उन्होंने कथाकार शैल के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें और अभ्यास के लिए प्रेरित किया, जो उन्हें सफल कथाकार बनायेगा. उन्होंने कहा कि साहित्य को भी आकार एवं कथ्य के संदर्भ में मांग के अनुरूप ढलना होगा, तभी पाठकों में उनकी सफलता सुनिश्चित हो पायेगी. विशिष्ट अतिथि जयनंदन ने ‘कथा कुंभ’ की कहानियों में कथाकार के ईमानदार प्रयास की सराहना की. उन्होंने कहा कि कहानियां लिखने, उन्हें पुस्तक के रूप मेें प्रकाशित करने एवं उनके समाज में पहुंचाने की प्रक्रिया की जटिलताओं के प्रति आगाह करते हुए, इसके लिए अपने लेखन को और मांजने की सलाह दी.
विशिष्ट अतिथि एवं वरिष्ठ कथाकार डॉ सी भास्कर राव ने भी श्री शैल के साहित्यिक प्रयास की सराहना करते हुए उसकी संभावनाओं की ओर इंगित किया. उन्होंने कथा कुंभ की कई उनकी संवेदनात्मक संभावनाओं का उल्लेख किया. विकास मुखर्जी ने श्री शैल को अपने मित्र के पुत्र के साथ ही अपना सहकर्मी बताते हुए उनके प्रयासों की सराहना की. स्वयं कथाकार श्री शैल ने संग्रह की कहानियों को बदलावों से प्रेरित बताया. उन्होंने कहा कि बदलाव सकारात्मक भी हुए हैं और नकारात्मक भी, लेकिन इन कहानियों में सिर्फ नकारात्मक बदलावों को उठाने की कोशिश उन्होंने की है.