अब उक्त जमीन का कोई उत्तराधिकारी भी नहीं है. नियमानुसार किसी जमीन का उत्तराधिकारी नहीं होने की स्थिति में जमीन सरकार को हस्तांतरण हो जाती है. बताया जाता है कि जमीन का कोई उत्तराधिकारी नहीं होने की स्थिति में जमीन राज्य सरकार के अधीन होनी थी, फिर राज्य सरकार किसी स्थानीय आदिवासी को ही यह जमीन बंदोबस्त कर सकती थी, लेकिन इस जमीन काे भू-माफिया जाली वंशावली-दस्तावेजों के अाधार पर बेचने का प्रयास कर रहे हैं. इस संबंध में कुछ लोगों ने कमिश्नर केके खंडेलवाल व उपायुक्त मनोज कुमार को पत्र लिख कर इसकी शिकायत की है.
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फरजी मालिक बन कर बेच रहे हैं जमीन
रांची : चिरौंदी के खतियान खाता संख्या-68 में चार एकड़ नौ डिसमिल जमीन है. इस जमीन को कुछ लोग फरजी तरीके से मालिक बन कर बेच रहे हैं. कई प्लॉटों की बिक्री भी की जा चुकी है, जबकि, इस जमीन की खतियानी रैयत विश्राम उरांव वल्द बंधु उरांव हैं. ये लोग जीवित नहीं हैं. विश्राम […]
रांची : चिरौंदी के खतियान खाता संख्या-68 में चार एकड़ नौ डिसमिल जमीन है. इस जमीन को कुछ लोग फरजी तरीके से मालिक बन कर बेच रहे हैं. कई प्लॉटों की बिक्री भी की जा चुकी है, जबकि, इस जमीन की खतियानी रैयत विश्राम उरांव वल्द बंधु उरांव हैं. ये लोग जीवित नहीं हैं. विश्राम उरांव की एकमात्र पुत्री लंगड़ी उराइन की भी मृत्यु हो चुकी है.
पंजी टू में भी छेड़छाड़
पत्र में शिकायतकर्ता ने बताया कि उक्त जमीन से संबंधित पंजी टू में भी छेड़छाड़ की गयी है. खाता 68 में जगतु उरांव के नाम से पंजी-टू में दर्ज करा दिया गया है, जबकि ये लोग 37 खाता के वंशावली हैं.
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