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फरजीवाड़ा: जमीन गयी, फरजी डीड बना किया गोलमाल, एक करोड़ का मुआवजा किसी और ने हड़प लिया

रांची: बाबू! मेरा तो सबकुछ लुट गया. सारी जिंदगी कुली-कबाड़ी का काम किया और किसी तरह पैसे जमा कर जमीन खरीदी. पर आज मेरे पास कुछ नहीं है. वर्ष 2007 में सरकार ने मेरी जमीन का अधिग्रहण किया था़ जमीन का मुआवजा एक करोड़ एक लाख रुपये आंका गया था, लेकिन आज तक मुआवजा नहीं […]

रांची: बाबू! मेरा तो सबकुछ लुट गया. सारी जिंदगी कुली-कबाड़ी का काम किया और किसी तरह पैसे जमा कर जमीन खरीदी. पर आज मेरे पास कुछ नहीं है. वर्ष 2007 में सरकार ने मेरी जमीन का अधिग्रहण किया था़ जमीन का मुआवजा एक करोड़ एक लाख रुपये आंका गया था, लेकिन आज तक मुआवजा नहीं मिला़ यह मामला जिला भू-अर्जन कार्यालय में प्रकाश में आया है. फरजी डीड बना कर भुवनेश्वर की एक एकड़ 57 डिसमिल(गांव-हेथु, खाता-13, प्लॉट-168) का मुआवजा किसी और ने हड़प लिया.

तत्कालीन अपर समाहर्ता शैलेंद्र लाल ने गलत तरीके से लिया गया मुआवजा वापस करने का आदेश भी दिया था़ इसके बाद भी भुवनेश्वर को आज तक न्याय नहीं मिला. अपना दुखड़ा सुनाते-सुनाते 75 वर्षीय भुवनेश्वर रो पड़ते हैं. भुवनेश्वर बताते हैं मुअावजा राशि मिलने की उम्मीद में वो पिछले चार साल से रोज डीसी कार्यालय आते हैं और घंटों बैठ कर लौट जाते हैं.
कैसे हुआ मामले का खुलासा
भुवनेश्वर की जमीन का मुआवजा एक करोड़ एक लाख रुपये होता है. पर, मुआवजा तो दूर आज तक उन्हें नोटिस भी नहीं मिला. वहीं उनके साथवाले लोगों काे नोटिस भी आया और मुआवजा भी मिला. भुवनेश्वर जब इसका कारण जानने कार्यालय पहुंचे, तो पता चला कि उन्हें मुआवजा का पूरा भुगतान किया जा चुका है. इस संबंध में उन्होंने अधिकारियों को अरजी दी. शिकायत के आधार पर अधिकारियों ने जांच शुरू की, तो चौंकानेवाले तथ्य सामने आये. पता चला कि उस जमीन का मुआवजा तो मिला, लेकिन मुआवजा भुवनेश्वर को न मिल कर किसी और को दे दिया गया है़
1981 में भुवनेश्वर ने ली थी जमीन
भुवनेश्वर ने वर्ष 1981 में पांच हजार रुपये में जमीन खरीदी थी. वर्ष 1984 में जमीन का म्यूटेशन कराया. जमीन की सारी रसीद भी उनके नाम से कटती है. भुवनेश्वर बताते हैं कि संचिका किन अधिकारियों के पास है, इसका तो पता चलता है़ पर मेरी जमीन का मुआवजा देने से संबंधित क्या कार्रवाई हो रही है, यह बतानेवाला कोई नहीं है.
लौट जा रहा है नोटिस
इस मामले में प्रशासन की ओर से मुआवजा लेनेवाले व्यक्तियों के घर पर कई बाद नोटिस भिजवाया गया है, पर नोटिस बार-बार लौट जा रहा है़ क्योंकि, पते पर अब कोई नहीं रहता है.

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