ग्रामीणों के अनुसार, करीब डेढ़ हजार की आबादी वाले महिलौंग में 30-32 कुएं हैं, जो लगभग सूख गये हैं. तीन-चार कुअों में नाममात्र का (एक से डेढ़ फीट) पानी है, जो किसी काम का नहीं है. इधर गांव में लगे करीब 12 नलकूपों में से सिर्फ पांच ठीक हैं. इनमें भी ठहर-ठहर कर पानी निकलता है.
गांव की सोनी व चिंता देवी के लिए अपने परिवार के खाने, पकाने व नहाने के लिए पानी का जुगाड़ मुश्किल हो रहा है. दोनों ने कहा कि उनके घर के सामने स्थित नलकूप पर पानी के लिए सुबह तीन बजे से लाइन लगती है. जो सुबह अाया, उसे पानी मिल गया. फिर 10-15 मिनट रुक-रुक कर नलकूप से पानी निकालना पड़ता है. गांव के शिव कुमार महतो का कुआं करीब 20 फीट व्यास वाला है. इसमें भी मुश्किल से एक फीट पानी है. शिव कुमार के घर में पानी घर के सामने वाले उसी नलकूप से आता है, जहां सुबह तीन बजे से पानी के लिए लाइन लगती है. गांव में दो तालाब भी है. एक सरकारी व एक निजी. निजी तालाब सूख गया है. सरकारी तालाब में एक फीट पानी बचा है. गांववालों की चिंता है कि अप्रैल व मई में जब धरती तपेगी, तब क्या होगा.