नारी के वैज्ञानिक आयुर्वेद और अन्य औषधीय पौधों की मदद से एड्स से लड़ने की दवा का आविष्कार करने में लगे हैं. बीआइटी मेसरा में राष्ट्रीय एंटी वायरल रिसर्च एंड थेरेपी विषयक कार्यशाला के उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए डॉ परांजपे ने कहा कि एड्स को लेकर विश्व भर में कई थेरेपी का इजाद किया जा रहा है. भारत भी इसमें पीछे नहीं है. देश में 79 पौधों से निर्मित एंटी एचआइवी दवाइयां विकसित की जा रही हैं. वैसे क्लिनिकल ट्रायल के रूप में एचआइवी के लिए रोमीडेपरीन और पैनोबीनोक्टेट नामक औषधि भी प्रयोग में लायी जा रही है. उन्होंने कहा कि नारी की डॉ स्मिता कुलकर्णी और उनकी टीम ने भारत में तीन बच्चियों पर एंटी एचआइवी ड्रग का उपयोग भी किया, जिसे सुरक्षित पाया गया.
उन्होंने कहा कि एचआइवी के लिए फंक्शनल क्योर और स्टेरीलाइजेशन क्योर की विधि अपनायी जा रही है. इस बीमारी की शुरुआत में ही पता लगने से इस पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अब बोन मैरो ट्रांसप्लांट विधि से भी इस पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने मिसिसिपी बेबी, एल ए बेबी और अन्य उदाहरण भी प्रस्तुत किये. उन्होंने एआरटी ट्रीटमेंट इंफेक्शन का मुद्दा भी उठाया. इस मौके पर कुलपति प्रो एमके मिश्रा, डॉ जे वेंकटेशन, डॉ बीएन सिन्हा समेत अन्य मौजूद थे.