Advertisement
अडाणी का प्रस्ताव : जब चाहे सरकार 400 मेगावाट बिजली ले
रांची : अडाणी ग्रुप राज्य में पावर प्लांट लगाने के एवज में 25 प्रतिशत बिजली सरकार को तत्काल ही देने का प्रस्ताव पूर्व में दे चुकी है. दूसरी ओर विपक्ष द्वारा सरकार पर आरोप लगाया गया है कि अडाणी द्वारा गोड्डा में 1600 मेगावाट पावर प्लांट लगाने के एवज में बिजली नहीं दी जायेगी. ऊर्जा […]
रांची : अडाणी ग्रुप राज्य में पावर प्लांट लगाने के एवज में 25 प्रतिशत बिजली सरकार को तत्काल ही देने का प्रस्ताव पूर्व में दे चुकी है. दूसरी ओर विपक्ष द्वारा सरकार पर आरोप लगाया गया है कि अडाणी द्वारा गोड्डा में 1600 मेगावाट पावर प्लांट लगाने के एवज में बिजली नहीं दी जायेगी. ऊर्जा विभाग के सूत्रों के अनुसार अडाणी द्वारा यह प्रस्ताव रखा गया था कि सरकार जब चाहे, तब 25 प्रतिशत यानी 400 मेगावाट ले सकती है. प्लांट लगने में दो साल लगेंगे, पर यदि राज्य को बिजली की जरूरत है, तो कंपनी अविलंब बिजली दे सकती है.
गौरतलब है कि निजी क्षेत्र में अडाणी ग्रुप देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी है. 10400 मेगावाट वर्तमान में कंपनी के अलग-अलग प्लांट से उत्पादन होता है. कंपनी ने गोड्डा में 1600 मेगावाट क्षमता के पावर प्लांट के लिए एमओयू किया है. इस पर करीब 15 हजार करोड़ की लागत आयेगी और पांच हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देने का दावा किया गया है.
चार-चार बार बैठी हाइपावर कमेटी
एमओयू के प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हाइपावर कमेटी की बैठक होती है. अडाणी द्वारा बांग्लादेश में बिजली आपूर्ति के लिए हुए अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत पावर प्लांट लगाने का प्रस्ताव दिया गया था. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश सरकार से करार किया था. इसी करार के तहत अडाणी ग्रुप द्वारा गोड्डा में पावर प्लांट लगाया जा रहा है.
सूत्रों ने बताया कि एमओयू के पूर्व पहली बार ऐसा हुआ है कि अडाणी के प्रस्ताव को लेकर चार-चार बार हाइ पावर कमेटी की बैठक हुई थी. पहली बैठक में ही ऊर्जा नीति के तहत 25 फीसदी बिजली देने का मामला उठा था. मुख्य सचिव ने यह शर्त रखी थी कि बिना 25 फीसदी बिजली के एमओयू को मंजूरी नहीं दी जा सकती. तब कंपनी के अधिकारियों ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय करार के तहत वे बांग्लादेश को बिजली देने के लिए बाध्य हैं.
पर यदि राज्य सरकार को 25 फीसदी बिजली की जरूरत है, तो कंपनी अपने अन्यत्र स्थित प्लांट से बिजली दे सकती है. फिर दूसरी बार हुई हाइपावर कमेटी की बैठक में सरकार ने कहा कि राज्य को 400 मेगावाट बिजली चाहिए. कंपनी गोड्डा प्लांट से दे या कहीं और से, इससे सरकार को कोई लेना-देना नहीं है. तब कंपनी ने सहमति जता दी थी. साथ ही यह भी कहा था कि प्लांट लगने में दो साल लग जायेंगे. इस बीच सरकार यदि चाहेगी तो करार के अगले दिन से ही झारखंड को बिजली देना कंपनी आरंभ कर देगी.
रिफ्यूजल अॉफ राइट झारखंड को
अंतिम हाइपावर कमेटी की बैठक में यह शर्त रखी गयी है कि कतिपय कारणों से यदि बांग्लादेश बिजली नहीं लेता है, तो अंतिम रिफ्यूजल अॉफ राइट झारखंड सरकार का होगा. यानी सरकार चाहेगी, तो पूरी बिजली लेगी अन्यथा नहीं लेगी. इस पर कंपनी ने सहमति दे दी थी. इसके बाद मुंबई में आयोजित मेक इन इंडिया वीक में कंपनी के साथ एमओयू हुआ.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement