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जेएसइआरसी: लोकपाल के पद पर नियुक्ति में गड़बड़ी का मामला, आयोग के सचिव पर कार्रवाई की अनुशंसा

रांची: प्रधान महालेखाकार(पीएजी) ने झारखंड राज्य विद्युत नियमाक आयोग(जेएसइआरसी) के सचिव एके मेहता के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा की है. पीएजी ने आयोग के ऑडिट के दौरान लोकपाल के पद पर नियुक्ति के मामले में गड़बड़ी के लिए जिम्मेवार मानते हुए सरकार को इससे संबंधित अनुशंसा की है. पीएजी ने इस सिलसिले में ऊर्जा […]

रांची: प्रधान महालेखाकार(पीएजी) ने झारखंड राज्य विद्युत नियमाक आयोग(जेएसइआरसी) के सचिव एके मेहता के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा की है. पीएजी ने आयोग के ऑडिट के दौरान लोकपाल के पद पर नियुक्ति के मामले में गड़बड़ी के लिए जिम्मेवार मानते हुए सरकार को इससे संबंधित अनुशंसा की है.
पीएजी ने इस सिलसिले में ऊर्जा सचिव और नियामक आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि आयोग के लोकपाल के पद पर अरुण कुमार दत्ता को नियुक्त करने में गड़बड़ी हुई थी. नियुक्ति के लिए निर्धारित नियम के तहत उनके नाम पर विचार ही नहीं होना चाहिए था.

इसके बावजूद उन्हें इस पद पर नियुक्त किया गया. पत्र में कहा गया है कि नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों के 10 साल के गोपनीय चारित्री(एसीआर) पर विचार करना था. इसमें यह प्रावधान था कि जिस आवेदक के एसीआर में प्रतिकूल टिप्पणी लिखी हो, उसे अयोग्य मानते हुए उसके नाम पर विचार नहीं किया जायेगा. अरुण कुमार के मामले में हाइकोर्ट ने ही एसीआर में प्रतिकूल टिप्पणी की थी.

इसके बावजूद उनके नाम पर ना केवल विचार किया गया, बल्कि उन्हें आयोग के लोकपाल के पद पर नियुक्त किया गया. इस दौरान आवेदकों को मिले अंकों को भी नजरअंदाज किया गया. ऑडिट के दौरान पाया गया कि एसीआर के मूल्यांकन के क्रम में एसके तालुकदार को 40 अंक और दत्ता को 24 अंक ही मिले थे. इसके बावजूद अरुण कुमार दत्ता को लोकपाल पद पर नियुक्त किया गया. नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान आयोग के सचिव ने अरुण कुमार के एसीआर में प्रतिकूल टिप्पणी होने की जानकारी आयोग को नहीं दी.

इससे उन्हें लोकपाल के पद पर नियुक्त कर दिया गया और उन्होंने 2009 से 2014 तक आयोग के लोकपाल के रूप में काम किया. इस अवधि में उन्हें वेतन भत्ता के रूप में कुल 47.29 लाख रुपये का भुगतान किया गया. उन्हें अंतिम वेतन के हिसाब से महंगाई भत्ता देने के बदले पूरे वेतन पर महंगाई भत्ता दिया गया. इस तरह उन्हें महंगाई भत्ता के रूप में 10.65 लाख रुपये का अधिक भुगतान किया गया. पीएजी ने आयोग के सचिव के खिलाफ विभागीय कार्यवाही चलाने के अलावा अन्य कानून सम्मत कार्रवाई करने की अनुशंसा की है.

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