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जिला टीबी नियंत्रण सोसाइटी की रिपोर्ट से हुआ खुलासा, रांची शहर में टीबी से 60 की मौत

रांची: राजधानी में टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) के मरीज व उससे होनेवाली मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है. जिला टीबी नियंत्रण सोसाइटी की आंकड़ों के अनुसार टीबी से राजधानी में वर्ष 2015 में 60 लोगों की मौत हुई है. वहीं वर्ष 2014 में राजधानी में टीबी से 45 लोगों की मौत हुई थी. यानी टीबी […]

रांची: राजधानी में टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) के मरीज व उससे होनेवाली मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है. जिला टीबी नियंत्रण सोसाइटी की आंकड़ों के अनुसार टीबी से राजधानी में वर्ष 2015 में 60 लोगों की मौत हुई है. वहीं वर्ष 2014 में राजधानी में टीबी से 45 लोगों की मौत हुई थी. यानी टीबी से होनेवाली मौत का आंकड़ा वर्ष 2014 से 33 फीसदी बढ़ा है. इधर, सोसाइटी के अनुसार वर्ष 2015 में टीबी से हुई 60 मौतों में 28 बच्चे भी थे. इसमें 11 बच्चे व 17 बच्चियां थीं. ये सभी बच्चे शून्य से 14 वर्ष के थे. वहीं वर्ष 2014 में टीबी से राजधानी में 24 बच्चों की मौत हुई थी. इनमें 17 बच्चे व 07 बच्चियां थी.
वर्ष 2015 में 1852 टीबी मरीज की पुष्टि
राजधानी में टीबी की चपेट में आनेवाले मरीजों की संख्या वर्ष 2015 में 1852 रही है. वहीं 18,963 मरीजों की जांच टीबी की शंका होने के आधार पर की गयी. इसमें 1852 लोग पॉजिटिव पाये गये. वहीं वर्ष 2014 में 15,852 मरीजों की शंका के आधार पर जांच की गयी, जिसमें 2091 मरीजों में टीबी की पुष्टि हुई थी.
एमडीआर टीबी में तब्दील हुए 33 मरीज
टीबी के मरीज एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंट) टीबी में तब्दील हो रहे हैं. राजधानी में सामान्य टीबी से एमडीआर टीबी में तब्दील हुए मरीजों की संख्या 33 है. एमडीआर टीबी में कई ऐसे मरीज हैं, जिनकी स्थिति गंभीर है. एमडीआर टीबी में तब्दील हो चुके मरीजों के कारण ही टीबी बीमारी के आंकड़े में वृद्धि हो रही है.
इलाज के बीच में 34 मरीजों ने छोड़ी दवा
टीबी के मरीज इलाज के बीच में दवा छोड़ देते हैं. इससे उनकी समस्या और बढ़ रही है. वर्ष 2015 में 34 मरीजों ने दवा खाने के दाैरान इलाज कराना छोड़ दिया. इस वर्ष सबसे ज्यादा अप्रैल से जून में 14 मरीजों ने दवा खाना छोड़ दिया. वहीं वर्ष 2014 में 47 मरीजों ने दवा खाना छोड़ा.
टीबी के प्रकार और इसके लक्षण
लंग्स : खांसी, थकावट, शाम को बुखार, बलगम से खून
ब्रेन : नवर्स सिस्टम में गड़बड़ी, चेतना में कमी, झटका
किडनी : पेशाब से खून आना
हड्डी : हड्डी में दर्द, पैर में सूजन
रीढ़ की हड्डी : हाथ या पैर में लकवा मार देना
ऐसे होती है टीबी की जांच
बलगम की जांच
सीबी नेट से टीबी की स्क्रीनिंग
टीबी मरीजों की स्क्रीनिंग के लिए अत्याधुनिक मशीन सीबी नेट से जांच की जाती है. राजधानी में सीबी नेट से दो जगह जांच की सुविधा है. सदर अस्पताल के ओपीडी के पास स्थित जिला टीबी नियंत्रण समिति में टीबी के स्क्रीनिंग की सुविधा है. वहीं इटकी में भी सीबी नेट मशीन से स्क्रीनिंग की जाती है.
आरएनटीसीपी से इलाज की योजना
रिवाइज्ड नेशनल ट्यूबरक्लोसिस प्रोग्राम (आरएनटीसीपी) योजना के तहत टीबी के मरीजों को संपूर्ण इलाज की योजना है. आरएनटीसीपी की शुरूआत वर्ष 1997 में की गयी. इसके तहत मरीजों को दवा मुहैया कराने के लिए ऑब्जर्बड ट्रीटमेंट शार्ट कोर्स (डॉट्स) में शामिल किया जाता है. केंद्र सरकार की ने टीबी के लिए नेशनल स्ट्रेटजिक प्लान (एनएसपी) 2012-17 की योजना बनायी है.
भारत में टीबी के सबसे ज्यादा मरीज
पूरे विश्व में सबसे ज्यादा टीबी के मरीज भारत में मिलते हैं. डब्लूएचओ के वर्ष 2014 के आंकड़ों के अनुसार टीबी के 2.2 मिलियन मरीज भारत में हैं. रिपोर्ट में यह बताया गया है कि झारखंड में वर्ष 2014 में 22,509 मरीजों में टीबी की पुष्टि हुई है.
सोसाइटी ने बढ़ायी लोगों तक अपनी पहुंच
जिला टीबी नियंत्रण सोसाइटी द्वारा जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाता है. राजधानी के गरीब व स्लम क्षेत्र में इनके द्वारा शिविर लगाया जाता है. टीबी के लक्षण वाले मरीजों के बलगम की जांच की जाती है. जांच में टीबी की पुष्टि होने पर जिला कार्यालय के कर्मचारी मरीजों को दवा उपलब्ध कराते हैं. उनका पूरा ब्योरा रखते हैं.

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