रेलवे के साथ किये गये राज्य सरकार के एमओयू में चौथी बार अवधि विस्तार करते हुए परियोजना पूरी करने के लिए 31 मार्च 2017 तक का समय दिया गया है. परंतु, कार्य की वर्तमान प्रगति संतोषजनक नहीं कही जा सकती है. चौथी बार अवधि विस्तार देने के बाद रेल परियोजनाओं पर होने वाले खर्च में रेलवे के साथ 50-50 फीसदी खर्च वहन करने पर राज्य सरकार ने सहमति दी थी. 5,775 करोड़ रुपये के संशोधित प्राक्कलन के विरुद्ध राज्य सरकार को कुल 3221 करोड़ रुपये देने होंगे. परियोजना पूरी करने के लिए गुजरे 12 वर्षों में झारखंड सरकार 2219 करोड़ रुपये रेलवे को दे चुकी है.
इस वजह से अब राज्य सरकार 1002 करोड़ रुपये ही रेलवे को भुगतान करेगी. वर्ष 2002 में छह रेल प्रोजेक्ट शुरू किये गये थे. कुल 556 किमी रेलवे लाइन बिछाने का स्टीमेट कॉस्ट 1997 करोड़ रुपये था. प्रोजेक्ट पूरा नहीं होने के कारण वर्ष 2007 में स्टीमेट बढ़ा कर 3771 करोड़ किया गया था. उसके बाद एक बार फिर से रेलवे ने स्टीमेट बढ़ा कर 5775 करोड़ रुपये कर दिया है. एक दशक से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी रेलवे झारखंड के छह में से केवल एक प्रोजेक्ट ही पूरा कर सका है. बचे पांच रेलवे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए चार बार अवधि विस्तार दिया जा चुका है. ये रेल परियोजनाएं पूरी हो जायें, तो राज्य की जनता को काफी लाभ मिलेगा.