निधि फैशन डिजाइनर बनना चाहती थी. इस दौरान उसकी मुलाकात अमित सत्यार्थी नामक युवक से हुई. जिसने निधि को बताया कि उसने दिल्ली में फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई की है और रांची के कई इंस्टीट्यूट में फैशन डिजाइनिंग का क्लास लेता रहा है. निधि को लगा कि अमित से उसकी दोस्ती सही इंस्टीट्यूट की तलाश में काम आयेगी. दोनों ने एक-दूसरे से मोबाइल नंबर शेयर किया. फिर दोनों के बीच मोबाइल पर बातों का सिलसिला शुरू हो गया. अमित पतरातू का रहनेवाला था. उसने खुद को कुंवारा बताया था, जबकि असल में वह शादीशुदा था और एक बच्चे का पिता था. फोन पर बात करते-करते दोनों मिलने-जुलने भी लगे. अमित उम्र में निधि से बड़ा था और बातचीत में वह इसका ध्यान भी रखता था. निधि को उसके कैरियर के लिए अच्छी बातें बताता था. इस कारण निधि उसकी तरफ आकर्षित होने लगी थी. वह अपनी पत्नी और बच्चे से तो बहुत प्यार करता था, पर निधि के प्यार का वह फायदा उठाते रहना चाहता था. दोनों ने जब एक-दूसरे से प्यार का इजहार किया, तब अमित ने अपने शादीशुदा होने की बात को छिपा लिया था.
इसलिए 16 मार्च को तैयार रहना. अमित के कहने पर निधि ने बोधगया जाने की बात किसी से नहीं बतायी. उसने यह सोचा कि एक दिन में ही लौट आना है. किसी को पता ही नहीं चलेगा. प्लान के तहत शाम में अमित, निधि और सोनू कार से बोधगया के लिए निकले. कार को अमित चला रहा था. सोनू आगे की सीट पर बैठा था और निधि पीछे की सीट पर. गया पहुंचते-पहुंचते रात हो गयी थी. इस कारण निधि को पता ही नहीं चला कि अमित गाड़ी को बोधगया ले जाने के बजाय पटना रोड में जहानाबाद की तरफ जा रहा है. अमित और सोनू स्टीरियो का गाना सुनते हुए सतर्कता से पटना की तरफ बढ़ रहे थे. दोनों की योजना से बेखबर निधि पिछले सीट पर ऊंघ रही थी. जहानाबाद से आगे निकलने के बाद अमित ने सुनसान जगह पर कार रोकी और निधि की कनपटी पर पिस्तौल सटा कर गोली मार दी. कुछ देर तक छटपटाने के बाद निधि मर गयी. तब अमित कार को लेकर पटना जीरो माइल पहुंचा. फिर कार को बख्तियारपुर की तरफ मोड़ दिया. फतुहा के पास सुनसान जगह पर अमित और सोनू ने निधि के शव को सड़क के किनारे फेंक दिया. निधि के शव को फेंकने के बाद दोनों पतरातू लौट आया. उधर, फतुहा पुलिस ने शव की पहचान के लिए प्रयास करने के बाद उसे पोस्टमार्ट के लिए पीएमसीएच भेज दिया था.
इधर, निधि के परिवार वाले हर संभावित जगह पर उसकी तलाश कर चुके थे. दोस्तों-रिश्तेदारों से मिल चुके थे, पर कहीं से निधि के बारे में कुछ पता नहीं चल पा रहा था. पुलिस निधि के लापता होने के मामले को प्रेम-प्रसंग समझ कर ध्यान नहीं दे रही थी. इस तरह करीब दो माह का वक्त गुजर गया. तभी एक दिन निधि के मोबाइल से उसकी मां को फोन आया. फोन करने वाले ने 30 लाख की फिरौती की मांग की. निधि के परिवार वालों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी. तब पुलिस ने ध्यान देना शुरू किया. जिस नंबर से कॉल कर 30 लाख रुपये की मांग की गयी थी, उस नंबर का लोकेशन पुणे में मिला. निधि के मोबाइल का कॉल डिटेल रिपोर्ट से मिले नंबरों की जांच करने पर अमित सत्यार्थी के मोबाइल का लोकेशन भी पुणे में ही मिला. पता चला कि वह अपनी मां के साथ पुण गया हुआ है. इसके बाद पुलिस ने अमित को पकड़ा. पकड़ में आने के बाद अमित ने अपने और निधि के संबंध शुरू होने से लेकर हत्या करने तक की बात कबूल की. उसने यह भी बताया कि निधि की हत्या करने के बाद उसे लगा कि निधि के शव की पहचान नहीं हुई है. लोग उसे जिंदा समझ रहे हैं. निधि के पिता जेवर के कारोबारी हैं. इसलिए उसने उसके परिवार वालों से कुछ रुपये वसूलने की योजना बना कर पुणे से कॉल कर दिया. यही उसने गलती कर दी और पकड़ा गया. अमित व सोनू की निशानदेही पर पुलिस ने पतरातू से उस कार को जब्त किया, जिसमें निधि की हत्या की गयी थी. कार बरामदगी के वक्त भी उसमें कुछ खून के धब्बे लगे हुए थे. उसकी निशानदेही पर उस पिस्तौल को भी पुलिस ने बरामद किया, जिससे निधि की हत्या की गयी थी. जिसके बाद पुलिस ने दोनों को जेल भेज दिया.