रांची: मोरहाबादी मैदान में चल रहे खादी सह सरस मेले में ऐसी कई चीजें देखने को मिल जायेंगी, जो महिलाओं ने खुद अपने हाथों से बनाया है. मेले में देश के विभिन्न राज्यों की महिलाओं के अलावा झारखंड की वैसी महिलाओं से भी रू-ब-रू होने का अवसर मिल रहा है, जो अपने घर पर ही रह कर अपनी पहचान बना रही हैं.
और, यह पहचान देने का काम कर रहा है खादी ग्राम उद्योग बोर्ड. ऐसे ही पतरातू की कुछ महिलाएं मेले में अपने हुनर का प्रदर्शन की हैं, जिन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ लगातार इकट्ठा हो रही है. यही नहीं, उन्होंने अपने हस्त निर्मित हुनर को दिल्ली के ट्रेड फेयर में भी पहचान दी है. चान्हो प्रखंड के पतरातू की अनुसूचित जाति एवं जनजातीय महिलाएं स्वयं सहायता समूह का गठन कर अपनी कला को पहचान दे रही हैं. ये महिलाएं बांस की कटाई कर उसे उत्पादों का रूप दे रही हैं. बांस के बारीक काम से उत्पादों को सजाया है.
बांस के टेबल लैंप, शोपीस, फलावर पॉट, डानिंग मैट आकर्षित करनेवाले हैं. गांव में 10-10 महिलाओं के दो स्वयं सहायता समूह, उजाला मंडल एवं नयी किरण का गठन कर गांव की महिलाएं स्वावलंबी हो रही हैं. नये उत्पादों की मांग काफी बढ़ रही है. न केवल झारखंड, बल्कि दिल्ली में भी इनके हस्त निर्मित उत्पादों की भारी मांग है. इन उत्पादों की बिक्री से प्राप्त आय को महिलाओं के स्वावलंबन में भी लगा रही हैं. अपना तो खर्च निकाल ही रही हैं, गांव की अन्य महिलाओं को इससे जोड़ कर आत्मनिर्भर बना रही हैं.
हम आदिवासी महिलाएं स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को सशक्त करने का प्रयास कर रहे हैं. हमारे उत्पादों की मांग दिल्ली तक है. दिल्ली के ट्रेड फेयर में हमारे सारे उत्पादों की बिक्री हो जाती है और खूब मांग भी होती है.
संगीता देवी, सचिव
बांस के उत्पाद बनाने में हमारे गांव की महिलाएं अव्वल हैं. इन उत्पादों को हमारे गांव की गरीब आदिवासी महिलाएं अपने हाथ से बनाती हैं. इस काम में महिलाएं अपनी पहचान बना कर आगे आ रही हैं.
अहिल्या देवी, कोषाध्यक्ष