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उपवास के साथ सरहुल पूजा की शुरुआत
रांची : उपवास के साथ ही प्रकृति पर्व सरहुल शनिवार से शुरू हो गया. आज विभिन्न मौजा अौर क्षेत्रों में पाहन अौर पूजा में बैठने वाले सरना धर्मावलंबियों ने उपवास रखा. इससे पहले सरना स्थलों की साफ-सफाई कर उसे गोबर से लीप दिया गया था. सुबह में पाहन व उसके सहयोगियों ने गांव के आसपास […]
रांची : उपवास के साथ ही प्रकृति पर्व सरहुल शनिवार से शुरू हो गया. आज विभिन्न मौजा अौर क्षेत्रों में पाहन अौर पूजा में बैठने वाले सरना धर्मावलंबियों ने उपवास रखा. इससे पहले सरना स्थलों की साफ-सफाई कर उसे गोबर से लीप दिया गया था. सुबह में पाहन व उसके सहयोगियों ने गांव के आसपास के जलस्रोत में जाकर मछली अौर केकड़ा पकड़ा. पूजन विधि में केकड़ा को शामिल कर उसे बाद में धागे से बांधकर रख दिया जायेगा.
कुछ महीनों बाद जब फसल की बुआई होगी तो केकड़े के अवशेषों को खेतों में छिड़क दिया जायेगा. इस मान्यता के साथ कि केकड़े की भुजाअों की तरह धान की बालियां भी फले-फूले. एक अौर मान्यता के अनुसार सरहुल का पहला दिन केकड़ा व मछली को समर्पित किया जाता है. सृष्टि कथा में जिक्र है कि धरती को बनाने का पहला प्रयास केकड़ा द्वारा ही किया गया था.
हातमा के जगलाल पाहन ने अपने सहयोगियों के साथ केकड़ा पकड़ा. शाम में हातमा के पास स्थित तालाब में जाकर स्नान किया अौर वहां से दो नये घड़े में पानी भरकर लाया गया. स्थल पर उन्होंने नये घड़े में पानी भरकर उसे अरवा (कच्चा) धागे में बांधकर रख दिया. रविवार को इसी घड़े का पानी देखकर बारिश की भविष्यवाणी की जायेगी. आज पांच मुर्गे-मुर्गियों की बलि भी दी गयी.
इसमें सफेद मुर्गे की बलि ईश्वर के लिए, रंगुआ (लाल) मुर्गे की बलि ग्राम देवता के लिए, रंगली मुर्गी की बलि पूर्वजों के लिए, काली मुर्गी की बलि बुरी आत्माअों को शांत करने के लिए दी गयी. इसी के साथ ही धरती, मनुष्य, पशु-पक्षी सहित पूरे संसार में खुशहाली के लिए प्रार्थना भी की गयी. कोनका मौजा की महिलाअों ने कलशयात्रा भी निकाली. कलशयात्रा पुरुलिया रोड स्थित सरना स्थल तक गयी, जहां महिलाअों ने सरना स्थल पर पानी डालकर प्रार्थना की.
शोभायात्रा आज
रविवार की सुबह भी सभी सरना स्थलों पर पूजा की जायेगी. दोपहर बाद शोभायात्रा निकाली जायेगी. अलग-अलग क्षेत्रों से शोभायात्रा केंद्रीय सरना स्थल सिरम टोली पहुंचेगी. विभिन्न सरना समितियों ने अपील की है कि लोग पारंपरिक वेशवूषा में शोभायात्रा में निकलें. पुरुषों को धोती-गंजी अौर महिलाअों से लाल पाड़ की साड़ी पहनकर निकलने का आग्रह किया गया है. शोभायात्रा में मांदर, ढोल-नगाड़े जैसे वाद्य यंत्रों को ही बजाने की अपील की गयी है.
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