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विपक्ष का हंगामा, वॉक आउट, मुख्यमंत्री ने की घोषणा, संताल में जमीन की तय दर स्थगित, बनी कमेटी

विधानसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच मुख्यमंत्री ने नयी कमेटी बना कर संताल परगना में फिर से जमीन की दर निर्धारित करने की घाेषणा की. इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है. हालांकि विपक्ष ने सरकार के इस फैसले काे खारिज कर दिया है. रांची: सरकार ने संताल परगना के लिए तय की […]

विधानसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच मुख्यमंत्री ने नयी कमेटी बना कर संताल परगना में फिर से जमीन की दर निर्धारित करने की घाेषणा की. इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है. हालांकि विपक्ष ने सरकार के इस फैसले काे खारिज कर दिया है.
रांची: सरकार ने संताल परगना के लिए तय की गयी जमीन की दर काे स्थगित कर दिया है़. पूर्व की कमेटी को भंग करते हुए मुख्य सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में नयी कमेटी बनायी है़. कमेटी में उद्याेग विभाग के अपर मुख्य सचिव उदय प्रताप सिंह, याेजना सह वित्त विभाग के प्रधान सचिव अमित खरे और राजस्व, निबंधन व भूमि सुधार विभाग के सचिव केके सोन को शामिल किया गया है़. नयी कमेटी 15 दिन में जमीन की दर तय कर सरकार को रिपाेर्ट देगी़. इसकी अधिसूचना जारी कर दी गयी है. पिछले दो दिनों से संताल परगना की जमीन की दर घटाये जाने को लेकर विपक्षी सदस्यों के हंगामा और गतिरोध के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने गुरुवार को सदन में इसकी घोषणा की़.
वैज्ञानिक तरीके से जमीन की दर तय हुई थी : मुख्यमंत्री श्री दास ने कहा : सरकार गरीब आदिवासी और किसानों के हितों का हर हाल में संरक्षण करेगी़. ईमानदार अधिकारियों ने वैज्ञानिक तरीके से जमीन की दर की गणना की थी़. यह किसानों और गरीबों की सरकार है़. झारखंड में शासक, शासन और जनता के बीच समन्वय बना कर काम किया जा रहा है़. नयी कमेटी किसानों और रैयतों से बात कर जमीन के मूल्य का निर्धारण करेगी़.
विपक्ष की मांग, आयाेग गठित करे सरकार
इससे पूर्व झामुमो विधायक स्टीफन मरांडी ने इस मुद्दे पर कार्य स्थगन लाया था़. झामुमो, कांग्रेस और झाविमो के विधायक वेल में घुस कर सरकार का विरोध कर रहे थे़. विपक्षी विधायकों का कहना था कि सरकार इस अधिसूचना को रद्द करे़. हो-हंगामे के कारण स्पीकर दिनेश उरांव ने आधे घंटे के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी़. दुबारा कार्यवाही शुरू होने के बाद इस मुद्दे पर सरकार ने अपना स्टैंड साफ किया़. हालांकि सरकार की घोषण के बाद भी झामुमो, कांग्रेस और झाविमो के विधायकों ने सदन से वॉक-आउट किया़. सरकार द्वारा बनायी गयी नयी कमेटी को विपक्ष ने खारिज कर दिया है़. पूरे मामले के लिए आयोग गठित करने की मांग की है़.
हेमंत के साथ हुई विपक्षी दलों की बैठक
सदन में सरकार के फैसले के बाद प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन के साथ विपक्षी दलों की बैठक हुई़. झामुमो का कहना है कि रैयतों से जमीन अधिग्रहीत नहीं की जाये, बल्कि लीज पर जमीन ली जाये़. झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि पूरे राज्य में जमीन अधिग्रहण पर विचार के लिए आयोग गठित की जाये़. कांग्रेस के सुखदेव भगत ने कहा कि पुरानी कमेटी के लोग ही नयी कमेटी में है़ं. किसानों के हित को लेकर भरोसा नहीं किया जा सकता है़. सरकार पुरानी दर पर जमीन का अधिग्रहण करे़
संताल के नाम पर वोट बैंक की राजनीति : सीएम
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा : पैसेवाले आदिवासियों ने गरीब आदिवासियों की जमीन लेने का काम किया है़ संताल परगना में भी यही करना चाहते है़ं संताल परगना के नाम पर केवल वोट बैंक की राजनीति हुई़. हमारी सरकार सच्चे दिल से संताल परगना का विकास करना चाहती है़. संताल परगना के हजारों आदिवासी पलायन करते है़ं कुछ लोग चाहते हैं कि संताल परगना के नौजवान बेरोजगार रहे़ं. मुख्यमंत्री ने कहा कि ये लाेग 60 वर्षों में संताल परगना को पीने का पानी नहीं दे सके़ किसानों और गरीबों को कभी पूछा नही़ं. अब हमारी सरकार वहां विकास पहुंचाना चाहती है़. रोजगार देना चाहती है़
हां, हम राजनीति कर रहे हैं : हेमंत सोरेन
प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने सदन के बाहर मुख्यमंत्री की टिप्पणी पर कहा : हां, हम राजनीति कर रहे है़ं यहां सारे लोग राजनीति ही करते है़ं रघुवर दास समाज सेवा कर रहे हैं, तो उन्हें झोला लेकर निकल जाना चाहिए़ संताल परगना के हक और अधिकार के लिए लंबा संघर्ष हुआ है़. संताल परगना के लोग संघर्ष करना जानते है़ं शिबू सोरेन के नेतृत्व में महाजनी प्रथा के खिलाफ संघर्ष हुआ था. सरकार ने संताल परगना की जमीन लेने की कोशिश की, तो महाजनी प्रथा
से भी उग्र आंदोलन होगा़.
भू- राजस्व मंत्री अमर बाउरी ने कहा, लिपिकीय भूल के कारण तय हो गयी थी अधिक दर
रांची. भू-राजस्व मंत्री अमर बाउरी ने स्थिति स्पष्ट करते हुए गुरुवार काे कहा कि लिपिकीय भूल के कारण संताल परगना में जमीन की अधिक दर तय हाे गयी थी. उन्होंने कहा कि गोड्डा जिले में वर्ष 2011-12 में ग्रामीण क्षेत्र में जमाबंदी भूमि की दर 60,000 रुपये प्रति एकड़ तय की गयी थी. वर्ष 2012-13 में इसे 78,000 रुपये किया गया. वहीं वर्ष 2013-14 के दौरान संभवत: लिपिकीय भूल के कारण यह दर अप्रत्याशित रूप से बढ़ते हुए 9,55,000 रुपये प्रति एकड़ हो गयी. इस पर सरकार का ध्यान जाते ही दर निर्धारित करने के लिए जुलाई 2015 में तत्कालीन वित्त सचिव अमित खरे की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया. समिति द्वारा गोड्डा के समीपवर्त्ती जिले बांका और भागलपुर में कृषि भूमि की औसत दर की समीक्षा की गयी. बांका में 6000 रुपये प्रति डिसमिल व भागलपुर में 9500 रुपये प्रति डिसमिल दर पायी गयी.
समीपवर्ती अंचल-अनुमंडल में आंकड़े नहीं होने के कारण संताल परगना के सभी जिलों में औसत न्यूनतम मूल्य को ही न्यूनतम मूल्य तय किये जाने का प्रावधान किया गया. इसके बाद अविक्रयशील कृषि भूमि की दर तय की गयी. गोड्डा में 2,715 रुपये प्रति डिसमिल, दुमका, देवघर और जामताड़ा में 3268 रुपये प्रति डिसमिल, पाकुड़ में 5380 रुपये प्रति डिसमिल व साहिबगंज में 13000 रुपये प्रति डिसमिल जमीन की अधिकतम दर तय की गयी. लिपिकीय भूल के कारण जसीडीह में 9.55 लाख रुपये प्रति एकड़, डाबरग्राम में 6.89 लाख रुपये, बाबुपुर में 12.46 लाख रुपये, मिहिजाम में 6.23 लाख रुपये आैर बरहरवा में 16.73 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर निर्धारित हो गयी, जबकि औद्योगिक क्षेत्र में भी जमीन की कीमत इतनी ज्यादा नहीं है. 2014-15 के दौरान रांची औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार के तहत तुपुदाना में 39.93 लाख रुपये प्रति एकड़, कोकर में 93.61 लाख रुपये, गेतलसूद में 3.16 लाख रुपये, नामकुम में 79.22 लाख रुपये, रामगढ़ में 34.01 लाख रुपये, हजारीबाग में 15.44 लाख रुपये, गुमला में 2.19 लाख रुपये, मेदिनीनगर में 9.89 लाख रुपये, बियाडा (बोकारो) में 21.35 लाख रुपये , सिंदरी इंडस्ट्रीयल एरिया में 9.42 लाख रुपये और गिरिडीह में 20. 87 लाख रुपये प्रति एकड़ जमीन की दर तय की गयी है. मंत्री ने कहा : इसी से समझा जा सकता है कि ग्रामीण क्षेत्र में जमीन की दर तय करने में गणना की भूल हुई है. इस पर राजनीति कर विपक्ष संताल परगना को पिछड़ा ही बनाये रखना चाहता है.

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