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साहित्य : विनय के कहानी संग्रह का जमशेदपुर में लोकार्पण, घटनाओं को संजोने का ईमानदार प्रयास कथा कुंभ

पुस्तक लोकार्पण के मौके पर अतिथियों ने कहा कि साहित्य को भी आकार एवं कथ्य के संदर्भ में मांग के अनुरूप ढलना होगा, तभी पाठकों में उनकी सफलता सुनिश्चित हो पायेगी. कथाकार श्री शैल रांची के कोकर निवासी डीएन सिंह के सुपुत्र तथा पेशे से अभियंता हैं. जमशेदपुर/रांची : विनय कुमार शैल के कथा संग्रह […]

पुस्तक लोकार्पण के मौके पर अतिथियों ने कहा कि साहित्य को भी आकार एवं कथ्य के संदर्भ में मांग के अनुरूप ढलना होगा, तभी पाठकों में उनकी सफलता सुनिश्चित हो पायेगी. कथाकार श्री शैल रांची के कोकर निवासी डीएन सिंह के सुपुत्र तथा पेशे से अभियंता हैं.
जमशेदपुर/रांची : विनय कुमार शैल के कथा संग्रह ‘कथा कुंभ’ का लोकार्पण बिष्टुपुर स्थित श्रीकृष्ण सिन्हा संस्थान में हुआ. मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार अनुज सिन्हा, विशिष्ट अतिथि कथाकार डॉ सी भास्कर राव, जयनंदन, प्रसिद्ध उद्यमी विकास मुखर्जी, सभाध्यक्ष एवं श्रीकृष्ण सिन्हा संस्थान के महासचिव हरिवल्लभ सिंह ‘आरसी’ ने कथा संग्रह का लोकार्पण किया. मुख्य अतिथि अनुज सिन्हा ने मौके पर कहा कि कथाकार शैल ने अपनी कहानियों में घटनाओं को पूरी ईमानदारी के साथ संजोया है. शैल की कई कहानियां तो मानो बड़ी कहानियों के बीज को संजो कर रखने के लिए ही लिखी गयी हैं, जिन पर सार्थक कहानियों का सृजन हो सकता है.

उन्होंने कथाकार शैल के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें और अभ्यास के लिए प्रेरित किया, जो उन्हें सफल कथाकार बनायेगा. उन्होंने कहा कि साहित्य को भी आकार एवं कथ्य के संदर्भ में मांग के अनुरूप ढलना होगा, तभी पाठकों में उनकी सफलता सुनिश्चित हो पायेगी. विशिष्ट अतिथि जयनंदन ने ‘कथा कुंभ’ की कहानियों में कथाकार के ईमानदार प्रयास की सराहना की. उन्होंने कहा कि कहानियां लिखने, उन्हें पुस्तक के रूप मेें प्रकाशित करने एवं उनके समाज में पहुंचाने की प्रक्रिया की जटिलताओं के प्रति आगाह करते हुए, इसके लिए अपने लेखन को और मांजने की सलाह दी.

विशिष्ट अतिथि एवं वरिष्ठ कथाकार डॉ सी भास्कर राव ने भी श्री शैल के साहित्यिक प्रयास की सराहना करते हुए उसकी संभावनाओं की ओर इंगित किया. उन्होंने कथा कुंभ की कई उनकी संवेदनात्मक संभावनाओं का उल्लेख किया. विकास मुखर्जी ने श्री शैल को अपने मित्र के पुत्र के साथ ही अपना सहकर्मी बताते हुए उनके प्रयासों की सराहना की. स्वयं कथाकार श्री शैल ने संग्रह की कहानियों को बदलावों से प्रेरित बताया. उन्होंने कहा कि बदलाव सकारात्मक भी हुए हैं और नकारात्मक भी, लेकिन इन कहानियों में सिर्फ नकारात्मक बदलावों को उठाने की कोशिश उन्होंने की है.

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