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तत्कालीन उपायुक्त पर साजिश रचने का आरोप, फॉरेस्ट क्लियरेंस के बिना ही दिया था खनन का पट्टा

रांची: संताल परगना प्रमंडल के आयुक्त एनके मिश्र की समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पंजाब बिजली बोर्ड और एमटा कोल की संयुक्त कंपनी (पैनम) को दिया गया खनन पट्टा अवैध था. पाकुड़ के प्रभारी सरकारी वकील प्रताप शुक्ला की सलाह पर तत्कालीन उपायुक्त सुनील सिंह ने साजिश कर बिना फाॅरेस्ट क्लियरेंस के […]

रांची: संताल परगना प्रमंडल के आयुक्त एनके मिश्र की समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पंजाब बिजली बोर्ड और एमटा कोल की संयुक्त कंपनी (पैनम) को दिया गया खनन पट्टा अवैध था. पाकुड़ के प्रभारी सरकारी वकील प्रताप शुक्ला की सलाह पर तत्कालीन उपायुक्त सुनील सिंह ने साजिश कर बिना फाॅरेस्ट क्लियरेंस के ही कंपनी को पट्टा दे दिया़ रिपोर्ट में कहा गया है कि पैनम की ओर से अवैध कोयला खनन किये जाने से कठालडीह राजस्व ग्राम विलुप्त हो गया़.
आदेश में जोड़ दी भ्रामक पंक्ति : रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र ने 18 अगस्त 2011 को नार्थ पाचुवाड़ा कोल ब्लॉक के स्टेज-वन की लीज वन संरक्षण अधिनियम की धारा 1980 के अधीन सशर्त स्वीकृति की थी़ खान विभाग ने इन्हीं शर्तों के साथ 12 सितंबर 2012 को 1218 एकड़ जमीन पर पट्टे को मंजूरी दी़ इसमें कहा गया था कि कंपनी को पर्यावरण मंत्रालय से स्टेज-टू की स्वीकृति मिलने के बाद ही उपायुक्त खनन पट्टे के क्रियान्वयन की अनुमति देंगे. पर इस आदेश में एक और भ्रामक पंक्ति ( सशर्त स्वीकृति का आशय प्रस्तावित भूमि में सन्निहित वन भूमि समझा जाये) जोड़ दी गयी, जो मूल शर्त के खिलाफ थी़.
विभाग से जवाब मिले बिना उठाया कदम : पैनम के खनन पट्टे को क्रियान्वित करने के लिए पाकुड़ के तत्कालीन उपायुक्त सुनील सिंह ने 25 सितंबर 2012 को खान विभाग को पत्र लिखा. उन्होंने जानना चाहा कि वन भूमि को छोड़ कर गैर वन भूमि पर खनन पट्टे का निष्पादन किया जा सकता है या नही़ं उपायुक्त ने बिना जवाब मिले ही प्रभारी वकील प्रताप शुक्ला से राय मांगी. प्रभारी वकील ने नियमों के विरुद्ध सलाह दी, जिसके आधार पर उपायुक्त ने 28 सितंबर 2012 को कंपनी के साथ खनन पट्टा क्रियान्वित कर दिया. रिपोर्ट में उपायुक्त के इस काम को साजिश और आपराधिक बताया गया है़ कंपनी के खिलाफ कुल छह सर्टिफिकेट केस दायर हैं. इनमें 99.51 करोड़ की वसूली का मामला शामिल है. रिपोर्ट में कंपनी द्वारा निकाले गये कोयले की जानकारी कोल कंट्रोलर कोलकाता से मांगने का सुझाव दिया गया है.
प्रभारी सरकारी वकील प्रताप शुक्ला की सलाह पर डीसी ने दिया था पट्टा
2011-12 में कंपनी ने मुनाफा 5.76 करोड़ और सीएसआर पर 12.20 करोड़ खर्च दिखाया
2012-13 में मुनाफा 3.38 करोड़ और सीएसआर पर 6.06 करोड़ का खर्च दिखाया
खनन से कठालडीह राजस्व ग्राम विलुप्त हो गया है. कंपनी ने खनन क्षेत्र को बिना भरे छोड़ दिया
विशुनपुर राजस्व ग्राम आंशिक रूप से विलुप्त हो गया. कंपनी ने ग्रामीणों के लिए घटिया घर बनाये
लोग अंधेरे में हैं. अमरापाड़ा में अस्पताल बनाया, जो बंद है
राजमहल पहाड़ बचाओ आंदोलन के अध्यक्ष के साथ किये गये एमओयू की शर्तों को पूरा नहीं किया. एमओयू में तत्कालीन उप मुख्यमंत्री स्टीफन मरांडी और शॉजी जोसेफ गवाह थे.

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