हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में केंद्र सरकार ने बिहार राज्य खाद्य निगम की परिसंपत्तियों और देनदारियों के बंटवारे के लिए एक अप्रैल को दिल्ली में उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की है. इसमें बिहार के मुख्यसचिव भी शामिल होंगे. खाद्य निगम के बंटवारे के मुद्दे पर पिछले दिनों पटना में बिहार और झारखंड के अधिकारियों की एक बैठक हुई थी. इसमें बिहार ने झारखंड पर 50 करोड़ रुपये से अधिक का दावा पेश किया था. बिहार की ओर से बिहार राज्य खाद्य निगम द्वारा लिये गये 41 करोड़ रुपये कर्ज की भरपाई की मांग की गयी थी. इसके अलावा परिवहन मद में 16 करोड़ रुपये का दावा किया गया था. झारखंड ने बिहार की इस मांग पर असहमति जतायी थी. साथ ही कहा था कि वर्ष 2010 में झारखंड राज्य खाद्य निगम का गठन हुआ था. राज्य विभाजन से झारखंड खाद्य निगम के गठन तक बिहार खाद्य निगम ने ही झारखंड में काम किया और लाभ कमाया. झारखंड को इसमें से हिस्सा मिलना चाहिए.
इस उच्चस्तरीय बैठक में झारखंड की ओर से बंटवारे के अन्य मामलों को भी उठाया जायेगा. इस सिलसिले में झारखंड की ओर से केंद्र सरकार को पत्र भी भेजा जा चुका है. बैठक में राज्य की और से बिहार सरकार द्वारा झारखंड क्षेत्र का ‘कैडस्ट्रल मैप’ देने में आनाकानी करने का मामला उठाया जायेगा. मैप नहीं मिलने से जमीन के कंप्यूटराइजेशन का काम प्रभावित हो रहा है. झारखंड ने 29 जनवरी को हुई अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में भी यह मामला उठाया था.
हालांकि बिहार ने सभी विवादों को समेकित रूप से निबटाने की बात कह कर इस मांग को टाल दिया था. राज्य की ओर से टीवीएनएल को झारखंड के हवाले करने की मांग की जायेगी. कागजी तौर पर अभी तक इसका मालिकाना हक बिहार के पास है. पेंशन दायित्वों के मामले में राज्य की ओर से आबादी के आधार पर देनदारी तय करने का मांग की जाती रही है. छतीसगढ़,उत्तराखंड व तेलंगाना के लिए भी पेंशन की देनदारी आबादी के आधार पर तय की गयी है. ऐसी स्थिति में सिर्फ झारखंड के लिए कर्मयारियों का संख्या के आधार पर पेंशन की देनदारी तय करना सही नहीं है.