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लेखा-जोखा म्यूटेशन कराना व लगान देना आसान नहीं

रांची: राज्य में अभी तक म्यूटेशन कराने व लगान देने की व्यवस्था को सरल नहीं किया जा सका है. इससे लोगों को दाखिल-खारिज कराने व लगान देने में दिक्कत हो रही है. इस कमी को दूर करने के लिए डिजिटलाइजेशन की व्यवस्था की गयी है, लेकिन इसे पूरी तरह धरातल पर नहीं उतारा जा सका […]

रांची: राज्य में अभी तक म्यूटेशन कराने व लगान देने की व्यवस्था को सरल नहीं किया जा सका है. इससे लोगों को दाखिल-खारिज कराने व लगान देने में दिक्कत हो रही है. इस कमी को दूर करने के लिए डिजिटलाइजेशन की व्यवस्था की गयी है, लेकिन इसे पूरी तरह धरातल पर नहीं उतारा जा सका है.राज्य में जमीन का म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) कराना तो मुश्किल है ही, अपनी जमीन के लिए सरकार को लगान देने में भी दिक्कत हो रही है. लोग सरकार को लगान देने के लिए दौड़ रहे हैं, लेकिन आज भी अंचलों में लगान लेने के लिए लोगों को परेशान किया जा रहा है.

लगान की छोटी रकम देने के एवज में बड़ी रकम भी जमीन मालिकों से वसूलने की बात सामने आ रही है. जमीन के काम में लगातार पैसे की वसूली के मामले को लेकर एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) के स्तर से भी कार्रवाई की जा रही है. इस व्यवस्था को दूर करने के लिए डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू की गयी है. वहीं जमीन के सारे दस्तावेजों के डिजिटलाइजेशन के साथ ही अॉनलाइन म्यूटेशन व दाखिल-खारिज का काम किया जा रहा है,पर इसमें भी मात्र दो कदम ही राज्य बढ़ सका है. राज्य में सिर्फ एक ही अंचल नगड़ी में अॉनलाइन रसीद काटने का काम शुरू किया गया है.

विभाग में 2123 कर्मियों की कमी : राजस्व, निबंधन व भूमि सुधार विभाग के समक्ष मैन पावर की कमी बड़ी चुनौती है. विभाग में अंचल निरीक्षकों से लेकर राजस्व कर्मचारी, अमीन, लिपिक व निम्न वर्गीय लिपिक की कमी है. कुल मिला कर विभाग में 2123 कर्मियों की कमी है. इन कर्मियों की नियुक्ति करके ही विभाग का कामकाज सुचारु हो सकेगा. फिलहाल कर्मियों की कमी से ही जमीन संबंधी कार्य लटक रहे हैं. इससे लोगों को दिक्कत हो रही है. वहीं सभी अंचलों को अॉनलाइन करना भी बड़ी चुनौती है.

हाल प्रमुख योजनाअों का

1. राजस्व कार्यालयों व निबंधन कार्यालयों के बीच इंटर कनेक्टिविटी की स्थापना

स्थिति : फिलहाल इंटर कनेक्टिविटी से नहीं हो रहा है काम, विभाग का दावा है कई कार्यालय जोड़ दिये गये.

2. जिलों में मॉडर्न रिकॉर्ड रूम की स्थापना

स्थिति : सभी जिलों में मॉर्डन रिकॉर्ड रूम नहीं बना, पर कई अंचलों में यह शुरू हुआ है.

3.अॉनलाइन भुगतान की व्यवस्था

स्थिति : राज्य के एकमात्र प्रखंड नगड़ी में शुरू करने का दावा

4. हर जिले में भूमि बैंक की स्थापना की योजना

स्थिति : लगभग सभी जिलों में भूमि बैंक तैयार हो गया है

नोट : इन कार्यों के साथ ही जमीन के दस्तावेजों के डिजिटलाइजेशन आदि में अब तक 70 करोड़ से ज्यादा खर्च होने का अनुमान है. पैसा केंद्र सरकार द्वारा अलग-अलग शर्त्तों पर विभिन्न चरणों में दिया गया है. खर्च का आकलन किया जा रहा है.

गुजरे एक साल में हुए काम

अनुसूचित जनजातियों की जमीन के अवैध हस्तांतरण व सरकारी भूमि के अवैध हस्तांतरण को रोकने के लिए विशेष जांच दल का गठन हुआ

भूमि मुआवजा से संबंधित प्राक्कलन स्वीकृति के लिए डीसी को 25 करोड़ व प्रमंडलीय आयुक्त को 25 से 50 करोड़ तक की स्वीकृति

विभिन्न परियोजनाअों के लिए कुल 1905.9198 एकड़ भूमि का (नि:शुल्क/सशुल्क/टोकन मनी के तहत) हस्तांतरण किया गया.

सिर्फ नगड़ी अंचल में पायलट प्रोजेक्ट के तहत अॉनलाइन रसीद काटने की व्यवस्था

छह जिलों के अंचल व निबंधन कार्यालय को जोड़ने का काम

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