रांची: यूजीसी के निर्देश के बाद भी राज्य में अंगीभूत (डिग्री) कॉलेजों से इंटरमीडिएट की पढ़ाई अलग नहीं हुई. अंगीभूत कॉलेजों में लगभग एक लाख विद्यार्थी पढ़ते हैं. इनमें इंटर के विद्यार्थियों की संख्या सबसे अधिक है. महत्वपूर्ण बात यह है कि इंटरमीडिएट का पाठ्यक्रम कभी भी पूरा नहीं होता, जिसका असर रिजल्ट पर पड़ रहा है. इंटर साइंस में कभी भी आधे से अधिक विद्यार्थी पास नहीं होते. वहीं, बिहार में इंटर पास करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या 90 फीसदी से अधिक है. इनमें आधी संख्या प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण विद्यार्थियों की होती है.
विवि का 180, इंटर का 220 दिनों का पाठय़क्रम : राज्य के विवि में लागू पाठय़क्रम के लिए वर्ष में 180 दिन कक्षा संचालन आवश्यक है. जबकि इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए वर्ष में कम से कम 220 दिन. झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा अंगीभूत कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई का सर्वे कराया गया था. इसमें पाया गया था कि अंगीभूत कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई 100 दिन की भी पढ़ाई नहीं होती.
सरकार ने कोर्ट में दिया था आश्वासन : सरकार ने वर्ष 2004 में झारखंड हाइकोर्ट में डिग्री कॉलेजों से इंटर की पढ़ाई अलग करने का आश्वासन दिया था. झारखंड इंटरमीडिएट शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि राज्य में डिग्री कॉलेज से इंटर की पढ़ाई कब अलग होगी. जवाब में विभाग इसकी प्रक्रिया जल्द शुरू करने की बात कही थी.
31 मार्च 2011 तक का था समय : विवि के शिक्षकों को छठा वेतनमान का लाभ इस शर्त के साथ दिया गया था कि वे इंटर की कक्षा नहीं लेंगे. जिन शिक्षकों की नियुक्ति डिग्री की पढ़ाई के लिए हुई है, वे इंटर की कक्षा नहीं लेंगे. सरकार ने कॉलेजों को इंटर की पढ़ाई अलग करने के लिए 31 मार्च 2011 तक का समय दिया था. 64 अंगीभूत कॉलेजों में से 10 कॉलेज में भी इंटर की पढ़ाई की अलग व्यवस्था नहीं हुई. रांची कॉलेज में इंटर की पढ़ाई बंद कर दी गयी. इसके अलावा मारवाड़ी कॉलेज, रांची महिला कॉलेज व डोरंडा कॉलेज में इंटर की पढ़ाई की अलग व्यवस्था की गयी.