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सरकारी योजनाओं में अवैध पत्थरों का इस्तेमाल

रांची: सरकारी योजनाओं में अवैध खनन कर निकाले गये बोल्डर, चिप्स, बालू आदि का इस्तेमाल हो रहा है. सरकार द्वारा कराये जा रहे निर्माण कार्यों की ऑडिट के बाद प्रधान महालेखाकार (पीएजी) द्वारा बार-बार इस तथ्य को उजागर किया जाता रहा है. पीएजी की ओर से चालू वित्तीय वर्ष के दौरान सरकार को भेजी गयी […]

रांची: सरकारी योजनाओं में अवैध खनन कर निकाले गये बोल्डर, चिप्स, बालू आदि का इस्तेमाल हो रहा है. सरकार द्वारा कराये जा रहे निर्माण कार्यों की ऑडिट के बाद प्रधान महालेखाकार (पीएजी) द्वारा बार-बार इस तथ्य को उजागर किया जाता रहा है.
पीएजी की ओर से चालू वित्तीय वर्ष के दौरान सरकार को भेजी गयी रिपोर्टों में कहा गया है कि झारखंड मिनरल कंसेशन रूल 2004 के प्रावधानों के आलोक में बोल्डर , चिप्स, मोरम-मिट्टी आदि लीज धारक, परमिट धारक या अधिकृत विक्रेता से खरीदना है.
सरकारी योजनाओं में इन सामग्रियों का इस्तेमाल किये जाने की स्थिति में आपूर्तिकर्ता द्वारा दो तरह के प्रपत्रों (‘ओ’ व ‘पी ) को भर कर उसे विभाग में जमा करना होता है. जिस विभाग द्वारा निर्माण कार्य कराये जा रहा है, प्रपत्र‘ओ’ में शपथ पत्र देने होता है. प्रपत्र ‘पी’ में खनिजों की खरीद के स्रोत का ब्योरा, खनिजों के मूल्य व उत्पादन का ब्योरा देना है. उक्त प्रपत्रों को कार्य करानेवाले विभाग द्वारा खान विभाग से सत्यापित कराने का प्रावधान है. कार्य करानेवाले विभाग की ओर के भेजे इन प्रपत्रों को खान विभाग सत्यापित करता है कि खरीदे गया पत्थर सहित अन्य लघु खनिज आदि के स्रोत वैध हैं या नहीं. सरकार द्वारा कराये जा रहे निर्माण कार्यों में इस्तेमाल किये जा रहे बोल्डर, चिप्स, बालू आदि के सिलसिले मेे आपूर्तिकर्ता या कार्यकारी एजेंसी द्वारा प्रपत्र ‘ओ’ और प्रपत्र ‘पी’ नहीं दिया जा रहा है.
स्पोर्ट्स कांप्लेक्स
19.89 करोड़ की लागत से देवघर में बन रहे स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में भी चोरी के पत्थरों का इस्तेमाल हो रहा है. निर्माण कार्य के ऑडिट का बाद पीएजी ने सरकार को इससे संबंधित रिपरोर्ट भेजी है. इसमें कहा गया है कि स्पोर्ट्स कप्लेक्स निर्माण में इस्तेमाल किये गये चिप्स, बालू सहित अन्य खनिजों से संबंधित प्रपत्र‘ओ’ और प्रपत्र ‘पी’ निर्माण के जुड़े दस्तावेज में नहीं है. इससे निर्माण कार्य में लगाये जा रहे चिप्स,बालू आदि के स्रोतों के वैध होने का प्रमाण नहीं मिलता है.
स्टेडियम निर्माण
दुमका में 6.18 करोड़ की लागत से बन रहे जिला स्टेडियम में भी चोरी के पत्थरों का इस्तेमाल किया जा रहा है. पीएजी की ओर से ऑडिट के बाद सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्माण कार्य मेें चिप्स, बालू जैसे लघु खनिजों का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन ठेकेदार ने इससे संबंधित प्रपत्र‘ओ’ और प्रपत्र ‘पी’ जमा नहीं किया है. इन प्रपत्रों के अभाव से चिप्स और बालू के स्रोत के वैध होने का काेई प्रमाण नहीं मिलता है.
चोरी के खनिजों के इस्तेमाल का ब्योरा
बिरसा मुंडा पार्क : बिरसा मुंडा पार्क के ऑडिट के बाद सरकार के भेजी गयी जांच रिपोर्ट में प्रधान महालेखाकार(पीएजी) ने लिखा है कि निर्माण कार्य में 367.65 घन मीटर चिप्स व 539.84 घन मीटर बालू का इस्तेमाल किया गया. साथ ही बेहतर मिट्टी खरीदी गयी. मिट्टी के लिए मेसर्स आशा अर्थ मूवर्स और मेसर्स जीके बाजोरिया को 31.11 लाख रुपये का भुगतान किया गया. हालांकि इन एजेंसियों ने प्रपत्र ‘ओ’ और ‘पी’जमा नहीं किया. इससे मिट्टी के स्रोत के वैध होने का प्रमाण नहीं मिलता है. चिप्स और बालू के स्रोत के वैध होने का प्रमाण नहीं होने का बावजूद रायल्टी मद में सिर्फ 55.88 हजार रुपये जमा कराये गये.
चेक डैम निर्माण : रामगढ़ वन प्रमंडल में कैंपा(कमपंसेटरी अफारेस्टेशन फंड मैनेजमेंट प्लानिंग ऑथरिटी) के तहत चेक डैम निर्माण में चोरी के पत्थरों के इस्तेमाल का मामला पकड़ में आया. ऑडिट के दौरान पाया गया कि चेक डैम निर्माण में 66355 घन फुट बोल्डर व चिप्स तथा 28500 घन फुट बालू का इस्तेमाल हुआ है, लेकिन इन खनिजों के स्रोत के वैध होने का कोई प्रमाण नहीं है.

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