रांची: देश में प्रसव के दौरान रक्तस्नव से अधिक महिलाओं की मौत होती है. संक्रमण भी मौत का दूसरा कारण बनता है. अगर इसको रोका जाय तो काफी हद तक महिलाओं की मौत पर नियंत्रण किया जा सकता है.
इस प्रक्रिया में प्लेसेंटा प्रिविया एवं यूटेराइज एटोमी कारगर इलाज साबित होता है. यह बातें शनिवार को रिम्स टेली मेडिसिन में रॉग्स द्वारा आयोजित सेमिनार में डॉ दिलीप दत्ता ने कहीं. उन्होंने कहा कि मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में झारखंड की स्थिति सुधरी है. बिहार, ओड़िशा, उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में एमएमआर का रिकार्ड अच्छा नहीं है. इसमें सुधार की जरूरत है. कार्यक्रम का शुभारंभ रिम्स निदेशक डॉ तुलसी महतो ने किया.
उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को प्रकृति के साथ एवं समर्पित भाव से अपनी सेवा देनी चाहिए. रिम्स के स्त्री विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ प्रीतिबाला सहाय व डॉ शोभा चक्रवर्ती ने यह जानकारी दी. मौके पर रॉग्स की जिला अध्यक्ष डॉ उषा नाथ, डॉ करुणा झा, सचिव डॉ निर्मला सिंह, डॉ रीता लाल एवं रिम्स के स्त्री विभाग के जूनियर चिकित्सक मौजूद थे.