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ग्रामीणों को अपने ही गांव में नहीं मिलेगा रोजगार : नरेगा वॉच

ग्रामीणों को अपने ही गांव में नहीं मिलेगा रोजगार : नरेगा वॉच- नरेगा वॉच ने मशीन से तालाब बनाने के सरकार के निर्णय का किया विरोधसंवाददाता4रांचीनरेगा वॉच ने झारखंड में सरकार द्वारा मनरेगा के लिए नियोजित तालाबों को मशीन से बनाने के निर्णय की निंदा की है़ संयोजक जेम्स हेरेंज ने कहा कि योजना बनाओ […]

ग्रामीणों को अपने ही गांव में नहीं मिलेगा रोजगार : नरेगा वॉच- नरेगा वॉच ने मशीन से तालाब बनाने के सरकार के निर्णय का किया विरोधसंवाददाता4रांचीनरेगा वॉच ने झारखंड में सरकार द्वारा मनरेगा के लिए नियोजित तालाबों को मशीन से बनाने के निर्णय की निंदा की है़ संयोजक जेम्स हेरेंज ने कहा कि योजना बनाओ अभियान से पूरे झारखंड में मनरेगा के तहत 1.3 लाख तालाबों का नियोजन हुआ था. पर बिना कोई कारण बताये झारखंड सरकार ने अब इन तालाबों को मशीनों से बनाने का निर्णय लिया है, जबकि मनरेगा में मशीन व ठेकेदार पर रोक है.अगर नियोजित तालाब मनरेगा से बनते हैं, तो झारखंड के ग्रामीण परिवारों को इस सुखाड़ में अपने ही गांव में रोजगार नहीं मिलेगा. निर्णय का नुकसान अभी से दिखने लगा है. चतरा जिला प्रशासन ने जिले में नियोजित तालाब को मनरेगा में स्वीकृति देने से मना कर दिया है.किसान करेंगे मशीन की व्यवस्था, खर्च का 10 प्रतिशत भी देंगेजेम्स हेरेंज ने कहा कि एक ओर सुप्रीम कोर्ट ने सूखा राहत के लिए उठाये गये अपर्याप्त कदम के लिए केंद्र सरकार की निंदा की है, दूसरी ओर झारखंड सरकार ने अधिकांश नियोजित तालाबों को मशीन से खुदवाने का निर्णय लिया है़ उधर, किसान पर मशीन की व्यवस्था की जिम्मेवारी थोप दी और किसान से तालाब पर होने वाले खर्च की 10 प्रतिशत राशि भी ली जायेगी. उन्होंने कहा कि जिन परिवारों की जमीन पर ये तालाब नियोजित हुए हैं, वे दलित, आदिवासी या सीमांत किसान है़ं उनमें से ज्यादातर परिवारों के लिए तालाब पर होनेवाले खर्च में योगदान देना कठिन है. तालाबों को मशीन से खोदने पर भ्रष्टाचार व किसानों का आर्थिक शोषण होने की संभावना है़

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