पुलिस ने चारों तरफ नजर दौड़ायी, पर ऐसा कुछ नहीं दिखा, जिससे बदबू आ रही थी. हालांकि पुलिस को कमरे में एक बड़ा सा बक्शा दिखा. उसे खोलने के साथ ही सबकी आंखें खुली की खुली रह गयीं. युवती का शव बक्शे में पड़ा था. शव पर कपड़े नहीं थे. आसपास के लोगों ने शव की पहचान उसी युवती के रूप में की, जो वहां किराये पर रहती थी. उसका नाम सालमपति था. वह सरयू थाना क्षेत्र के डिबरी गांव निवासी धनु उरांव की बेटी थी और लातेहार में डिग्री कॉलेज में पढ़ती थी. सालमपति की हत्या किसने की, क्यों की, इसे लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जाने लगे. पुलिस ने सालमपति की हत्या की सूचना उसके परिवार वालों को दी.
सालमपति के पिता धनु उरांव नक्सल प्रभावित सरयू क्षेत्र के डिबरी गांव में थे. दौड़े-दौड़े लातेहार पहुंचे. बेटी की मौत ने उन्हें तोड़ दिया था. आवाज नहीं निकल रही थी. वह तो बेटी को पढ़ा-लिखा कर शिक्षक बनाना चाह रहे थे, पर यह क्या हुआ. उनकी बेटी नहीं रही. सालमपति गांव की पहली लड़की थी, जिसने मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. गांव के लोगों काे उस पर गर्व था. पिता ने तीन साल पहले आगे की पढ़ाई के लिए उसे लातेहार भेजा था. इंटर पास करने के बाद सालमपति ने शहर में ही डिग्री कॉलेज में दाखिला लिया. अन्य लड़कियों की तरह उसके भी कई दोस्त थे. जिसके साथ उसका मिलना-जुलना और किताब-नोट्स का लेन-देन लगा रहता था. इसी दौरान पिता धनु उरांव ने लातेहार सदर प्रखंड के नेगाई गांव निवासी सहेंद्र से उसकी शादी तय कर दी. ग्रामीणों की मौजूदगी में मंगनी का रश्म हुआ. फिर दोनों मिलने-जुलने भी लगे थे. सालमपति की हत्या से उसका परिवार ही नहीं गांव के लोग भी दुखी थी. उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि किसने सालमपति की हत्या कर दी.
इधर, पुलिस भी परेशान थी. हत्या की वजह समझ में नहीं आ रही थी. सालमपति के मोबाइल व सिम भी नहीं मिल रहे थे. मोबाइल नंबर के कॉल डिटेल से उसके दोस्त के मोबाइल पर लगातार बात होने की पुष्टि तो हो रही थी, लेकिन कहीं से भी हत्या में उसके शामिल होने की बात पुलिस के गले नहीं उतर रही थी. इसी दौरान पुलिस को पता चला कि जिस युवक सहेंद्र उरांव से सालमपति की सगाई हुई थी, उसने कीटनाशक खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की. उसकी जान बच गयी है अौर अस्पताल में भरती है. पुलिस ने अपने सूत्रों से आत्महत्या की वजह का पता लगाया, लेकिन कुछ जानकारी नहीं मिली. इसके बाद 02 मार्च को पुलिस ने उससे पूछताछ शुरू की. कुछ ही देर में वह टूट गया और सालमपति की हत्या की खौफनाक कहानी पुलिस को बतायी.
सहेंद्र ने पुलिस को जो बताया, उसके अनुसार सालमपति की हत्या उसने शक की वजह से कर दी. उसे शक हो गया था कि सालमपति का गलत संबंध कॉलेज में पढ़नेवाले एक लड़के से हैं. लड़के के बारे में जब सालमपति ने एक बार झूठी जानकारी दी, तो उसका शक और बढ़ गया. सालमपति के मोबाइल को चेक करने पर जब उसने देखा कि दोनों के बीच रात में लंबी बातें होती हैं, तब वह अपने गुस्से पर काबू नहीं कर पाया और उसकी हत्या कर दी. हत्या करने के बाद उसे ग्लानि होने लगी थी. इसी कारण उसने खुद को मारने की योजना बनायी और कीटनाशक खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की.
दरअसल, सगाई के बाद सहेंद्र और सालमपति एक-दूसरे से मिलते-जुलते थे. घंटो एक-दूसरे के साथ समय बिताते थे. इसी दौरान 20 फरवरी की रात करीब 9.30 बजे उसने सालमपति को किसी लड़के के साथ घूमते देखा. तब उसने सालमपति से लड़के के बारे में पूछा. सालमपति ने पहले तो किसी लड़के के साथ घूमने की बात से इनकार कर दिया, लेकिन दबाव डालने पर बताया कि वह लड़का उसी के साथ कॉलेज में पढ़ता है. कुछ किताबें उसके पास नहीं थीं, जिसकी मांग उसने लड़के से की थी. किताब लेने के लिए लड़के ने अपने घर पर उसे बुलाया था. किताब देने के बाद वह लड़का उसे छोड़ने आ रहा था. सालमपति की इस बात पर सहेंद्र को विश्वास नहीं हुआ. उसे लगा कि उसकी मंगेतर सालमपति का उस लड़के से गलत संबंध है. सहेंद्र ने लड़के के बारे में भी कुछ जानकारी हासिल की, तो यह पाया कि वह लड़का पास के ही गांव का रहनेवाला है. सालमपति के प्रति शक बढ़ने के कारण वह परेशान रहने लगा. 23 फरवरी की रात वह सालमपति के घर(किराये का कमरा) पर पहुंचा. होटल से खाना पैक कर साथ में ले गया था और उसने शराब की एक बोतल भी खरीद ली थी. रात में दोनों ने खाना खाया.
सहेंद्र ने शराब भी पी. इसी दौरान सहेंद्र ने सालमपति के मोबाइल का कॉल डिटेल चेक किया, जिससे उसे पता चला कि सालमपति किसी नंबर पर रात में घंटों बात करती है. यह देख कर सहेंद्र आग-बबूला होने लगा था. तभी उसने मोबाइल की गैलरी में उसी लड़के के साथ सालमपति की तसवीर देख ली. जिसके बाद उसने कमरे में रखे डंडे से सालमपति को पीटना शुरू कर दिया. सालमपति कुछ देर तक तो किसी तरह जुबान बंद रखी. दर्द से बिलखती रही, लेकिन जब सहेंद्र नहीं रुका, तो वह चीखने-चिल्लाने लगी. सालमपति के चीखने की आवाज बाहर न जाये, इसलिए सहेंद्र ने कमरे में रखे म्यूजिक सिस्टम की आवाज को तेज कर दिया. कुछ देर बाद सालमपति की मौत हो गयी. तब सहेंद्र ने शव से कपड़े को हटा दिया और दुराचार किया. फिर कपड़े पहन कर हत्या में इस्तेमाल किये गये डंडा और सालमपति के दोनों फोन व सिम को लेकर कमरे से निकल गया. कमरे से निकलते वक्त उसने दरवाजा में बाहर से ताला लगा दिया था.
सालमपति की हत्या करने के बाद सहेंद्र परेशान रहने लगा. उसने जो किया था, उसे उस पर पछतावा होने लगा. सालमपति की कराह, चीखने-चिल्लाने की आवाज वह चाह कर भी नहीं भूल पा रहा था. जब भी सोने जाता था, सालमपति की चीखें उसे परेशान कर देती थी. तब उसने खुद को समाप्त करने का फैसला लिया. उसने फसल में डालनेवाला कीटनाशक खरीदा और उसे पी लिया. जब कीटनाशक ने असर दिखाना शुरू किया, तो वह बेचैनी में घर से बाहर निकल आया. जिसके बाद उसके पड़ोसियों ने उसे अस्पताल पहुंचा दिया. जहां चिकित्सकों ने उसकी जान तो बचा ली, लेकिन वह पुलिस की नजर ने नहीं बच पाया. अस्पताल में पुलिस को देखते ही उसके गले सूख गये. चेहरे का रंग बदल गया. पुलिस ने जब उसे पसीने से लथ-पथ देखा, तो यह समझते देर नहीं लगी कि सालमपति की हत्या में उसका हाथ है. पूछताछ में उसने न सिर्फ अपना गुनाह कबूल किया, बल्कि जिस डंडे से पीट कर सालमपति की हत्या की थी, उसे भी बरामद करा दिया. डंडे और मोबाइल उसने नदी में फेंक दिये थे. पुलिस ने उसे भी बरामद कर लिया. इसके बाद सहेंद्र को पुलिस ने जेल भेज दिया है.