कर उसे लागू कर दिया. कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू होने के दो माह बाद ही कैबिनेट ने इसे मंजूर कर लिया. हालांकि कानूनी पेंचीदगियों और इस पर राष्ट्रपति तक की सहमति लेने की प्रक्रिया के मद्देनजर इसे जनवरी 2016 में लागू किया जा सका.
मुख्यमंत्री ने 16 मार्च 2015 को विधानसभा के बजट सत्र में भ्रष्ट अधिकारियों की संपत्ति जब्त करने के लिए विशेष कानून बनाने की घोषणा की. इसके बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य के वरीय अधिकारियों की एक बैठक हुई. इसमें विचार-विमर्श के बाद निरगानी मंत्रिमंडल को इसका प्ररूप तैयार करने का निर्देश दिया गया. निगरानी ब्यूरो(अब एसीबी) ने अप्रैल 2015 में नियमावली का प्रारूप तैयार कर सरकार को दिया.
गृह विभाग ने इस प्रारूप की कानूनी और तकनीकी जांच के लिए इसे विधि विभाग के पास भेजा. विधि विभाग की सहमति के बाद नियमावली के प्रारूप को कैबिनेट की बैठक में पेश किया गया. कैबिनेट ने दो जून 2015 को इस पर सहमति दे दी. इसके बाद सरकार ने इसे राज्यपाल के पास भेजा. अध्यादेश के सहारे इसे जल्द से जल्द लागू करने की इच्छा जतायी. राज्यपाल ने नियमावली के प्रारूप की जांच के बाद इसमें कुछ संशोधन करने का सुझाव दिया. इस पर राष्ट्रपति की सहमति लेने को बाध्यकारी करार दिया. राज्यपाल के सुझाव के आलोक में सरकार ने पहले के प्रारूप में आवश्यक संशोधन किया और इसे राज्यपाल के भेजा. राज्यपाल की सहमति के बाद इसे विधि विभाग के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजा गया, ताकि राष्ट्रपति की सहमति मिल सके. राष्ट्रपति ने अगस्त 2015 में इस पर सहमति दी. इसके बाद सरकार ने इसे लागू करने के लिए अध्यादेश का प्रारूप तैयार कर राज्यपाल की सहमति ली. इसके बाद सरकार ने 28 जनवरी 2016 को अध्यादेश के सहारे इस कानून को लागू किया.
फाइल मूवमेंट का संक्षिप्त ब्योरा
16-3-2015 को मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचारियों की संपत्ति जब्त करने के लिए कानून बनाने की घोषणा की
9-4-2015 को मुख्यसचिव की अध्यक्षता में इस मुद्दे पर बैठक हुई
20-4-2015 को निगरानी ब्यूरो ने नियमावली का प्रारूप तैयार कर सरकार को भेजा
21-4-2015 को इससे जुड़ी फाइल संयुक्त सचिव के पास भेजी गयी
21-4-2015 को गृह सचिव ने इस पर सहमति दी
23-4-2015 को मुख्य सचिव ने इस पर सहमति दी
30-4-2015 को मुख्यमंत्री ने इस पर सहमति दी
13-5- 2015 को विधि विभाग ने प्रारूप की जांच पड़ताल के बाद अपनी सहमति दी
14-5-2015 को वित्त सह योजना सचिव ने स्वीकृति दी
2-6-2015 को कैबिनेट ने प्रारूप पर सहमति दी
11-6-2015 को फाइल राज्यपाल के पास भेजी गयी
19-6-2015 को राज्यपाल ने संशोधन के सुझाव के साथ फाइल लौटायी
13-7-2015 को मुख्यमंत्री ने संशोधित प्रारूप पर सहमति दी
12-8-2015 को संशोधित प्रारूप पर सहमति देते हुए फाइल लौटायी
18-12-2015 को राष्ट्रपति ने इस पर सहमति दी
28-1-2016 को अध्यादेश के माध्यम से लागू किया गया
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