रांची: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रामीण इलाके में बनायी गयी सड़कों के कार्यो की सरकार जांच करायेगी. राज्य भर में इस योजना से बनी सड़कों में बरती गयी अनियमितता को लेकर बुधवार को सदन में सरकार घिर गयी. पक्ष-विपक्ष के विधायकों का कहना था कि पीएमजीएसवाइ की सड़कों की हालत जजर्र है. ठेकेदार बीच में काम छोड़ कर भाग जाते हैं. पक्ष-विपक्ष के विधायक सरकार से जांच कराने पर अड़े थे.
भाजपा-आजसू के विधायक जांच की मांग को लेकर वेल में आ गये. इससे करीब 20 मिनट तक सदन की कार्यवाही बाधित रही. विभागीय मंत्री साइमन मरांडी का कहना था कि गिरिडीह जिला से शिकायत आयी है, वहां जांच करा लेते हैं. दूसरे विधायकों का कहना था कि गिरिडीह जिला ही क्यों, राज्य भर में सड़कों की स्थिति खराब है. पूर्व स्पीकर सीपी सिंह ने कहा कि स्पीकर जांच का नियमन क्यों नहीं देते हैं. इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह विधायकों के सवाल का जवाब देने उठे. उन्होंने कहा कि सरकार जांच के लिए तैयार है. जिन-जिन विधायकों को शिकायत है, वे इसकी सूची दें. सरकार पूरी ईमानदारी के साथ इसकी जांच करायेगी. राज्य में 13 हजार 344 किलोमीटर सड़कें पीएमजीएसवाइ से बननी हैं. इसमें 7896 किमी सड़कें बनी हैं. इधर, इससे पूर्व विधानसभा के पहले सत्र में कांग्रेस विधायक डॉ सरफराज अहमद ने गिरिडीह जिले में पीएमजीएसवाइ से बनी सड़कों की खराब हालत का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने उत्तर में कहा है कि पांच-छह ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड किया गया है, लेकिन खराब काम करवाने वाले इंजीनियरों पर कार्रवाई नहीं होती.
जदयू विधायक सुधा चौधरी ने कहा कि मैंने सरकार को प्रमाण के साथ दिया था, पलामू में सड़कों की हालत खराब है. विधायक केएन त्रिपाठी का कहना था कि सरकार एचएफसीएल और एनबीसीसी जैसे केंद्रीय उपक्रम को काम देती है. ये पेटी में छुटभैया ठेकेदारों को काम दे देते हैं. सारी गड़बड़ी यहीं से होती है. माले विधायक विनोद सिंह का सरकार अपने जवाब में मान रही है कि 398 सड़कों में 25 प्रतिशत में गड़बड़ी हुई है, तो फिर पूरे राज्य की सड़कों की क्या स्थिति होगी. सरकार राज्य भर की सड़कों की जांच क्यों नहीं कराती है. लोबिन हेंब्रम ने कहा कि एक जिले में गोल-माल हुआ है, तो पूरे राज्य की स्थिति क्या होगी. सदन के अंदर जांच को लेकर काफी देर तक शोर-शराबा होता रहा.
भाजपा-आजसू विधायक के विरोध पर कांग्रेस के सौरभ नारायण सिंह और केएन त्रिपाठी भड़क गये. दोनों विधायकों का कहना था कि पिछली सरकार ने ही कमीशनखोरी की है. इस पर चंद्रप्रकाश चौधरी और सौरभ नारायण सिंह के बीच तीखी बहस हुई. उमाशंकर अकेला भी जोर-जोर से बोल रहे थे. सौरभ नारायण सिंह भी तमतमा कर वेल में चले गये. इस पर राजेंद्र सिंह ने बैठने को कहा. स्पीकर भी विधायकों पर झल्लाये. स्पीकर ने केएन त्रिपाठी से कहा: आप बहुत बोलते हैं. संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र सिंह द्वारा जांच का आश्वासन देने के बाद मामला शांत हुआ.