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राज्य में हर दिन 172 लोग मलेरिया की चपेट में

रांची : झारखंड में मानसून समाप्त हुए पांच माह बीत गये हैं. पर मलेरिया की समस्या यहां से मिटने का नाम नहीं ले रही है. अब जाड़े के मौसम में भी मलेरिया लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. स्थिति यह है कि राज्य में हर दिन 172 लोग मलेरिया की चपेट में आ […]

रांची : झारखंड में मानसून समाप्त हुए पांच माह बीत गये हैं. पर मलेरिया की समस्या यहां से मिटने का नाम नहीं ले रही है. अब जाड़े के मौसम में भी मलेरिया लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. स्थिति यह है कि राज्य में हर दिन 172 लोग मलेरिया की चपेट में आ रहे हैं. इस साल जनवरी में ही 5344 लोग मलेरिया से ग्रसित मिले हैं. इनमें 2638 महिलाएं हैं.

वहीं वर्ष 2015 में यह आंकड़ा और भी ज्यादा था. दिसंबर 2015 तक प्रतिदिन 286 लोग मलेरिया से प्रभावित पाये गये. पूरे वर्ष में कुल एक लाख चार हजार 450 मलेरिया प्रभावित मरीजों की पहचान की गयी. मलेरिया से वर्ष 2015 में नौ लोगों की मौत हुई है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग इनमें से चार मौत को संदिग्ध की सूची में रखा है.
पश्चिम सिंहभूम और लातेहार में सबसे ज्यादा मलेरिया का खतरा
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों को देखें तो राज्य के 24 जिलों में सबसे ज्यादा खतरा पश्चिम सिंहभूम में है. यहां मलेरिया से ग्रसित सबसे अधिक मरीज पाये गये हैं. दिसंबर 2015 तक यहां 16610 लोग मलेरिया से ग्रसित मिले.जनवरी 16 में यहां 1069 मरीज मिले हैं.यानी केवल प सिंहभूम में ही हर दिन 34 मरीज मलेरिया के मिल रहे हैं. दूसरा सबसे प्रभावित इलाका है लातेहार जिला. यहां दिसंबर 2015 तक 12999 मरीज मिले हैं. जनवरी माह में यहां 492 मरीज मिले हैं. वहीं जामताड़ा जिले में दिसबंर तक सबसे कम केवल 62 मरीज मिले. जनवरी 16 में यहां एक मरीज मिला है. स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक प. सिंहभूम जिला में सारंडा जंगल है. इसके चलते यहां मच्छरों की संख्या ज्यादा है. विभाग ने ग्रामीण इलाकों में मेडिकेटेड मच्छरदानी का भी वितरण किया है. इसके बाद भी यहां ज्यादा मरीज मिलते हैं.
मलेरिया प्रभावित जिले
जिला प्रभावित
प. सिंहभूम 16610
लातेहार 12999
पलामू 8866
गिरिडीह 7193
सिमडेगा 5012
हजारीबाग 4911
गोड्डा 5368
रांची 3308
मलेरिया से पांच वर्षों में कितनी मौत
वर्ष मौत
2011 17
2012 10
2013 8
2014 8
2015 9(चार संदिग्ध)
माओवादी से ज्यादा खतरा मच्छरों से
पश्चिम सिंंहभूम जिले में सीआरपीएफ के जवान तैनाता हैं. तब सीआरपीएफ के डीजी ने भी चिंता जतायी थी कि यहां माओवादियों से ज्यादा खतरनाक मच्छर हैं. जवान मुठभेड़ में कम और मलेरिया से ज्यादा मारे जा रहे हैं. तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश भी सारंडा में मलेरिया को लेकर चिंता जता चुके थे.

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