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बुंडू: सीआरपीएफ और पुलिस के साथ नौ घंटे तक चली थी नक्सलियों की मुठभेड़, चार नक्सली ढेर

रांची/बुंडू. बुंडू थाना क्षेत्र के घाघराबेड़ा में गुरुवार की रात नौ घंटे तक नक्सलियों और पुलिस के बीच हुई मुठभेड़ में जोनल कमांडर बोयदा पाहन सहित सहित चार नक्सली मारे गये. इसमें एक महिला नक्सली भी शामिल है. शुक्रवार की सुबह सर्च ऑपरेशन के दौरान पुलिस ने चार नक्सलियों का शव बरामद किये. मृत नक्सलियों […]

रांची/बुंडू. बुंडू थाना क्षेत्र के घाघराबेड़ा में गुरुवार की रात नौ घंटे तक नक्सलियों और पुलिस के बीच हुई मुठभेड़ में जोनल कमांडर बोयदा पाहन सहित सहित चार नक्सली मारे गये. इसमें एक महिला नक्सली भी शामिल है. शुक्रवार की सुबह सर्च ऑपरेशन के दौरान पुलिस ने चार नक्सलियों का शव बरामद किये. मृत नक्सलियों के पास से पुलिस ने पुलिस से लूटे गये दो एसएलआर, दो थ्री नट थ्री राइफल, छह लाख रुपये नगद, 200 से ज्यादा गोलियां, सात मोबाइल सेट, दो हेंड ग्रेनेट, 14 पिट्टू, 40 पीस खोखा, एक वाकीटॉकी सेट , नौ मैगजीन , नक्सली साहित्य, एक नोट बुक, खाने-पीने की सामग्री, कपड़ा, दवा और भारी मात्र में विस्फोटक सामग्री बरामद की है.
मुठभेड़ के दौरान कुछ अन्य नक्सलियों के मारे जाने और घायल होने की सूचना पर सुबह से लेकर शाम तक सर्च ऑपरेशन चलाया गया. लेकिन किसी अन्य नक्सली का शव बरामद नहीं किया गया. पुलिस को आशंका है कि घायल और मृत दूसरे नक्सली को उनके साथी अपने साथ लेकर निकलने में सफल रहे. अंधेरा होने की वजह से सर्च ऑपरेशन बंद कर दिया दिया गया. शनिवार को फिर से पुलिस सर्च ऑपरेशन चलायेगी. नक्सलियों के मारे जाने की सूचना पर शुक्रवार को डीजीपी डीके पांडेय और स्पेशल ब्रांच के एडीजी अनुराग गुप्ता वहां पहुंचे.
डीजीपी डीके पांडेय और एडीजी अनुराग गुप्ता ने चार नक्सलियों को मार गिराने वाले जवानों‍ को चार लाख रुपये का पुरस्कार और प्रशस्ती पत्र देने की घोषणा की. सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट दिलीप सिंह को दो लाख रुपये नगद और एसएसपी रांची कुलदीप द्विवेदी को दो लाख रुपये नगद दिये. अभियान में शामिल सभी जवानों का हौसला बुलंद करते हुए उन्हें भी सम्मानित करने का घोषणा की. घटना से क्षेत्र के लोगों में दहशत व्याप्त है. जानकारी के अनुसार नक्सलियों का एक दस्ता राममोहन के नेतृत्व में घाघराबेडा पहुंचने की सूचना पुलिस को मिली थी. इसी सूचना पर सीआरपीएफ के जवानों को अभियान में लगाया गया था. अभियान के दौरान नक्सलियों के एक दस्ते के साथ रात के करीब नौ बजे मुठभेड़ शुरू हो गयी. इसी बीच दूसरे दस्ते में शामिल नक्सली भी वहां पहुंचे और सीआरपीएफ के जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी. बचाव में सीआरपीएफ के जवानों ने भी फायरिंग की. पुलिस अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार नक्सलियों की संख्या 35 से 40 के बीच थी. नक्सलियों का एक दस्ता सारंडा जंगल में केंद्रीय कमिटी की बैठक में शामिल होकर लौट रहा था. बैठक में केंद्रीय कमेटी का सदस्य विवेक जी शामिल रहा था. विवेक को झुमरा पहाड़ जाना था. इदसलिए उसके दस्ते को राममोहन सिंह मुंड सुरक्षित बाहर निकलाने के लिए स्कॉर्ट कर रहा था. घाघराबेड़ा गांव के पास रायसा नदी के किनारे दो नक्सली पानी भर कर जा रहे थे. पुलिस की नजर उस पर पड़ते ही पहले नक्सलियों ने आंधाधुंध फायरिंग की.
मुठभेड़ में घायल जवानों से मिले जैप डीआइजी
रांची. जैप के डीआइजी सुधीर कुमार झा बुंडू थानांतर्गत घाघराबेड़ा ग्राम में नक्सलियों से हुई मुठभेड़ में घायल जवानों से मिले़ सीआरपीएफ-133 बटालियन के घायल जवान गोविंद सिंह एवं सद्दाम अंसारी से अस्पताल में जाकर उनकी स्थिति से अवगत हुए. उनके इलाज के संबंध में जानकारी ली़ डीआइजी श्री झा द्वारा प्रत्येक घायल को तत्काल 10-10 हजार रुपये तथा फल प्रदान किया गया. डीआइजी ने मुठभेड़ में शामिल सभी जवानों के अदम्य साहस एवं वीरता की प्रशंसा करते हुए महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक महोदय के द्वारा उन्हें अलग से पुरस्कृत किये जाने की घोषणा के संबंध में भी जानकारी दी़
इंडियन आर्मी लिखी टोपी बरामद
बुंडू. घटनास्थल से पुलिस को सुबह इंडियन आर्मी लिखी टोपी मिली. तीन मृक नक्सली काली बर्दी में थे. घटनास्थल के आसपास जंगल झाड़ी में पुलिस को कई काले अन्य समान भी मिले. मुठभेड़ के समय भागे नक्सलियों को पकड़ने के लिए छापामारी अभियान जारी है.
घंटी लेकर चलते हैं नक्सली :
रांची. पुलिस ने नक्सलियों के शव के साथ एक घंटी बरामद की है. बताया जाता है कि नक्सली पुलिस का ध्यान भटकाने के लिए घंटी बजा कर आगे बढ़ते हैं. यह प्रयोग घटना के दिन भी नक्सलियों ने किया था.
दो साल की चुप्पी के बाद फिर आक्रामक हुए नक्सली
दो साल (वर्ष 2014 व 2015) की चुप्पी के बाद भाकपा माओवादी के नक्सली एक बार फिर आक्रमक होते दिख रहे हैं. पुलिस को निशाना बना रहे हैं और मुठभेड़ भी कर रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े अधिकारी दो साल की चुप्पी को दूसरे नजरिये से देख रहे हैं. उनका कहना है कि इन दो सालों में नक्सलियों ने अपनी गतिविधि को कम किया. पुलिस की ओर ध्यान नहीं दिया अौर अंदर-ही-अंदर संगठन को मजबूत करते रहे. संगठन में नये सदस्यों को जोड़ने में लगे रहे. सूत्रों के मुताबिक झारखंड में अपनी पकड़ को मजबूत बनाने के लिए पिछले साल नक्सलियों ने सारंड के मनोहरपुर के जंगल में उच्चस्तरीय बैठक की थी. उक्त बैठक के बाद बाहर से संगठन के लोगों को झारखंड भेजा गया है, जो लगातार सक्रिय हैं. नक्सल प्रभावित इलाकों में घूम रहे हैं. उल्लेखनीय है कि नक्सलियों ने वर्ष 2014 में 99 तथा वर्ष 2015 में 76 घटनाओं को अंजाम दिया था. इस साल डेढ़ माह में ही नक्सली 20 से अधिक घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं. एक घटना में पुलिस के सात जवान शहीद हो गये थे. नक्सलियों द्वारा लेवी की मांग किये जाने के मामले भी ज्यादा सामने आ रहे हैं.
इस साल जो घटनाएं हुईंं
09 जनवरी : खूंटी के अड़की में पुलिस के साथ मुठभेड़. एक इनसास समेत तीन राइफल बरामद.
11 जनवरी : दुमका के गोपीकांदर में सड़क निर्माण में लगे पांच जेसीबी को फूंका.
13 जनवरी : लातेहार के चंदवा में नक्सलियों ने पुल निर्माण का काम रोका, मजदूरों को पीटा.
17 जनवरी : चाईबासा के मनोहरपुर में नक्सलियों ने पंचायत समिति सदस्य को पीटा.
17 जनवरी : लातेहार के बसिया गांव में ग्राम प्रधान का घर उड़ाने का प्रयास.
18 जनवरी : गढ़वा के भंडरिया में नक्सलियों व पुलिस के बीच मुठभेड़.
18 जनवरी : गुमला के पालकोट में सड़क निर्माण करा रही कंपनी की मशीन व कई गाड़ियों को फूंका.
26 जनवरी : पलामू के छतरपुर में बीएसएनएल का टावर फूंका.
27 जनवरी : पलामू के छतरपुर-जपला रोड में पुलिस वाहन उड़ाया, सात जवान शहीद.
31 जनवरी : चाईबासा के सारंडा में सड़क निर्माण में लगे आठ वाहनों को फूंका.
30 जनवरी : चाईबासा के बंदगांव में नक्सलियों व पीएलएफआइ के बीच मुठभेड़. एक ग्रामीण को गोली लगी, मौत.
09 फरवरी : गुमला के चैनपुर के सिविल गांव से एक परिवार को गांव से निकाला.
16 फरवरी : बंद के दौरान नक्सलियों ने सरायकेला चौका में ट्रक और रांची के मैैैक्लुस्कीगंज में दो ट्रैक्टर फूंका.
18 फरवरी : रांची-टाटा रोड पर तैमारा घाटी के पास मुठभेड़, चार नक्सली मारे गये.

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